महिलाएं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से डिमेंशिया से असमान रूप से प्रभावित होती हैं।  फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

विश्व अल्जाइमर दिवस: गरीब देशों में 60 फीसदी से ज्यादा लोग हैं डिमेंशिया व अल्जाइमर से पीड़ित

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया या मनोभ्रंश का सबसे आम रूप है और 60 से 70 फीसदी मामलों में यह इस रोग के लिए जिम्मेवार होता है।

Dayanidhi

हर साल 21 सितंबर को डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग से जुड़ी समस्याओं से मुकाबला करने और इन विकारों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। यह अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों, उनके परिवार और देखभाल करने वालों द्वारा सामना की जानी वाली कठिनाइयों के बारे में दुनिया भर में लोगों को जागरूक करने और शिक्षित करने का दिन है।

साल 2024 में विश्व अल्जाइमर दिवस की थीम "डिमेंशिया पर कार्रवाई करने का समय, अल्जाइमर पर कार्रवाई करने का समय" है। इस साल की पहल डिमेंशिया से जुड़ी समस्याओं और भेदभाव को खत्म करने और बीमारी के बारे में लोगों की धारणा को बदलने पर आधारित है। यह उन रचनात्मक कदमों पर भी प्रकाश डालता है जो दुनिया भर की सरकारें और संगठन एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए उठा रहे हैं जो अल्जाइमर के लिए अधिक अनुकूल है।

क्या है अल्जाइमर रोग, किस तरह से नुकसान पहुंचाता है?

अल्जाइमर रोग एक दिमागी विकार है जो लगातार बढ़ता है, स्मृति, विचार प्रक्रियाओं और व्यवहार पैटर्न जैसे सोचने, समझने तथा दिमागी कार्यों को प्रभावित करता है। इसके कारण दिमाग के भीतर तंत्रिका कोशिकाओं या न्यूरॉन्स को नुकसान होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, न्यूरॉन्स संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं, संचार और शारीरिक गतिशीलता सहित विभिन्न मानवीय गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अल्जाइमर रोग के संदर्भ में, शुरुआती न्यूरोनो के नुकसान मुख्य रूप से स्मृति, भाषा और विचार प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क के हिस्सों पर बुरा असर डालता है।

कुल मिलाकर अल्जाइमर रोग मनुष्य की स्पष्ट संचार क्षमता पर बुरा असर डालता है। रोगी व्यक्ति को बातचीत के दौरान संदेश दोहराने में कठिनाई हो सकती है या उचित वाक्यांशों को आगे रखने में कठिनाई हो सकती है। उन्हें लिखना भी चुनौतीपूर्ण लग सकता है और वे ऐसी बातें कह सकते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया या मनोभ्रंश का सबसे आम रूप है और 60 से 70 फीसदी मामलों में यह इस रोग के लिए जिम्मेवार होता है।

महिलाएं प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से डिमेंशिया से असमान रूप से प्रभावित होती हैं। डिमेंशिया के कारण महिलाओं को विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष और मृत्यु दर अधिक होती है, लेकिन वे डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की देखभाल के लिए 70 फीसदी तक समय भी देती हैं।

डब्ल्यूएचओ के आकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 5.5 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिनमें से 60 फीसदी से ज्यादा लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। हर साल, लगभग एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं।

अल्जाइमर के इतिहास की बात करें तो अल्जाइमर रोग को इंटरनेशनल (एडीआई) ने 1994 में पहली बार विश्व अल्जाइमर दिवस की शुरुआत करके संगठन की दसवीं वर्षगांठ मनाई। अल्जाइमर एसोसिएशनों के वैश्विक महासंघ, एडीआई का उद्देश्य दुनिया भर में अल्जाइमर रोग और संबंधित मनोभ्रंश के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इस बीमारी के बढ़ते प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा प्रभावित लोगों के लिए शीघ्र निदान और सहायता के महत्व को समझाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य साझेदारों ने मिलकर इस दिवस की स्थापना की।