अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
खनन

राजस्थान की खारी नदी पर अवैध खनन: एनजीटी ने जताया असंतोष

आरोप है कि खारी नदी के किनारे पर्यावरण नियमों को ताक पर रख बड़े पैमाने पर अवैध खनन और खनिजों की ढुलाई हो रही है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खारी नदी में अवैध खनन पर राज्य अधिकारियों की रिपोर्टों पर असंतोष जताया है।

  • ट्रिब्यूनल ने कहा कि अधिकारियों के जवाबों में नदी के अवरोध हटाने का प्रमाण नहीं है। संयुक्त समिति की रिपोर्ट में खारी नदी के मार्ग में रुकावटों की पुष्टि की गई थी, लेकिन अधिकारियों ने दावा किया कि रुकावटें हटा दी गई हैं।

  • आरोप है कि खारी नदी के किनारे पर्यावरण नियमों को ताक पर रख बड़े पैमाने पर अवैध खनन और खनिजों की ढुलाई हो रही है।

  • वहीं एक अन्य मामले में एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने 4 दिसंबर 2025 को भोपाल स्थित कालियासोत जलाशय पर हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामले की सुनवाई की।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 दिसंबर 2025 को खारी नदी में अवैध खनन और नदी के बहाव में बाधा से जुड़े मामले में राज्य अधिकारियों द्वारा दाखिल रिपोर्टों पर गहरा असंतोष जताया है। ट्रिब्यूनल ने साफ कहा कि अधिकारियों के जवाबों में यह कहीं नहीं दिखता कि नदी के रास्ते से आए अवरोध वास्तव में हटा दिए गए हैं।

मामला राजस्थान के केकड़ी जिले का है। गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल द्वारा गठित संयुक्त समिति ने अपनी 18 जनवरी 2025 की रिपोर्ट में खारी नदी के प्राकृतिक मार्ग में स्पष्ट रुकावटों की पुष्टि की थी।

इसके बाद खनन एवं भू-विज्ञान के निदेशक, केकड़ी के जिला कलेक्टर और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने जवाब दाखिल कर दावा किया कि रुकावटें हटा दी गई हैं। हालांकि, आवेदक ने अदालत को बताया कि नदी का मार्ग अभी भी रुका हुआ है।

परियोजना प्रबंधक भरत सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील ने कहा कि संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में 11 अक्टूबर 2022 की सैटेलाइट तस्वीरों का जिक्र किया है, जिनमें गुलगांव गांव के पास खारी नदी के खनन पट्टे क्षेत्र में बाधाएं साफ दिखाई दे रही हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि राज्य अधिकारियों ने समय रहते इन रुकावटों को दूर करने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की।

इस पर अदालत का कहना है कि परियोजना प्रबंधक द्वारा दाखिल फोटोग्राफ्स वास्तविक स्थिति को नहीं दिखाते। खननकर्ता ने दावा किया है कि उसने नदी में रास्ता रोकने वाले पत्थर हटा दिए हैं, लेकिन इन बड़े बोल्डरों के अंतिम निपटान का कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।

यह भी बताया गया है कि नदी को अवरुद्ध करने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन जांच में क्या पाया गया, इसकी जानकारी केकड़ी के जिला कलेक्टर और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अदालत को नहीं दी है।

राजस्थान की ओर से पर्यावरण सचिव, खनन और भूविज्ञान निदेशक और परियोजना प्रस्तावक भरत सिंह शेखावत के वकीलों ने इस मामले पर अतिरिक्त जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा। ट्रिब्यूनल ने इसे स्वीकार करते हुए एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में अंतिम सुनवाई 19 दिसंबर, 2025 को होगी।

यह आवेदन गुलगांव ग्राम पंचायत (सावर ब्लॉक, जिला केकड़ी) के सरपंच नीरज चौधरी द्वारा दाखिल किया गया है। आरोप है कि खारी नदी के किनारे पर्यावरण नियमों को ताक पर रख बड़े पैमाने पर अवैध खनन और खनिजों की ढुलाई हो रही है।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि नदी तल में पर्याप्त प्राकृतिक पुनर्भरण न होने के बावजूद लगातार खनिज निकाले जा रहे हैं, जिससे नदी की पारिस्थितिकी, वनस्पति-जीवों, और प्राकृतिक प्रवाह पर गंभीर असर पड़ रहा है। यह भी कहा गया है कि वहां खनन के लिए भारी मशीनें और डंपर-ट्रेलर, ट्रैक्टर तथा अन्य वाहन लगातार इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

कालियासोत जलाशय में अतिक्रमण पर एनजीटी सख्त, मध्य प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में रिपोर्ट तलब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने 4 दिसंबर 2025 को भोपाल स्थित कालियासोत जलाशय पर हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामले की सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान आवेदक सुभाष सी पाण्डेय ने आपत्ति जताई कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर स्थगन आवेदन में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 33 मीटर ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने का दावा किया है, जबकि 3 नवंबर 2025 के एनजीटी आदेश में ऐसी कोई बात दर्ज नहीं थी। इसके उलट, उस आदेश के पहले ही पैरा में कहा गया कि राज्य सरकार ने 17 सितंबर 2025 के निर्देशों का पालन नहीं किया है।

गौरतलब है कि 17 सितंबर 2025 को दिए आदेश में एनजीटी ने भोपाल के कलेक्टर और नगर निगम के मुख्य अधिकारी को निर्देश दिया था कि वे कालियासोत जलाशय पर हुए अतिक्रमणों को तत्काल हटवाएं, पूरी प्रक्रिया कानून के दायरे में रहकर पूरी की जाए और कार्रवाई रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल करें।

आवेदक की दलीलों पर विचार करते हुए, एनजीटी ने मध्य प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपनी सफाई और अपडेटेड रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।