अग्नाशय के कैंसर में सभी विभिन्न प्रकार के कैंसरों में से जीवित रहने की दर सबसे कम है। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

दुनिया मना रही है आज विश्व अग्नाशय कैंसर दिवस, मौत का सातवां सबसे आम कारण बना

भारत में कुल मिलाकर हर एक लाख की आबादी में लगभग दो से 2.5 लोग अग्नाशय के कैंसर से जूझते हैं। देश में इसके मामले बढ़ रहे हैं और यह भारत के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में ज्यादा देखा जा रहा है।

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हर साल नवंबर के तीसरे गुरुवार को, विश्व अग्नाशय कैंसर दिवस के लिए बेहतर उपचार, जांच और शोध के समर्थन में दुनिया बैंगनी रंग में रंग जाती है। यह आयोजन अग्नाशय कैंसर जागरूकता माह के दौरान होता है और यह अग्नाशय कैंसर के खतरों के बारे में जानकारी फैलाने और कार्रवाई करने के लिए एक अहम दिन है।

पिछली आधी सदी में कैंसर के मामलों में भारी वृद्धि हुई है और यह खतरनाक बीमारी पहले की तुलना में कहीं अधिक आम हो गई है। ग्लोबोकैन के मुताबिक, दुनिया भर में कैंसर के सालाना 1.81 करोड़ नए मामले सामने आते हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के मुताबिक, साल 2023 में भारत में कैंसर के मामले 1,496,972 रही, जबकि 2022 में यह संख्या 1,461,427 थी। 2022 में पेट के कैंसर के लगभग 52,706 मामले थे जो 2023 में बढ़कर 54,023 पहुंच गए।

अग्नाशय कैंसर दुनिया भर में मौत का सातवां सबसे आम कैंसर है और भारत में यह 14वां है। देश में कुल मिलाकर हर एक लाख की आबादी में लगभग दो से 2.5 लोग इससे जूझते हैं। भारत में इसके मामले बढ़ रहे हैं और यह भारत के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में ज्यादा देखा जा रहा है।

दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई यह है कि अग्नाशय के कैंसर में सभी विभिन्न प्रकार के कैंसरों में से सबसे कम जीवित रहने की दर है। पहचाने गए लोगों में से केवल तीन से पांच ही पांच साल तक जीवित रहते हैं। पिछले 40 सालों में अधिकतर अन्य प्रकार के कैंसर के लिए जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है, लेकिन अग्नाशय के कैंसर के लिए नहीं। इसलिए अपनी भूमिका निभाना बहुत महत्वपूर्ण है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, अग्नाशय के कैंसर का सबसे आम लक्षण दर्द होना है, यह दर्द आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तेज दर्द या हल्का दर्द हो सकता है जो आपको अपनी पीठ तक जाता हुआ महसूस हो सकता है। बेशक सभी पेट दर्द कैंसर नहीं होते हैं और अगर यह बार-बार या पुराना हो तो दर्द को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

एक और चिंताजनक लक्षण वजन कम होना है। अगर आप बिना प्रयास किए वजन कम होने का अनुभव कर रहे हैं, तो यह चिंता का विषय हो सकता है और आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि अग्नाशय पाचन में भी भाग लेता है, इसलिए बार-बार अपच, वजन कम होने के साथ ढीले मल की समस्या आपके प्राथमिक चिकित्सक से जांच करवाने की मांग करती है।

विश्व अग्नाशय कैंसर कार्यक्रम की स्थापना 2015 में विश्व अग्नाशय कैंसर गठबंधन की पहल के रूप में की गई थी। साठ से अधिक विभिन्न संगठनों और एजेंसियों से मिलकर बनी यह वैश्विक साझेदारी संचार को बढ़ावा देने, अनुसंधान का समर्थन करने और दुनिया भर में अग्नाशय के कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करती है।

अग्नाशय के कैंसर के खतरे को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव

अग्नाशय के कैंसर के खतरों को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। बदलने वाला और न बदलने वाला।

बदलने वाले के खतरों में शराब, धूम्रपान, तम्बाकू उत्पादों का सेवन, संतृप्त वसा से भरपूर आहार, मटन या बीफ जैसे लाल मांस का अधिक सेवन, तंदूरी जैसे स्मोक्ड और नमकीन खाद्य पदार्थ और फलों को कम खाना है।

अगर इन बदले जा सकने वाले जोखिमों से बचें और हरी व लाल सब्जियों और फलों से भरपूर आहार, नियमित खान-पान और व्यायाम या योग के साथ स्वस्थ जीवन जिएं, तो अग्नाशय के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

न बदले जा सकने वाले जोखिमों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन, पारिवारिक इतिहास और अग्नाशय के कैंसर के विकास के लिए प्रवण जाति से संबंधित होना शामिल है। इन श्रेणियों के लोगों को नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए और बदले जा सकने वाले जोखिम कारणों से बचना चाहिए।