स्वास्थ्य

किडनी रोगों के नियंत्रण के लिए समग्र नीति जरूरी: शोध

बीमारी के गंभीर चरणों में देखभाल के तौर-तरीकों में सुधार बेहद जरूरी है और इसके लिए कम लागत वाली डायलिसिस तकनीक का विकास महत्वपूर्ण हो सकता है

Umashankar Mishra

भारत में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में किडनी रोग मुख्य रूप से शामिल हैं। किडनी रोगों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए एक समग्र नीति की जरूरत है, जिसमें स्थानीय कारकों की पहचान, स्वच्छता एवं साफ पेयजल जैसे मापदंडों में सुधार और डायलिसिस रजिस्ट्री बनाने जैसे कदम शामिल हो सकते हैं। भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में ये बातें उभरकर आई हैं। 

शुरुआती निदान एवं उपचार पर ध्यान केंद्रित करने से किडनी रोग से जुड़ा आर्थिक बोझ भी कम हो सकता है। इसके अलावा, देखभाल के तौर-तरीकों में सुधार करना भी किडनी रोगों से लड़ने में मददगार हो सकता है।

नई दिल्ली स्थित जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में सभी वर्गों के लोगों के लिए किडनी संबंधी बीमारियों की देखभाल का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।

इस अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर विवेकानंद झा ने बताया कि "बीमारी के गंभीर चरणों में देखभाल के तौर-तरीकों में सुधार बेहद जरूरी है और इसके लिए कम लागत वाली डायलिसिस तकनीक का विकास महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, प्रत्यारोपण प्रक्रिया से जुड़ी बाधाओं को दूर करना और दानदाताओं से प्राप्त किडनी के उपयोग में सुधार भी आवश्यक है।"

यह रोडमैप जॉर्ज इंस्टीट्यूट द्वारा देशभर में चलायी जा रही स्वास्थ्य परियोजनाओं के अनुभवों पर आधारित है। इन परियोजनाओं में ऐसे कारक शामिल हैं, जो किडनी रोगों के बोझ को कम करने में मददगार हो सकते हैं। इन कारकों में ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच साझेदारी भी शामिल है।

प्रोफेसर झा का कहना है कि “किडनी रोगों से निपटने के लिए शुरुआती हस्तक्षेप पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। स्वस्थ जीवनशैली, पोषण, स्वच्छ पानी एवं सुरक्षित वातावरण को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ संक्रमण एवं तम्बाकू नियंत्रण किडनी रोगों से जुड़ी जटिलताओं की रोकथाम में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसे जोखिमों पर नियंत्रण भी किडनी रोगों को रोकने में कारगर हो सकता है।”

इस साल के विश्व किडनी दिवस (14 मार्च) का थीम ‘किडनी की बीमारी की सार्वभौमिक कवरेज’ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि किडनी रोग दुनियाभर में होने वाली 1.5 प्रतिशत बीमारियों और कुल मौतों के 2.1 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं।

शोधकर्ताओं में प्रोफेसर झा के अलावा प्रोफेसर ब्लेक एंजेल शामिल थे। अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका किडनी इंटरनेशनल रिपोर्ट्स में प्रकाशित किए गए हैं। (इंडिया साइंस वायर)