अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
खनन

अवैध रेत खनन से सिकुड़ रहा पावूर उलिया कुदरू द्वीप

नेत्रावती नदी में स्थित एक छोटा सा द्वीप, पावूर उलिया कुदरू, अवैध रेत खनन के कारण गंभीर कटाव और आकार में आती गिरावट से जूझ रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अवैध रेत खनन की वजह से सिकुड़ रहे पावूर उलिया कुदरू द्वीप के मामले में अधिकारियों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

मामला कर्नाटक में मैंगलोर के पास पावूर उलिया कुदरू द्वीप से जुड़ा है। इस मामले में दो अगस्त 2024 को अदालत ने कहा है कि मुद्दा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और सतत रेत खनन दिशानिर्देश, 2016 के उल्लंघन से जुड़ा है।

इस मामले में अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), कर्नाटक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र को दक्षिणी बेंच के सामने अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि यह मामला 25 जून, 2024 को उदयवाणी में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया गया है। इस खबर के मुताबिक पावूर उलिया कुदरू अवैध रेत खनन के कारण सिकुड़ रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों ने न्याय की मांग की है।

इस खबर के मुताबिक पावूर और अड्यार के बीच नेत्रावती नदी में स्थित एक छोटा सा द्वीप, पावूर उलिया कुदरू, अवैध रेत खनन के कारण गंभीर कटाव और आकार में आती गिरावट से जूझ रहा है। द्वीप का आकार 80 एकड़ और लम्बाई दो किलोमीटर से घटकर 40 एकड़ और एक किलोमीटर रह गया है। इस मामले में स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन इसके बावजूद, अधिकारियों ने कोई खास कार्रवाई नहीं की है।

इस खबर के मुताबिक इस द्वीप के सिकुड़ने का प्रमुख कारण लगातार होता अवैध खनन है। इस खनन की वजह से द्वीप का आकार घट गया है, जिससे विशेष तौर पर भीषण बाढ़ के दौरान इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

लोग सिकुड़ते द्वीप की वजह से अपनी जमीन और जीविका खो रहे हैं। गौरतलब है कि यहां लोग मुख्य रूप से कृषि और अन्य कार्यों पर निर्भर हैं। यह भी जानकारी मिली है कि स्थानीय लोगों द्वारा बनाया एक अस्थाई पुल रेत तस्करों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है।

इसकी वजह से वहां से गुजरना मुश्किल हो गया है। खबर में यह भी कहा गया है कि इस द्वीप पर परिवारों की संख्या 50 से घटकर 35 रह गई है, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि इससे समुदायों को कितना नुकसान हो रहा है।

यमुना किनारे डंप किया जा रहा कचरा, एनजीटी ने दिए आरोपों की जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों से वजीराबाद और जगतपुर गांव के पास घाटों पर कचरा फेंके जाने के दावों की जांच करने को कहा है। इसके साथ ही यह भी आरोप है कि दिल्ली में पुस्ता रोड के पास यमुना के किनारे कचरा डंप किया जा रहा है।

इस मामले में आवेदक मनीष जैन का कहना है कि प्रयासों के बावजूद अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। आवेदन में यह भी कहा गया है कि डीडीए ने लिखित रूप से स्वीकार किया है कि यमुना नदी में निर्माण संबंधी मलबा और बायोमेडिकल कचरा डाला गया है।

इस आवेदन के साथ इलाके में फैले कचरे और मलबे को दर्शाने वाली तस्वीरों का भी हवाला दिया गया है। ऐसे में आवेदन में अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे यमुना नदी के किनारे और पुस्ता रोड के पास नदी तल से सारा कचरा हटा दें।