स्वास्थ्य

डब्ल्यूएचओ ने इंसानों के लिए सबसे अधिक खतरा पैदा करने वाले दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की नई सूची की जारी

बैक्टीरियल प्रायोरिटी पैथोजन्स लिस्ट (बीपीपीएल) 2024 में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के 15 परिवारों को गंभीर, उच्च और मध्यम श्रेणियों में बांटा गया है।

Dayanidhi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपडेट बैक्टीरियल प्रायोरिटी पैथोजन्स लिस्ट (बीपीपीएल) 2024 जारी की है। जिसमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के 15 परिवारों को गंभीर, उच्च और मध्यम श्रेणियों में बांटा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सूची रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के प्रसार को रोकने के लिए नए और आवश्यक उपचारों के विकास को लेकर मार्गदर्शन करेगी।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी पर दवाओं का असर नहीं होता है, जिससे लोग बीमार हो जाते हैं और बीमारी फैलने और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। एएमआर बड़े पैमाने पर रोगाणुरोधी दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग के कारण होता है। अपडेट की गई बीपीपीएल नए एंटीबायोटिक दवाओं के लिए शोध और विकास (आरएंडडी) को आगे बढ़ाने तथा इस पर अंतरराष्ट्रीय समन्वय को बढ़ावा देने के लिए नए साक्ष्य और इसमें विशेषज्ञ जानकारी को शामिल किया जाता है।

रिपोर्ट के हवाले से डब्ल्यूएचओ के रोगाणुरोधी प्रतिरोध के सहायक महानिदेशक डॉ. युकिको नकातानी ने कहा, " दुनिया भर में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मापने और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव का आकलन करके, यह सूची तैयार की गई है जो एंटीबायोटिक और इस तक पहुंचने के संकट से निपटने के लिए अहम है।"

उन्होंने आगे कहा, "2017 में पहली जीवाणु प्राथमिकता रोगजनक सूची जारी होने के बाद से, रोगाणुरोधी प्रतिरोध का खतरा तेज हो गया है, जिससे कई एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम हो गया है और आधुनिक चिकित्सा से होने वाले  कई फायदे खतरे में पड़ गए हैं।"

रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे खतरनाक रोगजनक, जैसे कि ग्राम-नकारात्मक बैक्टीरिया जो अंतिम उपाय के एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हैं और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस एंटीबायोटिक रिफैम्पिसिन के लिए प्रतिरोधी हैं। भारी संख्या में पीड़ितों और उपचार का विरोध करने और अन्य बैक्टीरिया के लिए प्रतिरोध फैलाने की क्षमता के कारण दुनिया भर में ये चिंता का कारण बने हुए हैं।

ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया में उपचार का विरोध करने के नए तरीके खोजने की क्षमता होती है और वे आनुवंशिक सामग्री के साथ गुजर सकते हैं जो अन्य बैक्टीरिया को भी दवा प्रतिरोधी बनने में मदद करता है।

साल्मोनेला और शिगेला जैसे उच्च प्राथमिकता वाले रोगजनक, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और स्टैफिलोकोकस ऑरियस के साथ-साथ कम और मध्यम आय वाले देशों में विशेष रूप से प्रभावित करते हैं, जो स्वास्थ्य देखभाल में भारी चुनौतियां पैदा करते हैं।

रिपोर्ट में  कहा गया है कि अन्य उच्च प्राथमिकता वाले रोगजनक, जैसे कि एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी निसेरिया गोनोरिया और एंटिरोकोकस फेशियम, अनोखी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां  पेश करते हैं। जिनमें लगातार संक्रमण और कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध शामिल है, जिसके लिए लक्षित शोध और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

मध्यम प्राथमिकता वाले रोगजनकों में ग्रुप ए और बी स्ट्रेप्टोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा शामिल हैं। इन रोगजनकों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, विशेष रूप से बाल चिकित्सा और बुजुर्ग आबादी सहित कमजोर आबादी में, जहां संसाधन सीमित हैं।

रिपोर्ट के हवाले से यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, संचारी और गैर-संचारी रोगों के लिए डब्ल्यूएचओ के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरोम सॉलोमन ने कहा, "रोगाणुरोधी प्रतिरोध तपेदिक जैसे भारी संक्रमणों का प्रभावी ढंग से इलाज करने की हमारी क्षमता को खतरे में डालता है, जिससे गंभीर बीमारी होती है और मृत्यु दर में वृद्धि होती है।"

रिपोर्ट के अनुसार, बीपीपीएल 2024 एएमआर से निपटने के लिए एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी जोर देता है, जिसमें संक्रमण की रोकथाम, निदान और उचित उपचार के लिए गुणवत्ता और किफायती उपायों तक पहुंच शामिल है। जैसा कि एएमआर और कोर पैकेज को हल करने के लिए डब्ल्यूएचओ के जन-केंद्रित दृष्टिकोण में उल्लिखित है। एएमआर हस्तक्षेप, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर एएमआर के प्रभाव को कम करने के लिए यह जरूरी है।

2017 और 2024 की सूची में क्या बदलाव हैं?

बीपीपीएल 2024 में बीपीपीएल 2017 में शामिल पांच रोगजनक-एंटीबायोटिक कॉम्बिनेशन या संयोजनों को हटा दिया गया और चार नए संयोजन जोड़े गए हैं। यह तीसरी पीढ़ी के सेफलोस्पोरिन-प्रतिरोधी एंटरोबैक्टीरल्स को महत्वपूर्ण प्राथमिकता श्रेणी के भीतर एक स्टैंडअलोन आइटम के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होने वाली बीमारियों को देखते हुए यह जरूरी है।