एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कुछ रोगियों को आमतौर पर एंटीबायोटिक, एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट लेने के बाद दस्त लग जाते हैं। इस एंटीबायोटिक को सामान्यतया ऑगमेंटिन के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग दुनिया भर में काफी मात्रा में किया जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः निमोनिया और मूत्र के मार्ग के संक्रमण सहित कई तरह के संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है। यह अध्ययन सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल (एसजीएच) और सिंगापुर-एमआईटी एलायंस फॉर रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी ने मिलकर किया है।
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि आंत के अंदर, बैक्टीरिया का एक परिवार, जो किसी व्यक्ति के पेट संबंधी स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, एंटीबायोटिक उपचार के बाद अतिसार के परिणामों से प्रभावित होता है।
यह समस्या उन रोगियों के लिए बहुत सामान्य है जो एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट नहीं ले सकते हैं क्योंकि इनको लेने से उन्हें दस्त लग सकते हैं। भले ही यह उनके संक्रमण के लिए एक प्रभावी और किफायती एंटीबायोटिक ही क्यों न हो।
अध्ययनकर्ता ने कहा यह अध्ययन एंटीबायोटिक के उपयोग से जिन लोगों को दस्त लगने के खतरे बढ़ सकते हैं उनकी पहचान करने में हमारी मदद कर सकता है। संक्रामक रोग विभाग में सलाहकार और अध्ययनकर्ता डॉ शिरीन कलीमुद्दीन ने कहा भविष्य में इस तरह के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने या इससे बचने के लिए उपचार की रणनीतियां तैयार करनी चाहिए।
अध्ययन के लिए कुल 30 स्वस्थ स्वयंसेवकों की भर्ती की गई। उनमें से प्रत्येक को एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट का तीन दिवसीय कोर्स करवाया गया। उनके मल के नमूने चार सप्ताह के निर्धारित दिनों पर एकत्र किए गए थे, अध्ययन अवधि के दौरान आंत माइक्रोबायोम में परिवर्तन देखने के लिए जीन अनुक्रमण का उपयोग करके विश्लेषण किया गया था।
परिणामों से पता चला है कि अध्ययन में स्वयंसेवकों के मल में रुमिनोकोकेसी का स्तर, जिसके कारण दस्त होते है, उन लोगों की तुलना में काफी कम था, जिन्होंने एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट के उपचार से पहले और उपचार के दौरान दोनों में नहीं किया था। इससे पता चलता है कि व्यक्ति, अपनी आंत की संरचना के आधार पर, एंटीबायोटिक से जुड़े दस्त के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
टीम ने आगे एक साधारण पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) परीक्षण तैयार किया, जो कि रुमिनोकोकेसी परिवार के भीतर एक प्रजाति, फेकैलिबैक्टेरियम प्रुसनिट्ज़ी के स्तर पर आधारित है, जिसका संभावित रूप से नैदानिक सेटिंग्स में उपयोग किया जा सकता है ताकि एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट उपचार के साथ दस्त के विकास के किसी व्यक्ति के जोखिम को जल्दी से निर्धारित किया जा सके।
एमआईटी में जैविक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जे. अल्म ने कहा लोग दवा के लिए अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। इस प्रतिक्रिया को समझने और खतरे वाले लोगों का अनुमान लगाने की क्षमता पॉइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक के विकास को निर्देशित करने में मदद करेगी।
प्रोफेसर अल्म ने कहा हालांकि इस बात पर बहुत गौर किया गया कि डीएनए किसी व्यक्ति की दवा के प्रति प्रतिक्रिया को कैसे प्रभावित करता है, मानव दवा प्रतिक्रिया पर आंत माइक्रोबायोम के प्रभाव का व्यापक रूप से शोध नहीं किया गया है। हमारे निष्कर्ष इस बात का प्रमाण देते हैं कि एक व्यक्ति की आंत माइक्रोबियल संरचना जोखिम को प्रभावित कर सकती है। एंटीबायोटिक से जुड़े डायरिया के विकास के लिए एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट के खिलाफ परीक्षण किया गया। अध्ययन एंटीबायोटिक दवाओं के अन्य वर्गों के संबंध में एंटीबायोटिक के कारण होने वाले दस्त के अन्य संभावित कारणों की पहचान करने के लिए जानकारी प्रदान करता है।
दुनिया भर में एमोक्सिसिलिन-क्लैवुलनेट के उपयोग से हर तीन रोगियों में से एक को दस्त लगते हैं। कुछ मामलों में दस्त इतने गंभीर हो सकते हैं कि डॉक्टरों को समय से पहले एंटीबायोटिक को रोकना पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप संक्रमण का पूरी तरह से उपचार नहीं हो पता है, या किसी अन्य एंटीबायोटिक का उपयोग करने की आवश्यकता होती है जो इनसे अधिक महंगा हो सकता है। डायरिया के मरीज लंबे समय तक अस्पताल में रह सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।
अब इस बात की जानकारी है, उसके आधार पर, टीम अब यह देखने के लिए नैदानिक परीक्षण करने की उम्मीद करती है कि क्या रुमिनोकोकेसी परिवार के भीतर बैक्टीरिया की कुछ प्रजातियों को एंटीबायोटिक लेने वाले रोगियों में दस्त को रोकने के लिए प्रोबायोटिक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अध्ययन साइंटिफिक जर्नल आईसाइंस में प्रकाशित हुआ है।