2024 में भारतीय हिस्सों में 554 दिन लू महसूस की गई, यह साल 2023 में 230 दिन रही। 
खनन

छत्तीसगढ़ के परसा ईस्ट केते बासेन खदान में काटे गए 94,460 पेड़, संसद में सरकार ने दी जानकारी

जल शक्ति अभियान (जेएसए) की शुरुआत के बाद से, देश में लगभग 1.57 करोड़ जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाएं पूरी हो चुकी हैं या चल रही हैं

Madhumita Paul, Dayanidhi

छत्तीसगढ़ में खनन कार्यों के कारण पेड़ों का काटा जाना

संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में छत्तीसगढ़ सरकार से जुलाई, 2024 के महीने में प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा, परसा ईस्ट केते बासेन खदान में 94,460 पेड़ काटे गए हैं और प्रतिपूरक वनीकरण, खदान सुधार और स्थानांतरण के रूप में 53,40,586 पेड़ लगाए गए हैं। इसके अलावा राज्य ने जानकारी दी है कि आने वाले सालों में खनन गतिविधियों के लिए इस जंगल में 2,73,757 पेड़ काटे जाने हैं।

देश में युवा बेरोजगारी दर

देश में युवाओं की बेरोजगारी दर को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने राज्यसभा में वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, देश में 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित बेरोजगारी दर 2017-18 में 17.8 फीसदी से घटकर 2023-24 में 10.2 फीसदी हो गई है। यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा प्रकाशित विश्व रोजगार और सामाजिक आउटलुक रुझान, 2024 के मुताबिक, युवाओं की वैश्विक बेरोजगारी दर 13.3 प्रतिशत से कम है।

देश में लू की बढ़ती घटनाएं

आज, संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा सरकार ने देश में बढ़ती लू की घटनाओं का संज्ञान लिया है। 2024 में भारतीय हिस्सों में 554 दिन लू महसूस की गई, यह साल 2023 में 230 दिन थी।

भारत में जंगलों में आग की घटनाएं

अपने सवाल के लिखित जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में देहरादून के भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पिछले जंगलों में आग लगने के सीजन, यानी नवंबर 2023 से जून 2024 तक कुल 2,03,544 जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई, जो पिछले जंगलों में आग लगने के सीजन यानी 2,12,249 में दर्ज जंगलों में आग की घटनाओं की संख्या से कम है।

देहरादून के भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, जंगलों में आग लगने के सीजन 2021-2022 में केरल और उत्तराखंड के राज्य वन विभागों और जंगलों में आग लगने के सीजन 2022-2023 में मणिपुर से प्राप्त अनुरोधों के आधार पर जंगलों में आग से जले हुए निशानों का आकलन किया गया। साल 2021-2022 में जंगल में आग लगने के सीजन के दौरान केरल में लगभग 85.89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जले हुए निशान के रूप में पहचाना गया, जबकि उत्तराखंड में 1781.39 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जले हुए निशान के रूप में पहचान की गई।

वर्ष 2022-2023 के जंगलों में आग लगने के सीजन के दौरान मणिपुर राज्य के लिए लगभग 861.32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जले हुए जंगल के हिस्सों को चिह्नित किया गया। सिंह ने कहा कि देश में जंगलों की आग के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान का कोई अनुमान मंत्रालय के द्वारा नहीं लगाया गया है।

पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 के दायरे में नहीं आती हैं। तदनुसार जब इन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में प्रस्तावित किया जाता है, तो इन्हें राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थायी समिति की सिफारिशों की आवश्यकता नहीं होती है।

देश में गिद्धों की आबादी

सदन में सवालों का सिलसिला जारी रहा, एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां दर्ज की गई हैं। भारत में विशिष्ट क्षेत्रों और आवासों में गिद्धों की आबादी का आकलन नहीं किया गया है। हालांकि, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अलग-अलग समय पर अपने-अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गिद्धों की आबादी का आकलन करते हैं, जिसे मंत्रालय के स्तर पर संकलित नहीं किया जाता है। मंत्रालय के पास उपलब्ध विवरण के अनुसार, भारत में गिद्धों की अनुमानित संख्या- लंबी चोंच वाले गिद्ध (26,500), पतली चोंच वाले गिद्ध (1000) और सफेद पीठ वाले गिद्ध (6000) हैं।

मुरार नदी विकास परियोजना

मुरार नदी विकास परियोजना को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार ने ग्वालियर (मुरार नदी), चित्रकूट सतना (मंदाकिनी नदी) और मंदसौर (शिवना नदी) शहरों के लिए 132.47 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित स्वीकृत लागत पर चार नदी तट विकास या घाट विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

मुरार नदी के लिए, दो परियोजनाओं यानी मुरार नदी चरण-प्रथम के नदी तट विकास और मुरार नदी चरण-द्वितीय के नदी तट विकास को क्रमशः 39.24 करोड़ रुपये और 32.44 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की मंजूरी दी गई है।

देश में भूजल संरक्षण

जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने संसद में उठाए गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में बताया कि जल शक्ति अभियान (जेएसए) की शुरुआत के बाद से, देश में लगभग 1.57 करोड़ जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन संरचनाएं पूरी हो चुकी हैं या चल रही हैं और अकेले एमजीएनआरईजीएस के साथ अभिसरण के माध्यम से 1.15 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।