हर साल 28 अप्रैल को कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वस्थ कार्य वातावरण को बढ़ावा देना है। 2003 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा शुरू किया गया यह दिवस कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों और कर्मचारी कल्याण की वकालत करने वाला एक वैश्विक आंदोलन बन गया है।
साल 2003 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वस्थ कार्य वातावरण को बढ़ावा देने के लिए इस दिन की स्थापना की गई थी। 28 अप्रैल को 1996 से ट्रेड यूनियन आंदोलन द्वारा दुनिया भर में आयोजित मृत और घायल श्रमिकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्मरण दिवस भी है।
यह दिन आईएलओ की व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर वैश्विक रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा है, जैसा कि जून 2003 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के निष्कर्षों में कहा गया है। वैश्विक रणनीति के मुख्य स्तंभों में से एक वकालत है, कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस काम को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के तरीके और व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक अहम साधन है।
यह दिन कार्यस्थल पर सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और काम से जुड़ी बीमारियों या दुर्घटनाओं को रोकने के महत्व को याद दिलाता है। यह सरकारों, कर्मचारियों और अन्य लोगों के बीच व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (ओएसएच) नीतियों और प्रथाओं को विकसित करने और लागू करने के लिए संवाद को प्रोत्साहित करता है।
यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट के अनुसार, हर साल लगभग 27.8 लाख कर्मचारी काम से जुड़ी दुर्घटनाओं और बीमारियों से मरते हैं। इनमें से एक बड़ा हिस्सा काम से जुड़ी बीमारियों के कारण होता है। इसके अलावा 37.4 लाख कर्मचारी बिना घातक दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। यह असुरक्षित और अस्वस्थ कार्य स्थितियों के कारण हर दिन 7,500 श्रमिकों की मृत्यु के बराबर है। जबकि व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (ओएसएच) खतरे सभी कार्यस्थलों से जुड़े हैं। ये संख्याएं मजबूत सुरक्षा की तत्काल जरूरत को सामने लाता है।
इस दिन का उद्देश्य रोकथाम की संस्कृति बनाना भी है। व्यवसायों, ट्रेड यूनियनों, सरकारों और व्यक्तियों को स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करके, यह कार्यक्रम ऐसे कार्यस्थलों के निर्माण को बढ़ावा देता है जहां खतरे कम से कम हो और कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता दी जाए।
दुनिया बिजली की गति से तकनीकी और डिजिटलीकरण के इर्द-गिर्द विकसित हो रही है। डिजिटलीकरण द्वारा प्रस्तुत अवसरों और चुनौतियों को हल करके, हम दुनिया भर में एक स्वस्थ कार्यस्थल के वातावरण का सपना देख सकते हैं।
कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस 2025 की थीम "स्वास्थ्य और सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव: कार्यस्थल पर एआई और डिजिटलीकरण की भूमिका" है। यह थीम व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (ओएसएच) पर उभरती तकनीकों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देती है।
भारत में कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य
भारतीय संविधान के तहत, श्रम समवर्ती सूची का विषय है। इसका मतलब है कि केंद्र और राज्य दोनों के पास श्रम से संबंधित कानून बनाने की शक्ति है। देश में कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य को मुख्य रूप से श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत महानिदेशालय कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान (डीजीएफएएसएलआई) द्वारा नियमित किया जाता है।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (ओएसएच कोड): यह कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों से संबंधित विभिन्न 13 पिछले कानूनों को सरल बनाने वाला पहला कानून है, जैसे कि कारखाना अधिनियम, 1948, अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970, खान अधिनियम, 1952, डॉक श्रमिक (सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण) अधिनियम, 1986, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, आदि।