अरावली पर चलता खनन; प्रतीकात्मक तस्वीर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट  
खनन

अरावली पर अवैध खनन: एनजीटी ने मामले को बताया गंभीर, नोटिस जारी करने के दिए निर्देश

आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद कुछ प्रभावशाली लोग पर्यावरण नियमों को ताक पर सीकर के अरावली क्षेत्र में नियमित रूप से खनन कर रहे हैं

Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने 24 मई 2024 को कहा है कि अरावली पहाड़ियों में चल रहे अवैध खनन की शिकायत गंभीर है। मामला राजस्थान के सीकर जिले में अरावली पहाड़ियों पर चल रहे अवैध खनन से जुड़ा है।

इस मामले में अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीकर के खनन अधिकारी के साथ-साथ अवैध खनन और परिवहन में शामिल लोगों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

ट्रिब्यूनल ने इन सभी से छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अदालत ने सीकर के जिला मजिस्ट्रेट और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि की संयुक्त समिति से रिपोर्ट भी तलब की है। इस समिति को मौके का दौरा कर छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक एवं कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

गौरतलब है कि एक पत्र याचिका के माध्यम से सीकर की दांता रामगढ़ तहसील में खोरा ग्राम पंचायत के बल्लूपुरा गांव में अरावली क्षेत्र के खसरा नंबर 80 में चल रहे अवैध खनन की शिकायत की गई थी। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अरावली क्षेत्र की पहाड़ियों में खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद कुछ प्रभावशाली लोग पर्यावरण नियमों को ताक पर रख वहां नियमित रूप से खनन कर रहे हैं।

रामचन्द्रपुर में निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन रहा कूड़े-कचरे से पटा ट्रेंचिंग ग्राउंड

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने रामचन्द्रपुर के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर डाले जा रहे कचरे, मानव वेस्ट, और जानवरों के कंकालों के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति को निर्देश दिए हैं। मामला पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना की पानीहाटी नगर पालिका का है।

कोर्ट के निर्देशानुसार यह समिति साइट का दौरा करेगी और मूल आवेदन में लगाए आरोपों को संबोधित करते हुए चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट हलफनामे पर सौंपेगी। 27 मई, 2024 को दिए इस आदेश के अनुसार, उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट सभी लॉजिस्टिक उद्देश्यों और समिति रिपोर्ट हलफनामे पर दाखिल करने के लिए नोडल एजेंसी होंगे।

गौरतलब है कि इस मामले में रामचन्द्रपुर कल्याण समिति और अन्य के द्वारा एक आवेदन दायर किया गया। इसमें दावा किया गया है कि रामचन्द्रपुर की घनी आबादी वाले इलाके में इंसानी वेस्ट के साथ-साथ, जानवरों के कंकालों, और अन्य ठोस कचरे से भरा एक ट्रेंचिंग ग्राउंड है।

यह भी दावा किया गया है कि ट्रेंचिंग ग्राउंड के चलते वहां रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं के साथ-साथ लाइलाज बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से वायु, जल और पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। नतीजन यह क्षेत्र रहने के लिए खतरनाक हो गया है। ऐसे में एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पानीहाटी नगर पालिका को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

धमतरी में पेट्रोल पंप के निर्माण में सीपीसीबी गाइडलाइन का नहीं किया गया पालन, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 27 मई 2024 को श्रीराम नगर में पेट्रोल पंप स्थापित करने में दिशानिर्देशों के हुए उल्लंघन को लेकर तीन सदस्यीय समिति से रिपोर्ट मांगी है। यह समिति साइट का दौरा करने के साथ अगले छह सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई पर अपनी एक तथ्यात्मक रिपोर्ट कोर्ट में सौंपेगी। मामला छत्तीसगढ़ के धमतरी का है।

इस मामले में दायर पत्र याचिका में पेट्रोल पंप स्थापित करने के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 7 जनवरी, 2020 को जारी दिशानिर्देशों का पालन न करने का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही इस याचिका में एनजीटी के आदेशों का पालन न करने को लेकर भी चिंता जताई गई है। दावा है कि पर्यावरण पर पेट्रोल पंपों के हानिकारक प्रभाव के कारण, सीपीसीबी ने तेल कंपनियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि पेट्रोल पंप स्कूलों, अस्पतालों और घरों से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर होने चाहिए।

इसके अतिरिक्त, दिशानिर्देशों में 300 किलोलीटर की मासिक पेट्रोल बिक्री क्षमता वाले नए ईंधन स्टेशनों में वाष्प रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) की स्थापना को अनिवार्य कर दिया गया था।