स्वास्थ्य

वन्यजीव व्यापार से कोविड-19 जैसी महामारियों में हो सकता है इजाफा

Dayanidhi

कोविड-19 जैसी कई बीमारियां जानवरों से लोगों में फैली है, जिसके कई गंभीर परिणाम सामने आए हैं। एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल का कहना है कि पशुओं में पाए जाने वाले इन वायरसों को फैलने से रोकने के लिए जब तक तत्काल कार्रवाई नहीं की जाए, तब तक और अधिक महामारियों के फैलने के आसार हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में होने वाली महामारियों से बचाव करना और भी कठिन हो सकता है। इसलिए अभी से पर्याप्त कदम उठाने आवश्यक है, इसमें सरकारों से वन्यजीवों के व्यापार, लोगों से वन्यजीवों के आवासों की सुरक्षा, वन्यजीवों और घरेलू पशुओं के बीच संपर्क को कम करने जैसे प्रभावी कानूनों को लागू करना शामिल है।

रोग फैलाने वाले (पैथोजन) से होने वाली संक्रामक बीमारी किसी एक जीवाणु, वायरस या परजीवी से होती है, जो जानवरों से लोगों में फैलता है इसे "ज़ूनोसिस" के रूप में जाना जाता है। वन्यजीव या पशुओं से उत्पन्न रोगों ने पिछले तीस वर्षों में अधिकतर लोगों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसी बीमारियों में इबोला, एड्स और सार्स शामिल हैं। कोविड-19 इन जूनोटिक रोगों में से एक है और वर्तमान में फैली एक ऐसी महामारी है जिसके कारण दुनिया भर में करोड़ों मौतें हुई हैं।

इस तरह के प्रकोप के फैलने के दो मुख्य कारण है जिसमें वन्यजीव व्यापार और प्राकृतिक आवास का तोड़ा जाना शामिल है, दोनों ही मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच सीधे संपर्क को बढ़ाते हैं। इसके अलावा बढ़ती मानव आबादी, उनकी बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक आवासों में रहने, उनका उपयोग करने की मंजूरी दी जा रही है, जो पशुओं और लोगों में जूनोटिक रोग फैलाने वाले जंगली जानवरों के साथ निकट संपर्क को बढ़ावा दे रहा है। इन दो कारणों के बारे में गहन विचार करने से भविष्य में होने वाली बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन इकोलॉजी एंड ऐवोलुशन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

यह स्वीकार करते हुए कि कोविड-19 बाजार में बिक रहे वन्यजीवों से फैला हो सकता है। चीन, वियतनाम और कोरिया की सरकारों ने प्रकोप के बाद से वन्यजीव व्यापार को नियंत्रित करने के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे वन्यजीवों से फैलने वाली बीमारियों पर रोक लगने के साथ-साथ इनके संरक्षण को भी मदद मिलेगी। वन्यजीव व्यापार के नियमों में दुनिया भर में बदलाव किए जाने की आवश्यकता है।

हालांकि अध्ययनकर्ता वन्यजीव बाजारों पर अचानक पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इससे वंचित, प्रवासी और ग्रामीण आबादी पर असमान रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा जो कि अपने निर्वाह के लिए ऐसे बाजारों पर निर्भर करते हैं। क्या उपाय किए जाए इन पर विस्तार से विचार किया जाना चाहिए, जिसमें स्थानीय समुदायों के साथ काम करने वाली सरकारों का शामिल होना, उचित प्रतिबंधों से पहले निर्वाह के वैकल्पिक साधनों को बनाने और बनाए रखने के लिए-विशेष रूप से जीवित जानवरों और खाने में उपयोग नहीं किए जाने वाले वन्यजीव उत्पादों पर विचार किया जाना चाहिए।

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ गोटिंगन, वन्यजीव विज्ञान विभाग के डॉ. तृष्णा दत्ता कहती है कि दुनिया भर में कोरोनावायरस महामारी ने रोग प्रबंधन करने में काफी ऊर्जा लगी है, कुछ हद तक देशों ने इस पर काबू भी पाया है। लेकिन भविष्य में होने वाले प्रकोप को रोकने के लिए, यह कैसा रूप लेगा, इसके लिए तैयारी करने की आवश्यकता है। साथ ही प्राकृतिक दुनिया के साथ लोगों के रिश्ते में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है।