खनन

100 साल से धधक रहा है झरिया, सुप्रीम कोर्ट हुआ गंभीर

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के धनबाद जिले में झरिया कोयला खान मामले के न्याय मित्र गौरव अग्रवाल से कहा है कि वे प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की सुविधा प्रदान करें

Ishan Kukreti, Raju Sajwan

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के धनबाद जिले में झरिया कोयला खान मामले के न्याय मित्र (अमाइकस क्यूरे) गौरव अग्रवाल से कहा है कि वे क्षेत्र का दौरा करें और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की सुविधा प्रदान करें।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने अग्रवाल को भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) द्वारा कवर किए गए क्षेत्रों की स्थिति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा है।

कोर्ट ने कहा है कि एमिकस क्यूरी  इस मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं की जांच करने के लिए स्वतंत्र होगा, उनसे मुख्य रूप से अनुरोध किया जाता है कि वे उन परिवारों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करें जो प्रभावित हैं या उनके प्रभावित होने की संभावना है। साथ ही यह भी पता करें कि कितने लोगों को पुनर्वास की आवश्यकता है।

अदालत ने कहा कि कई हलफनामों के बावजूद, जमीनी हकीकत अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। जबकि मामला 1997 से लंबित है। हरधन रॉय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की थी। रॉय कोयला खनन क्षेत्रों में श्रमिक अधिकारों और प्रभावित लोगों के पुनर्वास से जुड़े मुद्दों पर काम करते थे।

कोर्ट ने कहा कि दौरे के बाद, एमिकस क्यूरी चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करें और कोर्ट को दें। रिपोर्ट में प्रभावित परिवारों की संख्या के आधार पर, भूमि के साथ-साथ उनके लिए बनाए जाने वाले घरों की संख्या जैसे तौर-तरीके वित्तीय आवश्यकता तय की जाएगी।

कोर्ट ने साफ तौर पर कहा, ‘हम भारत सरकार, खान महानिदेशक, बीसीसीएल, ईसीएल, पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्यों के साथ-साथ झरिया पुनर्वास और विकास प्राधिकरण, आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण, को सभी सहायता प्रदान करने के लिए निर्देश देते हैं।  ताकि एमिकस क्यूरी अपना काम सही से कर सकें।

खनन को लेकर काम कर रहे संगठन माइन्स, मिनरल एंड पीपुल के अध्यक्ष रवि रेबाप्रगदा ने कहा कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण आदेश है, अभी तक प्रभावित परिवारों के आंकड़े बहुत अस्पष्ट हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस आदेश के बारे में जानने के लिए आज हरदान रॉय हमारे साथ नहीं हैं।

गौरतलब है कि झारखंड के जिले धनबाद में झरिया ऐसा इलाका है, जहां की जमीन पिछले लगभग 100 साल से धधक रही है। यहां भूमिगत कोयले की वजह से अंदर ही अंदर आग जलती रहती है। इसकी वजह से यहां के स्थानीय लोग न केवल बीमार रहते हैं, बल्कि सैकड़ों लोगों की जान भी जा चुकी है।