फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) 
खनन

अवैध है नागालैंड के वोखा में छह श्रमिकों की जान लेने वाली कोयला खदान: खान सुरक्षा निदेशक

Susan Chacko, Lalit Maurya

नागालैंड के वोखा में चल रही कोयला खदान, खान अधिनियम 1952 के तहत अवैध है। यह बात धनबाद में पूर्वी क्षेत्र के खान सुरक्षा निदेशक द्वारा दायर जवाबी हलफनामे में कही गई है। यह वही खदान है जहां छह श्रमिकों की जान चली गई थी। गौरतलब है कि यह हलफनामा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच द्वारा 30 अप्रैल, 2024 को दिए आदेश के जवाब में दाखिल किया गया है।

गौरतलब है कि यह मामला 27 जनवरी, 2024 को द हिंदू में प्रकाशित एक खबर पर कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजीकृत किया गया था। इस खबर के मुताबिक नागालैंड के वोखा जिले में एक रैट-होल कोयला खदान में आग लगने से छह श्रमिकों की मौत हो गई थी, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इस खबर में क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध रैट-होल खनन का भी जिक्र किया गया है। बता दें कि खनन के इस तरीके में छोटी सुरंगें बनाना शामिल है जो केवल इतनी बड़ी होती हैं कि उसमें एक व्यक्ति रेंगकर जा सकता है और कुदाल से कोयला निकाल सकता है।

खान एवं सुरक्षा महानिदेशक (डीजीएमएस) के मुताबिक, खान के मालिक, एजेंट या प्रबंधक को खनन शुरू करने से कम से कम एक महीने पहले "उद्घाटन की सूचना" प्रस्तुत करनी चाहिए, जैसा कि खान अधिनियम 1952 और कोयला खान विनियम, 2017 द्वारा अपेक्षित है। इस सूचना में खदान की सीमा, शाफ्ट या उद्घाटन, ट्राइजंक्शन या अन्य प्रमुख स्थाई विशेषताओं को दर्शाने वाली योजना शामिल होनी चाहिए। इसका नक्शा और योजना मुख्य निरीक्षक को और उसकी एक प्रति क्षेत्रीय निरीक्षक को भेजी जानी चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खदान मालिक ने न तो खनन गतिविधि और न ही दुर्घटना की सूचना डीजीएमएस को दी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, "नागालैंड राज्य अधिकारियों को भी खदान या दुर्घटना की सूचना नहीं दी गई थी। ऐसे में, इस खदान को खान अधिनियम, 1952 के तहत अवैध माना जा सकता है।" 

आदेश के बावजूद दो साल बाद भी लैती नदी के किनारे चल रही है स्टोन क्रशिंग यूनिट

जलपाईगुड़ी में लैती नदी के किनारे पत्थर तोड़ने वाली इकाई अभी भी चल रही है, जबकि एनजीटी ने 30 मई, 2022 को दो महीने के भीतर अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दिया था। यह बात सुभाष दत्ता ने 28 मई, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक आवेदन में कही है।

दत्ता ने आठ मई, 2024 को साइट का दौरा किया और पाया कि इकाई पूरी तरह से चालू है। उन्होंने अदालत को बताया, "अदालत ने आदेश के दो महीने के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।"

आवेदक का कहना है कि यह इकाई न केवल नदी के बेहद करीब है, बल्कि कलिम्पोंग वन प्रभाग के नोआम वन रेंज कार्यालय के पास वन क्षेत्र में भी है। इस प्रतिबंधित क्षेत्र में इकाई को संचालित करने की अनुमति देने से लोगों के स्वास्थ्य, समुद्री जैव विविधता और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने आवेदन में कहा है कि, "न्यायिक हस्तक्षेप के बिना, इस पर्यावरणीय खतरे का समाधान नहीं किया जा सकता।"

गौरतलब है कि इस मामले में 30 मई, 2022 को एनजीटी ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट से दो महीने के भीतर कार्रवाई करने को कहा था, क्योंकि यह स्टोन क्रशर नदी के 100 फीट के दायरे में चल रहा था, जिसकी अनुमति नहीं है।