स्वास्थ्य

विश्व श्रवण दिवस विशेष: श्रवण क्षमता पर मंडराते खतरे से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ ने जारी किए नए मानक

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2050 तक करीब 250 करोड़ लोगों की कुछ हद तक सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वहीं इनमें से करीब 70 करोड़ लोगों को श्रवण क्षमता में सुधार के लिए इलाज की जरुरत होगी

Lalit Maurya

दुनिया भर में लोगों की सुनने की क्षमता और बहरेपन की समस्या से बचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नया मानक जारी किया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी यह नया मानक उन स्थानों और गतिविधियों पर लागू होता है, जहां तेज आवाज में संगीत बजाया जाता है।

गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने यह नया मानक विश्व श्रवण दिवस 2022 से ठीक पहले जारी किया है जो हर साल 03 मार्च को मनाया जाता है। इस बार विश्व श्रवण दिवस की थीम "जीवन भर सुनें, ध्यान से सुनें" है। 

लम्बे समय तक तेज संगीत और अन्य तरह के शोर के संपर्क में आने का खतरा कितना गंभीर है उसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इस शोर की वजह से दुनिया में करीब 12 से 35 वर्ष के 100 करोड़ लोगों पर स्थाई तौर पर बहरा होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है साथ ही शिक्षा और रोजगार की संभावनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2050 तक करीब 250 करोड़ लोगों की कुछ हद तक सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वहीं इनमें से करीब 70 करोड़ लोगों को श्रवण क्षमता में सुधार के लिए इलाज की जरुरत होगी। गौरतलब है कि सुनने की क्षमता में कमी का आना अथवा बहरापन ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति अपनी सुनने की क्षमता खो देता है।    

इस बारे में डब्ल्यूएचओ के नॉन कम्युनिकेबल डिजीज डिपार्टमेंट की निदेशक बेंट मिकेलसन का कहना है कि निजी ऑडियो उपकरणों के असुरक्षित उपयोग और नाइटक्लब, बार, संगीत कार्यक्रम और खेल आयोजनों जैसे स्थलों पर तेज शोर के संपर्क में आने के कारण लाखों किशोरों और युवाओं की श्रवण क्षमता को नुकसान होने का खतरा है।

उनके अनुसार यह जोखिम पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि अधिकांश ऑडियो डिवाइस, वेन्यू और इवेंट में ध्वनि का सुरक्षित स्तर क्या होना चाहिए इसका विकल्प नहीं प्रदान करते। उनके अनुसार इस नए मानक का उद्देश्य युवाओं को भीतर सुरक्षा प्रदान करना है।  

क्या कहता है यह नया मानक

स्थानों और कार्यक्रमों में सुनने की क्षमता पर बढ़ते जोखिम को सीमित करने के लिए जो छह नई सिफारिशें जारी की गई हैं उनका उद्देश्य सुनने के सुखद अनुभव को सुनिश्चित करते हुए ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते जोखिम को सीमित करना है। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी यह छह सिफारिशें हैं:

  • ध्वनि के औसत स्तर को अधिकतम 100 डेसिबल सुनिश्चित करना।
  • जांच उपकरणों की मदद से निर्धारित कर्मचारियों द्वारा ध्वनि स्तर की लाइव निगरानी और रिकॉर्डिंग।
  • सुनने के सुखद और सुरक्षित अनुभव के लिए स्थलों पर साउंड सिस्टम को बेहतर बनाना।
  • दर्शकों के लिए उपयोग सम्बन्धी निर्देश जारी करना और व्यक्तिगत श्रवण सुरक्षा उपलब्ध कराना।
  • कानों को आराम देने और श्रवण क्षमता के जोखिम को कम करने के लिए शांत क्षेत्रों तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना।
  • कर्मचारियों के लिए जानकारी और प्रशिक्षण का प्रावधान। 

यह नया मानक डब्ल्यूएचओ की 'मेक लिसनिंग सेफ' पहल के तहत विकसित किया गया है। जिसका उद्देश्य विशेषतौर पर युवाओं के लिए सुनने के सुखद अनुभव को बेहतर बनाना है। डब्ल्यूएचओ का यह मानक सरकारों को सुरक्षित ध्वनि के लिए कानून विकसित और लागू करने और श्रवण क्षमता पर जोखिमों के बारे में जागरूक बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

निजी क्षेत्रों को भी चाहिए की वो अपने उत्पादों, स्थानों और कार्यक्रमों में सुनने की सुविधाओं को सुरक्षित करने के लिए इन सिफारिशों को लागू करे। इसके साथ ही लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक संगठनों, माता-पिता, शिक्षकों और चिकित्स्कों की भी जिम्मेवारी है कि वो युवाओं को श्रवण सम्बन्धी सुरक्षित आदतों के लिए शिक्षित करें। 

इस बारे में डब्ल्यूएचओ के सहायक महानिदेशक डॉ रेन मिंगहुई का कहना है कि सरकार, सामाजिक संगठन और निजी संस्थाओं जैसे पर्सनल ऑडियो डिवाइस, साउंड सिस्टम और वीडियो गेमिंग उपकरण के निर्माताओं के साथ-साथ मनोरजन स्थलों और आयोजनों के मालिकों और प्रबंधकों की इस नए वैश्विक मानक की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।