विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 20 जुलाई 2023 को मिर्गी और अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए एक नई वैश्विक कार्य योजना "इंटरसेक्टोरल ग्लोबल एक्शन प्लान ऑन एपिलेप्सी एंड अदर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स" जारी की है। इस कार्य योजना का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में प्रयासों का समन्वय करके मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की देखभाल और उपचार तक पहुंच में सुधार करना है।
न्यूरोलॉजिकल विकार, विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों का भी प्रमुख कारण हैं। अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार यह विकार वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण हैं। जो हर साल करीब 90 लाख लोगों की जान ले रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मिर्गी, मस्तिष्क से जुड़ी एक पुरानी गैर-संक्रामक बीमारी है, जो किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। जो इसे वैश्विक स्तर पर दिमाग से जुड़ी सबसे आम बीमारियों में से एक बनाता है। यदि भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो देश में करीब 20 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
यह दुनिया का चौथा सबसे आम तंत्रिका संबंधी विकार यानी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इस विकार में रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। इसकी वजह से रोगी का अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता है।
इस बीमारी से पीड़ित करीब 80 फीसदी मरीज निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रह रहे हैं। जो पहले ही इलाज के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और सुविद्याओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका इलाज नहीं हो सकता। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यदि मिर्गी से पीड़ित मरीजों का उचित निदान और इलाज की जाए तो इनमें से 70 फीसदी मरीज इसके कारण पड़ने वाले दौरों से बचे रह सकते हैं।
तंत्रिका संबंधी यह विकार दुनिया भर में विकलांगता और होने वाली मौतों का भी एक प्रमुख कारण हैं। यह बीमारी कितनी घातक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मिर्गी के मरीजों में असमय मृत्यु का जोखिम सामान्य की तुलना में तीन गुणा अधिक होता है। विडंबना देखिए कि आर्थिक रूप से कमजोर देशों में रहने वाले करीब तीन चौथाई मिर्गी पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पाता, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
मिर्गी के मरीजों से आज भी किया जाता है भेदभाव
दुनिया के कई हिस्सों में अभी भी इससे पीड़ित लोगों को परिवार कलंक समझता है और उनके साथ समाज में भेदभाव किया जाता है। जो इस बीमारी से पीड़ित मरीजों और उनके परिवार की जीवन की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनोम घेबियस प्रकाशन की प्रस्तावना में लिखते हैं कि, "स्नायु संबंधी विकारों का बोझ कलंक और भेदभाव से बढ़ जाता है, जो जीवन के अवसरों में बाधा डाल सकता है। यह गरीबी के जोखिम को बढ़ा सकता है और देखभाल तक पहुंचने में कठिनाइयों का कारण बन सकता है।"
गौरतलब है कि मई 2022 में डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों ने मिर्गी और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिए अंतरक्षेत्रीय वैश्विक कार्य योजना को मंजूरी दी थी, जो 2022 से 2031 के लिए है। इस योजना का उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से ग्रस्त लोगों के लिए उपचार और देखभाल तक पहुंच बढ़ाना, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह कार्य योजना वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा की जाने वाली विशिष्ट कार्रवाइयों की रूपरेखा तैयार करती है।
इस कार्य योजना में पांच प्रमुख रणनीतिक उद्देश्यों को रुपरेखा दी गई है। इसमें नीतियों और प्रशासन में सुधार, निदान और देखभाल को बढ़ाना, रोकथाम रणनीतियों को बढ़ावा देना, अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करना और मिर्गी के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को मजबूत करना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
इसमें प्रत्येक उद्देश्य के तहत देशों और भागीदारों के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों को सुझाया गया है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) योजना को लागू करने में मदद के लिए तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
इस योजना में 2031 तक होने वाली प्रगति को ट्रैक करने के लिए मापने योग्य संकेतकों के साथ दस वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए, यह स्वास्थ्य क्षेत्र और उससे परे हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर देती है। इसके अतिरिक्त, योजना का उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल विकारों वाले मरीजों, उनकी देखभाल करने वालों और उनसे जुड़े परिवारों को सशक्त बनाना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है।
डब्ल्यूएचओ के मानसिक स्वास्थ्य और मादक द्रव्य विभाग के निदेशक डॉक्टर डेवोरा केस्टेल का कहना है कि इंटरसेक्टोरल ग्लोबल एक्शन प्लान (आईजीएपी) एकीकृत और व्यापक प्रतिक्रिया प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।" उनके अनुसार इसका उद्देश्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए आवश्यक उपचार और देखभाल तक पहुंच को सक्षम बनाना है। साथ ही उन्हें कलंक और भेदभाव से मुक्त करना है।