टीकाकरण एजेंडा 2030 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी क्षेत्रों में हर कोई उन टीकों से फायदा उठा सके जो उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

डब्ल्यूएचओ ने जारी की रोगाणुओं की नई सूची, कहा- नए टीकों की तत्काल जरूरत

अध्ययन में एचआईवी, मलेरिया और तपेदिक सहित वैक्सीन अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को शामिल किया गया है। इसमें वे तीन बीमारियां शामिल हैं जो सामूहिक रूप से हर साल लगभग 25 लाख लोगों की जान ले लेती हैं।

Dayanidhi

आज ई-बायोमेडिसिन में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक नए अध्ययन में 17 रोग फैलाने वालों या रोगाणुओं के नाम का उल्लेख किया गया है। ये लगातार लोगों में बीमारियां फैलाते हैं और उन्हें नए टीके के विकास के लिए शीर्ष प्राथमिकता दी गई है।

डब्ल्यूएचओ का यह अध्ययन, क्षेत्रीय आधार पर बीमारी के मामलों, रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खतरों और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव जैसे मानदंडों के आधार पर स्थानीय रोगजनकों को व्यवस्थित रूप से प्राथमिकता देने का पहला वैश्विक प्रयास है।

इस अध्ययन में एचआईवी, मलेरिया और तपेदिक सहित वैक्सीन अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए लंबे समय की जरूरतों को शामिल किया गया है। इसमें वे तीन बीमारियां शामिल हैं जो सामूहिक रूप से हर साल लगभग 25 लाख लोगों की जान ले लेती हैं।

अध्ययन में समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस और क्लेबसिएला निमोनिया जैसे रोग फैलाने वालों को सभी क्षेत्रों में शीर्ष रोग नियंत्रण प्राथमिकताओं के रूप में पहचाना गया है, जो रोगाणुरोधी दवाओं के प्रति तेजी से प्रतिरोधी रोगजनकों के लिए नए टीके विकसित करने की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डालता है।

अध्ययन के हवाले से डब्ल्यूएचओ में टीकाकरण, टीके और जैविक विभाग की निदेशक डॉ. केट ओ'ब्रायन ने कहा, "अक्सर नए टीकों पर वैश्विक निर्णय केवल निवेश पर धन प्राप्त करने के आधार पर लिए जाते हैं, न कि सबसे कमजोर समुदायों में बचाए जा सकने वाले लोगों की संख्या के आधार पर।" "यह अध्ययन टीकों का आकलन करने के लिए व्यापक क्षेत्रीय विशेषज्ञता और आंकड़ों का उपयोग करता है जो न केवल उन बीमारियों को कम करेगा जो आज लोगों को बहुत प्रभावित करती हैं, बल्कि परिवारों और स्वास्थ्य प्रणालियों का सामना करने वाली चिकित्सा संबंधी खर्चों को भी कम करेगी।"

अध्ययन में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विशेषज्ञों से उन कारणों की पहचान करने के लिए कहा जो यह तय करेंगे कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है, कौन से टीके बनाएं जाएं और उनका उपयोग किया जाए।

उन प्राथमिकताओं के विश्लेषण, प्रत्येक रोग फैलाने वाले के लिए क्षेत्रीय आंकड़ों के साथ प्रत्येक डब्ल्यूएचओ क्षेत्र के लिए शीर्ष 10 प्राथमिकता वाले रोग फैलाने वालों को शामिल किया गया। क्षेत्रीय सूचियों को फिर वैश्विक सूची बनाने में शामिल किया गया, जिसके चलते 17 प्राथमिकता वाले स्थानीय आधार पर रोग फैलाने वाले सामने आए जिनके लिए नए टीकों पर शोध, विकास और उपयोग की जरूरत है।

वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास के लिए स्थानीय रोग फैलाने वालों की यह नई डब्ल्यूएचओ वैश्विक प्राथमिकता सूची टीकाकरण एजेंडा 2030 के लक्ष्य का समर्थन करती है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी क्षेत्रों में हर कोई उन टीकों से फायदा उठा सके जो उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।

यह सूची नए वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास और निर्माण के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा निर्धारित करने के लिए एक न्यायसंगत और पारदर्शी साक्ष्य प्रदान करती है। इसका उद्देश्य शिक्षाविदों, वित्तपोषकों, निर्माताओं और देशों को एक स्पष्ट दिशा देना है कि वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास का सबसे अधिक प्रभाव कहां हो सकता है।

स्थानीय आधार पर बीमारी फैलाने वालों के लिए यह वैश्विक प्राथमिकता अभ्यास, महामारी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसंधान एवं विकास का ब्लूप्रिंट है, जिसने प्राथमिकता वाले रोगाणुओं की पहचान की है जो भविष्य में महामारी या वैश्विक महामारी का कारण बन सकते हैं, जैसे कि कोविड-19 या गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (सार्स)

स्थानीय रोगाणुओं पर इस नई रिपोर्ट के निष्कर्ष, कम और मध्यम आय वाले देशों में टीकाकरण कार्यक्रमों की अनुसंधान संबंधी प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं की पहचान करने और उनका समर्थन करने, वैश्विक वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास एजेंडे को सामने लाने और प्राथमिकता वाले टीकों के विकास और उपयोग को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए डब्ल्यूएचओ के काम का हिस्सा हैं। विशेष रूप से उन रोगाणुओं के खिलाफ जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा सामाजिक आर्थिक प्रभाव पैदा करते हैं।