ताजमहल; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
खनन

ताजमहल के पास चल रहा अवैध खनन का कारोबार, एनजीटी ने मंत्रालय से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ताजमहल के पास चल रहे अवैध खनन के मामले में जल शक्ति मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग द्वारा कोई प्रतिक्रिया न दिए जाने पर नाखुशी जताई है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अवैध खनन के मामले में जल शक्ति मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग द्वारा कोई प्रतिक्रिया न दिए जाने पर नाखुशी जताई है। मामला ताजमहल और यमुना नदी के फ्लड प्लेन के आसपास चल रहे अवैध खनन से जुड़ा है, जो रेत के टीलों और नदी के किनारों को नुकसान पहुंचा रहा है।

11 जुलाई 2024 को दिए इस आदेश में कहा गया है, "इस बात का कोई कारण नहीं दिया गया है कि ये दोनों प्रतिवादी इतने गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई में देरी क्यों कर रहे हैं। इसमें ताजमहल (टीटीजेड क्षेत्र) जैसे ऐतिहासिक क्षेत्र और यमुना नदी के पास पर्यावरण का हो रहा विनाश शामिल है। यमुना को उत्तर भारत की जीवन रेखा भी माना जाता है।

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच का कहना है कि अधिकारियों की ओर से जवाब के बिना इस मामले में आगे बढ़ना मुश्किल है। उनकी निष्क्रियता के चलते अदालत का समय बर्बाद हुआ है और मामले में देरी हुई है। ऐसे में अदालत ने अधिकारियों को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।

उत्तर प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वो प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर अपना जवाब दाखिल करें। साथ ही अदालत ने सरकार से पूछा है कि अधिकारियों ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है।

26 जून, 2024 को उच्च न्यायालय ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने लखीमपुर खीरी में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों के बारे में शिकायत की है, लेकिन यह मुद्दा पूरे राज्य से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश में कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं, और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में सुस्त रफ्तार से चल रहा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का काम, सुप्रीम कोर्ट ने जताया असंतोष

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पमिदिघनतम श्री नरसिम्हा और पंकज मिथल की बेंच का कहना है कि जल गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करना बहुत जरूरी है। अदालत ने दस जुलाई 2024 को इस बात पर असंतोष व्यक्त किया है कि छत्तीसगढ़ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना का काम इतनी सुस्त रफ्तार से किया जा रहा है।

कुल मिलाकर वहां 35 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाने थे। हालांकि अधिकारियों ने जो हलफनामा दायर किया है उसके मुताबिक केवल कुछ एसटीपी ही पूरे हो पाए हैं, और उन्होंने काम करना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कांकेर, धमतरी और सिमगा में स्थापित किए जाने वाले एसटीपी की दिशा में हुई प्रगति के बारे में विशेष रूप से अपडेट मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव को एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें बताया गया हो कि यह प्लांट कब से चालू होंगे। उनसे यह हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ अगस्त, 2024 को होगी।