प्रतीकात्मक तस्वीर 
खनन

हजारीबाग में 2022-23 के दौरान किया गया 11,753 टन बालू का अवैध खनन, एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

हजारीबाग जिले में 2022-23 के दौरान 11,753 टन अवैध बालू खनन किया गया, 11 वाहन जब्त किए गए और 61.85 लाख रुपयों का जुर्माना वसूला गया

Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आठ अगस्त 2024 को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पर्यावरणीय मुआवजे की गणना करते हुए हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामला बोकारो और हजारीबाग में अवैध बालू खनन से जुड़ा है।

झारखंड में बोकारो के उपायुक्त ने जानकारी दी है कि 2022-23 में 389.6 टन बालू का अवैध खनन किया गया था। इन मामलों में 110 वाहन जब्त किए गए और 78 एफआईआर दर्ज किए गए। वहीं 2023-24 में 5,846 टन बालू का अवैध रूप से खनन किया गया, 78 वाहन जब्त किए गए और मामले में 49 एफआईआर दर्ज किए गए थे।

वहीं हजारीबाग जिले में 2022-23 के दौरान 11,753 टन अवैध बालू खनन किया गया, 11 वाहन जब्त किए गए और 61.85 लाख रुपयों का जुर्माना वसूला गया। 2023-24 में 174 टन अवैध बालू खनन किया गया, 31 वाहन जब्त हुए और 47.16 लाख रुपयों का जुर्माना वसूला गया था।

जहानाबाद में फिलहाल नहीं है कोई भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: रिपोर्ट

बिहार के जहानाबाद में फिलहाल कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है। हालांकि, जहानाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने अपने हलफनामे में जानकारी दी है कि अमृत 2.0 परियोजना के तहत 17 एमएलडी और सात एमएलडी क्षमता वाले दो एसटीपी को मंजूरी दी गई है।

यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 11 जनवरी, 2024 को दिए आदेश पर कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट में सामने आई है।

वहीं जहानाबाद नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने जानकारी दी है कि दरधा नदी के पास पांच कूड़ा डंपिंग स्थल हैं, जहां स्थानीय लोग 20 वर्षों से अधिक समय से कूड़ा फेंक रहे हैं। इनमें से तीन स्थलों को साफ कर दिया गया है, और एक को साफ किया जा रहा है। वहीं आखिरी स्थल को अगली गर्मियों में साफ किया जाएगा, जब नदी सूख जाएगी, क्योंकि तब तक वहां पहुंचना संभव नहीं है।

जहानाबाद के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और सर्किल ऑफिसर ने बताया है कि नदी किनारे 189 अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई है। इनमें से 137 भूमिहीन हैं और 52 के पास जमीन है। इनमें से अब तक 32 जमीन मालिकों को हटाया जा चुका है और उनके अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया है।

सालबोनी झील पर अतिक्रमण के मामले में एनजीटी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने अधिकारियों से सालबोनी झील पर हो रहे अतिक्रमण और प्रदूषण की शिकायतों पर गौर करने का निर्देश दिया है। मामला पश्चिम बंगाल के कोलकाता का है।

इस मामले में साथ अगस्त, 2024 को एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता नगर निगम, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पूर्वी रेलवे प्राधिकरण को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। इन सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देना होगा। मामले में अगली सुनवाई 13 सितंबर, 2024 को होनी है।

गौरतलब है कि सालबोनी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने सालबोनी झील के जीर्णोद्धार की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था। उन्होंने कहा कि झील का इस्तेमाल कभी मछली पकड़ने के लिए किया जाता था, लेकिन 2018 से रखरखाव की कमी के चलते मछली पकड़ने का कोई काम नहीं हुआ है। अब, झील लगभग सूख और विलुप्त हो चुकी है।

16 मई, 2017 को इस जल निकाय के एक हिस्से पर नोटिस चिपकाया गया था, जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल मत्स्य अधिनियम, 1993 के तहत इस झील का नियंत्रण और प्रबंधन कोलकाता नगर निगम आयुक्त के अधीन है।

यह भी जानकारी दी गई है कि कोलकाता नगर निगम ने रेलवे से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगा था, क्योंकि जल निकाय का एक हिस्सा सियालदह में पूर्वी रेलवे का हिस्सा है, जिसके लिए मंजूरी दे दी गई थी।

यह भी बताया गया है कि कोलकाता नगर निगम, रोसोगोला बस्ती में 384 घर बनाने की योजना बना रहा है, जो करीब 20,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है। जलाशय इस बस्ती के पीछे स्थित है। पूरी परियोजना करीब 4.65 एकड़ में फैली हुई है, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि जलाशय पर निगम द्वारा अतिक्रमण किया जा सकता है।

20 मार्च 2024 को, निकटवर्ती इलाके के एक निवासी ने ईस्ट कोलकाता वेटलैंड मैनेजमेंट अथॉरिटी को एक शिकायत भेजी थी। इस शिकायत में स्थानीय निवासियों की चिंताओं को उजागर किया गया, जिसमें कहा गया था कि जलाशय के रखरखाव और मछली पकड़ने की गतिविधियां बंद हो गई हैं, और जलाशय की प्रकृति और चरित्र को बदलने की कोशिश की जा रही है।