महामारी और महामारी कब, कहां, कैसे और क्यों शुरू होती है, यह समझना भविष्य में होने वाले प्रकोपों को रोकने के लिए एक वैज्ञानिक आधार जरूरी है फोटो साभार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए रोगजनकों की उत्पत्ति की जांच के लिए जारी की मार्गदर्शिका

Dayanidhi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नई-नई तरह की बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु, विषाणु या अन्य सूक्ष्मजीवों की उत्पत्ति की जांच में मदद करने के लिए एक मार्गदर्शिका प्रकाशित की है

दुनिया भर के स्वतंत्र विशेषज्ञों से बना वैज्ञानिक सलाहकार समूह (एसएजीओ) को नवंबर 2021 में स्थापित किया गया था। एसएजीओ को बीमारी पैदा करने वाले पुराने व नए रोगजनकों की उत्पत्ति को समझने और इस मार्गदर्शिका को विकसित करने के लिए सबसे अच्छी तकनीक और वैज्ञानिक नजरियों की पहचान करने का काम सौंपा गया था। एसएजीओ, डब्ल्यूएचओ, उसके सदस्य देशों और कई स्वास्थ्य और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक मजबूत स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारी और रोकथाम प्रणाली का हिस्सा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रामक रोग के प्रकोप की जांच के लिए कई उपकरण उपलब्ध हैं, यह एक नए रोगजनक की उत्पत्ति की जांच करने का पहला संगठित तरीका है। इस मार्गदर्शिका का उद्देश्य वैज्ञानिक जांच और अध्ययनों के आधार पर जानकारी देकर खामियों को पूरा करना है। यह "कैसे करें" मार्गदर्शिका का पहला संस्करण है जिसे उपयोगकर्ताओं से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर आवश्यकतानुसार अपडेट किया जा सकता है।

लोगों और पशुओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाने वाले - इबोला, निपाह, एवियन इन्फ्लूएंजा, लासा और मंकीपॉक्स वायरस, महामारी और महामारी फैलाने वाले नए रोगजनकों में नोबेल इन्फ्लूएंजा, मेर्स-सीओवी, सार्स-सीओवी-1, सार्स-सीओवी-2 के उभरने के खतरे बढ़ गए है। रोकथाम करने की क्षमता और जब इन्हें रोका नहीं जा सकता है, तो तेजी से प्रकोप को रोकना और उनकी उत्पत्ति की पहचान करना वैज्ञानिक, नैतिक और वित्तीय रूप से पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

डब्ल्यूएचओ ने मार्गदर्शिका में छह तकनीकी तत्वों के लिए वैज्ञानिक जांच और अध्ययन की रूपरेखा शामिल की है:

स्रोतों की पहचान करने के लिए पहले पहचाने गए मामलों, प्रकोपों की शुरुआती जांच, स्रोत पर नमूनों को एकत्र करना, जांच परीक्षणों की मदद से नए रोगाणु की विशेषताओं की जानकारी देना।

मानव अध्ययन: क्लीनिकल जांच, फैलने के तरीके, विकृति विज्ञान और सिंड्रोमिक निगरानी नमूनों में शुरुआती उपस्थिति सहित महामारी विज्ञान को समझना।

पशुओं, मध्यवर्ती मेजबानों और रिवर्स जूनोसिस की पहचान करने के लिए मनुष्य, पशु में फैलने को लेकर अध्ययन करना।

कीट द्वारा या संक्रमण के अन्य स्रोतों के साथ-साथ पर्यावरण में सबसे शुरुआती उपस्थिति की पहचान करने के लिए अध्ययन।

जीनोमिक्स और फाइलोजेनेटिक्स अध्ययन, पहले के वेरिएंट, जीनोमिक विशेषताओं, मनुष्यों में विकास और समय के साथ स्थानीय वितरण की पहचान करना।

जैव-सुरक्षा अध्ययन यह निर्धारित करने के लिए करना कि क्या प्रयोगशाला या शोध गतिविधियों में कोई उल्लंघन पहले मामलों से जुड़ा हुआ है।

डब्ल्यूएचओ ने मार्गदर्शिका को दुनिया भर के सदस्य देशों में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और जांचकर्ताओं के लिए एक संसाधन के रूप में डिजाइन किया है। यह इस बात का मार्गदर्शन करता है कि इस तरह के कई विषयों की जांच कब और कैसे शुरू की जाए और उन्हें सफलतापूर्वक लागू करने के लिए आवश्यक क्षमताओं और उपकरणों पर देशों को सिफारिशें करता है।

इसमें मानव संसाधन, लोग, पशु और पर्यावरण निगरानी प्रणाली, जैव सुरक्षा और जैव सुरक्षा नियम और परीक्षण विशेषज्ञता वाली प्रयोगशालाएं जैसी आवश्यक क्षमताएं शामिल हैं। अगले चरणों का मार्गदर्शन करने के लिए जितनी जल्दी हो सके ऐसी जांच के निष्कर्षों को साझा करना। इन सिफारिशों को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के साथ जोड़ना और वन हेल्थ दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए विकसित किया गया था।

दुनिया भर में स्वास्थ्य संबंधी संकटों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए रोगजनकों की उत्पत्ति के समय पर और व्यापक जांच जरुरी है। ऐसी जांचों से प्राप्त निष्कर्ष प्रकोपों को शुरू होने से पहले रोकने, संक्रमण को रोकने और जानवरों से मनुष्यों में रोगजनकों के फैलने के खतरों को कम करने का आधार प्रदान करते हैं।

रिपोर्ट के हवाले से डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, "महामारी और महामारी कब, कहां, कैसे और क्यों शुरू होती है, यह समझना भविष्य में होने वाले प्रकोपों को रोकने के लिए एक वैज्ञानिक आधार जरूरी है"।

उन्होंने आगे कहा, "यह मार्गदर्शिका पहली बार उभरते और फिर से उभरने वाले रोगजनकों की उत्पत्ति की जांच करने के लिए आवश्यक अध्ययनों पर व्यापक मार्गदर्शन देता है। अगर यह कोविड-19 के प्रकोप के समय लागू होता, तो इसकी उत्पत्ति को समझने की खोज कम विवादास्पद और अधिक सफल हो सकता था। डब्ल्यूएचओ चीन से कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में अपनी सभी जानकारी साझा करने का आह्वान करता रहता है, ताकि सभी परिकल्पनाओं की जांच की जा सके।"