असम में रैट-होल कोयला खनन
संसद का बजट सत्र जारी है, संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में कहा कि असम सरकार ने रैट-होल में फंसे खनिकों को बचाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की गई है। साथ ही असम के उमरंगसो में अवैध कोयला खदान में दुर्घटना के बाद अवैध रैट-होल खनन संचालन पर भी रोक लगाई है।
सिंह ने कहा रैट-होल कोयला खनन से प्रभावित पर्यावरण की बहाली के लिए कई परियोजनाएं लागू की गई हैं, जिसमें सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, अम्लीय नदियों का उपचार, वनीकरण कार्य, वैकल्पिक आजीविका परियोजनाएं प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा संचालित क्षेत्रों में और उसके आसपास के क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए वृक्षारोपण, क्षेत्रीय वन्यजीव और जैव विविधता प्रबंधन योजना तैयार की गई है।
बैटरी स्वैपिंग स्टेशन नेटवर्क दिशानिर्देश
इस बीच आज सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया, विद्युत मंत्रालय ने 10 जनवरी 2025 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से "बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और संचालन के लिए दिशानिर्देश" जारी किए गए हैं। ये दिशानिर्देश बैटरी चार्जिंग स्टेशन (बीसीएस) और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों (बीएसएस) के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के विकास की सुविधा के लिए मानकों और प्रोटोकॉल को रेखांकित करते हैं।
देश में अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों की निगरानी
एक और सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा, मंत्रालय मुख्य रूप से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के माध्यम से देश भर में औद्योगिक इकाइयों की निगरानी करता है।
गंगा और यमुना के मुख्य स्रोत राज्यों जैसे उत्तराखंड, हरियाणा, एनसीटी-दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में संचालित अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) का सालाना निरीक्षण, जो गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों में उत्सर्जन की क्षमता रखते हैं, आईआईटी, एनआईटी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) व प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) जैसे तीसरे पक्ष के तकनीकी संस्थानों की संयुक्त टीमों द्वारा किया जाता है।
साल 2023 के दौरान, झारखंड राज्य में पांच जीपीआई और सोनीपत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (जिला सोनीपत-129, जिला जींद-03) में 132 जीपीआई का निरीक्षण किया गया। झारखंड में पांच जीपीआई में से दो अनुपालन कर रहे थे और तीन डिस्चार्ज मानदंडों के संबंध में अनुपालन करते नहीं पाए गए थे या उनके पास संचालन के लिए वैध सहमति नहीं थी।
सभी अनुपालन न करने वाले जीपीआई को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, जिन्हें बाद में जेएसपीसीबी द्वारा किए गए निरीक्षणों के दौरान उनके अनुपालन के बाद वापस ले लिया गया था। इन जीपीआई से अनुमानित डिस्चार्ज लगभग 523 केएलडी था, जिसमें बीओडी के संदर्भ में 5.23 किलोग्राम प्रति दिन का प्रदूषण भार था।
पर्यावरण संरक्षण (जीवन-काल समाप्त हो चुके वाहन) नियम, 2025
इस बजट सत्र के दौरान पश्नों का सिलसिला जारी रहा, सदन में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में कहा कि मंत्रालय ने जीवन-काल समाप्त हो चुके वाहनों के पर्यावरण की दृष्टि से उचित प्रबंधन किया है। इसके लिए दिनांक छह जनवरी, 2025 को एस.ओ. 98(ई) के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण (जीवन-काल समाप्त हो चुके वाहन) नियम, 2025 को अधिसूचित किया। ये नियम विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के सिद्धांत पर आधारित हैं, जहां वाहनों के उत्पादकों को जीवन-काल समाप्त हो चुके वाहनों को नष्ट करने के लिए अनिवार्य ईपीआर लक्ष्य दिए जाते हैं।
ये नियम कृषि ट्रैक्टर, कृषि ट्रेलर, कंबाइन हार्वेस्टर और पावर टिलर को छोड़कर सभी प्रकार के परिवहन और गैर-परिवहन वाहनों को कवर करते हैं। उक्त नियमों के तहत उत्पादकों को उन वाहनों के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के दायित्व को पूरा करना अनिवार्य किया गया है, जिन्हें निर्माता ने घरेलू बाजार में पेश किया है या पेश करने जा रहा है, जिसमें निर्दिष्ट स्क्रैपिंग लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए स्व-उपयोग में लाए जाने वाले वाहन भी शामिल हैं।
जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में प्रगति
सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) और इसका पेरिस समझौता वित्तीय वर्षवार रिपोर्टिंग की सदस्यता नहीं लेता है। भारत यूएनएफसीसीसी के तहत पेरिस समझौते के अनुसार 2022 में प्रस्तुत अपने अपडेट राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की सदस्यता लेता है।
30 दिसंबर, 2024 को यूएनएफसीसीसी को सौंपी गई भारत की चौथी द्विवार्षिक अपडेटेड रिपोर्ट (बीयूआर-4) के अनुसार, 2005 से 2020 के बीच भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता 2030 तक हासिल किए जाने वाले एनडीसी लक्ष्य 45 फीसदी के मुकाबले 36 फीसदी कम हुई है। बिना-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों की हिस्सेदारी से संबंधित एनडीसी के तहत लक्ष्य को हासिल करने की स्थिति के संबंध में, भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता में हिस्सेदारी दिसंबर 2024 में 47.10 फीसदी है, जबकि 2030 तक हासिल किए जाने वाले लक्ष्य 50 फीसदी है।