नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने झारखंड के पाकुड़ जिले के बिशनपुर, प्रतापुर, मानसिंहपुर, सिउलीडांगा और गणेशपुर जैसे गांवों में चल रहे अवैध पत्थर खनन और स्टोन क्रशिंग गतिविधियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया है।
इस समिति को संबंधित स्थानों का निरीक्षण करने के साथ ही अपनी विस्तृत रिपोर्ट एनजीटी को सौंपनी होगी।
इस दिशा में उठाए गए इस कदम के तहत एनजीटी ने झारखंड सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश दिया है।
आवेदक महेंद्र प्रकाश सोरेन के मुताबिक ये खनन और स्टोन क्रशिंग इकाइयां पर्यावरण मंजूरी (ईसी), संचालन की सहमति (सीटीओ) के नियमों को ताक पर रख चल रही हैं। इनकी वजह से भारी मात्रा में धूल उड़ती है, जबकि इस धूल को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
साथ ही, खनन क्षेत्र में बाउंड्री वॉल नहीं है, न ही कंक्रीट की सड़क बनी है। विशेष रूप से, इस खनन से प्रभावित क्षेत्र की हरी पट्टी को नुकसान पहुंचाया गया है और वहां से पत्थर को बिना ढंके अवैध रूप से ले जाया जा रहा है। ऐसे परिवहन से प्रदूषण के साथ-साथ सुरक्षा जोखिम भी बढ़ रहा है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इन स्टोन क्रशर इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक धूल कण ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। इससे आसपास के लोग अस्थमा, सांस की बीमारियों के साथ-साथ त्वचा और आंखों में जलन जैसी तकलीफों से जूझ रहे हैं।
नियमों का खुलेआम हो रहा उल्लंघन
इसके अलावा, स्टोन क्रशिंग इकाइयां, कृषि भूमि और सार्वजनिक सड़क से महज 50 से 100 मीटर की दूरी पर हैं, जो पर्यावरण कानूनों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है। इसके अलावा ये इकाइयां इंसानी बस्तियों, प्राथमिक स्कूल और आंगनवाड़ी के बेहद करीब है, जो साइटिंग मानदंडों का भी उल्लंघन है।
महेंद्र प्रकाश ने यह भी आरोप लगाया है कि ब्लास्टिंग और क्रशिंग कार्य रात के समय भी जारी रहते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को अतिरिक्त परेशानी होती है। इसके अलावा भारी वाहनों द्वारा अवैध रूप से खनिज सामग्री का परिवहन किया जा रहा है, जो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी संचालन की सहमति (सीटीओ) शर्तों के खिलाफ है।
एनजीटी की कार्रवाई इस क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। जांच समिति की रिपोर्ट के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई और सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।