विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा विश्व फार्मासिस्ट दिवस हर साल 25 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया में दवा विक्रेताओं की अहम भूमिका को पहचान दिलाना है। हर साल इस अभियान की अगुवाई अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा की जाती है।
फार्मासिस्ट हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के अभिन्न अंग हैं, जो अक्सर स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए संपर्क का शुरुआती केंद्र होते हैं, साथ ही वे कई अलग-अलग तरीकों से हमारी आबादी की स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
जैसा कि कोविड -19 महामारी के दौरान देखा गया, फार्मासिस्ट स्थानीय और दुनिया भर में स्वास्थ्य संकटों से निपटने में सबसे आगे हैं।
विश्व फार्मासिस्ट दिवस 2009 में एफआईपी परिषद द्वारा अपनाया गया था। 2020 में, एफआईपी ने विश्व फार्मेसी सप्ताह भी बनाया, जो पूरे पेशे के उत्सवों का आगे बढ़ता है और फार्मेसी पेशे के सभी क्षेत्रों को शामिल करता है।
फार्मासिस्ट रोगियों की देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए विशेषज्ञता प्रदान करने के अलावा जांच परीक्षणों और सहायक उत्पादों सहित आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों तक पहुंच सुनिश्चित करते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। रोग की रोकथाम को बढ़ावा देना, जैसे कि टीके लगाना, स्वास्थ्य की जांच करना, रोगियों को शिक्षित करना और स्वास्थ्य साक्षरता में सुधार करने में मदद करना इस साल विश्व फार्मासिस्ट दिवस द्वारा सामने लाए गए प्रमुख मुद्दे हैं।
160 राष्ट्रीय संगठनों, इनसे जुड़े संगठनों और सदस्यों के माध्यम से, अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) 40 लाख से अधिक फार्मासिस्टों और फार्मास्युटिकल वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करता है। एफआईपी का उद्देश्य दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों को पूरा करना है। अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) 1948 से विश्व स्वास्थ्य संगठन का सहयोगी है।
अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा बनाई गई नई नीति में तम्बाकू की लत छुड़ाने में फार्मासिस्टों की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि गैर-संचारी रोगों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए फार्मासिस्टों को तम्बाकू और निकोटीन के उपयोग को रोकने में अहम भूमिका निभानी होगी।
नई नीति में फार्मासिस्टों, दवा संगठनों, फार्मेसी से संबंधित शिक्षकों, सरकारों, नीति-निर्माताओं, नियामक एजेंसियों और स्वास्थ्य सेवा के वित्तपोषणकर्ताओं के लिए सिफारिशें की गई हैं, ताकि तम्बाकू और निकोटीन के उपयोग को रोकने में फार्मेसी से जुड़े लोगों की भूमिका को सुविधाजनक बनाया जा सके।
एफआईपी की तरह भारत में ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) की स्थापना 1975 में हुई थी। यह भारत में दवा व्यापारियों से जुड़ा एक संगठन है। देश भर में इसके 12.40 लाख सदस्य हैं, जिनमें केमिस्ट और ड्रगिस्ट या फार्मासिस्ट शामिल हैं।