महिला जननांग विकृति (एफजीएम) से बचे लोगों के स्वास्थ्य पर हर साल लगभग 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता दिवस: हर साल 20 लाख से अधिक लड़कियां बनती हैं शिकार

साल 2025 में दुनिया भर में 44 लाख से अधिक लड़कियों या हर दिन लगभग 12,200 को जननांग विकृति के खतरे की आशंका जताई गई है

Dayanidhi

हर साल छह फरवरी को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। जननांग विच्छेदन के कारण लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

आमतौर पर नाबालिगों पर किया जाने वाला जननांग विच्छेदन न केवल स्वास्थ्य, शारीरिक अखंडता और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि अमानवीय भी है जिसके कारण अक्सर मृत्यु भी हो जाती है।

महिला जननांग विकृति (एफजीएम) में वे सभी प्रक्रियाएं शामिल हैं जिनमें बिना चिकित्सीय कारणों से महिला जननांग में बदलाव या उसे नुकसान पहुंचाया जाता है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जिन लड़कियों को महिला जननांग विकृति से गुजरना पड़ता है, उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे भयंकर दर्द, सदमा, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण और पेशाब करने में कठिनाई आदि। साथ ही उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ता है।

मुख्य रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व के 30 देशों में महिला जननांग विकृति एक गंभीर मुद्दा है और एशिया और लैटिन अमेरिका के कुछ देशों में भी इसका प्रचलन है। पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रहने वाली अप्रवासी आबादी के बीच महिला जननांग विकृति अभी भी जारी है।

पिछले तीन दशकों में, विश्व स्तर पर एफजीएम का प्रचलन कम हुआ है। आज, 30 साल पहले की तुलना में एक लड़की के एफजीएम से गुजरने के आसार एक तिहाई कम है। हालांकि बीमारी के प्रकोप, जलवायु परिवर्तन, सशस्त्र संघर्ष और अन्य मानवीय संकटों के सामने इन उपलब्धियों को बनाए रखना लैंगिक समानता हासिल करने और 2030 तक एफजीएम को खत्म करने की दिशा में हुई प्रगति को पीछे धकेल सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, आज जीवित 20 करोड़ से अधिक लड़कियां और महिलाएं महिला जननांग विच्छेदन से गुजर चुकी हैं। इस साल, लगभग 44 लाख लड़कियां इस हानिकारक प्रथा के खतरे में होंगी। इसका मतलब है कि हर दिन 12,000 से अधिक मामले सामने आ सकते हैं।

महिला जननांग विकृति के उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए समन्वित और व्यवस्थित प्रयासों की जरूरत है और इसमें पूरे समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए। मानव अधिकारों, लैंगिक समानता, यौन शिक्षा और उन महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो इसके कारण पीड़ित हैं।

इस कुप्रथा के क्या होते हैं परिणाम

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज 23 करोड़ से अधिक लड़कियां और महिलाएं जीवित हैं जो एफजीएम से बची हुई हैं और उन्हें उचित देखभाल सेवाओं की जरूरत है।

ऐसा अनुमान है कि यदि कार्रवाई में तेजी नहीं लाई गई तो 2030 तक 2.7 करोड़ अतिरिक्त लड़कियों के एफजीएम से पीड़ित होने का खतरा है।

हर साल 20 लाख से अधिक लड़कियां अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही जननांग विच्छेदन की शिकार हो जाती हैं।

महिला जननांग विकृति (एफजीएम) से बचे लोगों की बेटियों को एफजीएम से गुजरने का खतरा उन महिलाओं की बेटियों की तुलना में काफी अधिक होता है, जिन्होंने एफजीएम नहीं करवाया है।

दुनिया भर में साल 2025 में, 44 लाख से अधिक लड़कियों या हर दिन लगभग 12,200 को जननांग विकृति के खतरे की आशंका जताई गई है।

एफजीएम से बचे लोगों के स्वास्थ्य पर हर साल लगभग 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है।