गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार के साथ-साथ संबंधित अधिकारियों को टिपम पहाड़ियों की निगरानी का आदेश दिया है। चार फरवरी, 2025 को दिए इस आदेश का उद्देश्य कोयला तस्करों द्वारा किए जा रहे अवैध खनन को रोकना है।
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने असम में अहोम राजवंश के स्मारकों की सुरक्षा का भी निर्देश दिया है। पुरातत्व निदेशक की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, अदालत ने स्वतः संज्ञान में ली गई जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है।
अदालत ने अधिकारियों से छह महीने के भीतर काम पूरा करने और इन ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल, 2018 को एक समाचार पत्र में छपी खबर को ध्यान में रखते हुए जनहित याचिका दर्ज की थी। इसमें खुलासा हुआ है कि कोयला तस्कर अवैध गतिविधियों के जरिए डिगबोई उप-मंडल में ऐतिहासिक टिपम पहाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस मामले में राज्य और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके बाद उच्च न्यायालय के समक्ष कई रिपोर्टें प्रस्तुत की गई हैं।
इन रिपोर्टों में राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों ने पुष्टि की है कि डिगबोई उप-विभाग के अंतर्गत आने वाली टिपम पहाड़ियों में कोयला तस्करों द्वारा की जा रही अवैध खनन से जुड़ी गतिविधियों को अब रोक दिया गया है। साथ ही भविष्य में किसी भी अवैध खनन को रोकने के लिए इस क्षेत्र की अब नियमित निगरानी की जा रही है।
अदालत ने दिया निगरानी जारी रखने का निर्देश
एमिकस क्यूरी टी जे महंता ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों की अनुपालन रिपोर्ट के बाद से पिछले दो वर्षों में टिपम हिल्स में कोई भी अवैध गतिविधि नहीं देखी गई है।
हालांकि साथ ही एमिकस क्यूरी ने अदालत से आग्रह किया है कि वह सरकार को निगरानी और पर्यवेक्षण जारी रखने का निर्देश दे, ताकि कोयला तस्करों द्वारा अवैध खनन गतिविधियों को फिर से अंजाम न दिया जा सके।
इसके अलावा, अदालत के संज्ञान में आया है कि जबकि जनहित याचिका चल रही थी, अहोम राजवंश के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा के बारे में एक अतिरिक्त मुद्दा उठाया गया था।
इस मामले में 30 अप्रैल, 2024 को न्यायालय ने असम सरकार को डॉक्टर जोगेंद्र नाथ फुकन द्वारा उपलब्ध कराई पुस्तिका के संबंध में उठाए कदमों की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। इस पुस्तिका में असम में अहोम राजवंश के उन ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों पर प्रकाश डाला गया था जो संरक्षित नहीं हैं।
30 अप्रैल, 2024 को उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद असम के पुरातत्व निदेशक ने 29 अगस्त, 2024 को एक हलफनामा दायर किया था। इस हलफनामे में कहा गया है कि ऐतिहासिक स्मारकों की पहचान के लिए सर्वेक्षण चल रहा है और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक अहोम राजवंश के स्मारकों का सवाल है, उनकी प्रामाणिकता, अखंडता और पुरातात्विक मूल्य का निर्धारण करने के लिए उनका मूल्यांकन किया जाएगा। इसका लक्ष्य उन्हें ऐतिहासिक स्थलों के रूप में संरक्षित करना है।