अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
खनन

वर्तमान में असम के उदलगुरी में नहीं चल रही अवैध खनन गतिविधि: रिपोर्ट

15 फरवरी, 2025 को दायर जिला आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि असम के उदलगुरी में किसी प्रकार का अवैध खनन नहीं हो रहा है।

Susan Chacko, Lalit Maurya

15 फरवरी, 2025 को दायर जिला आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि असम के उदलगुरी में किसी प्रकार का अवैध खनन नहीं हो रहा है।

उदलगुरी के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार की जा रही है और इसे अभी तक अंतिम रूप से मंजूरी नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है, "जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट के पूरी तरह से स्वीकृत होने के बाद ही पर्यावरण मंजूरी (ईसी) जारी की जाएगी।"

एनजीटी को सूचित किया गया है कि विस्तृत जानकारी एकत्र करने के बाद जिला प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है और सभी खनन गतिविधियों को रोकने के निर्देश दिए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक उदलगुरी में रेत और बजरी जैसे समृद्ध प्राकृतिक संसाधन हैं, जो इसके भूभाग और पहाड़ी नदियों के कारण हैं। इन सामग्रियों का उपयोग सरकारी परियोजनाओं, पड़ोसी जिलों और व्यक्तिगत जरूरतों के लिए किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे खनिजों का वैज्ञानिक खनन विकास को बढ़ावा दे सकता है और राज्य के राजस्व को बढ़ा सकता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जल संसाधन विभाग बाढ़ संभावित क्षेत्रों में तटबंधों को मजबूत करने के लिए परियोजनाओं पर काम कर रहा है। ताकि आने वाली बाढ़ की स्थिति और जिले भर में मौजूदा तटबंध से जुड़ी समस्याओं से निपटा जा सके। हालांकि, खदानों से सामग्री एकत्र करने पर प्रतिबंध के कारण परियोजनाओं को रोकना पड़ा है।

वहीं याचिकाकर्ता अतनु बोरठाकुर ने दावा किया है कि उदलगुरी जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। इस दौरान पर्यावरण नियमों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक कोई स्वीकृत जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) नहीं है। इसके आभाव में बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियां चल रही हैं।

महाकुंभ: गंगा जल गुणवत्ता मामले में एनजीटी सख्त, अधिकारियों को उपस्थित होने का दिया निर्देश

17 फरवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा जल गुणवत्ता मामले में एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में अदालत ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव और राज्य प्राधिकरण को अगली सुनवाई पर ऑनलाइन पेश होने का निर्देश दिया है।

इस मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी, 2025 को होनी है। यह सभी लोग प्रयागराज में गंगा की जल गुणवत्ता के लिए जिम्मेवार हैं।

मामला प्रयागराज में गंगा और यमुना की जल गुणवत्ता से जुड़ा है। अदालत खास तौर पर माघ और कुंभ मेले के दौरान नदियों में दूषित सीवेज को छोड़े जाने के आरोपों की भी जांच कर रहा था।

गौरतलब है कि 23 दिसंबर, 2024 को एनजीटी ने एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि प्रयागराज में किसी भी नाले के जरिए गंगा और यमुना में दूषित सीवेज न छोड़ा जाए।