स्वास्थ्य

डब्ल्यूएचओ ने डेंगू के नए टीके को दी मान्यता, 54 महीनों तक डेंगू बुखार से सुरक्षा का दावा

डेंगू के नए टीके 'टाक-003' की दो खुराकें तय की गई हैं साथ ही टीके लगवाने के बीच तीन महीनों का अंतर रखने की बात भी कही गई है

Dayanidhi

डेंगू संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है। दुनिया भर में हर साल 10 से 40 करोड़ से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आते हैं। 3.8 अरब लोग डेंगू प्रभावित देशों में रहते हैं, जिनमें से अधिकांश एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में हैं।

साल 2023 में डेंगू के मामलों की सबसे बड़ी संख्या दर्ज की गई थी, जिसमें अमेरिका के डब्ल्यूएचओ क्षेत्र में 45 लाख मामले सामने आए और 2,300 मौतें हुई थीं। जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण भौगोलिक रूप से डेंगू के मामलों में वृद्धि और विस्तार होने की भी आशंका जताई गई है

दुनिया भर में डेंगू से निपटने के लिए अब, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डेंगू के एक नए टीके को प्रीक्वालिफिकेशन या पूर्व योग्यता प्रदान की है। टाक-003 डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रीक्वालिफिकेशन पाने वाला डेंगू का दूसरा टीका है। जापानी दवा निर्माता टाकेडा द्वारा विकसित टीका जिसमें डेंगू का कारण बनने वाले वायरस के चार सीरोटाइप के कमजोर संस्करण शामिल हैं।

डब्ल्यूएचओ ने डेंगू के उन इलाकों में जहां भारी संख्या में इसके मामले हैं वहां छह से 16 वर्ष की आयु के बच्चों में टाक-003 के उपयोग करने को कहा है। टीके की दो खुराकें तय की गई हैं साथ ही टीके लगवाने के बीच तीन महीनों का अंतर रखने की बात भी कही गई है।

प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से डब्ल्यूएचओ के विनियमन और प्रीक्वालिफिकेशन निदेशक डॉ रोजेरियो गैस्पर ने कहा, "टाक-003 का प्रीक्वालिफिकेशन डेंगू के टीकों को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस टीके को अब यूनिसेफ और पीएएचओ सहित संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा खरीदा जा सकता है।" "अब तक डेंगू के केवल दो टीकों को मान्यता की गई है, हम मूल्यांकन के लिए और अधिक टीके बनाने वालों के आगे आने की आशा करते हैं, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि टीके उन सभी लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी आवश्यकता है।"

विज्ञप्ति में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ की प्रीक्वालिफिकेशन सूची में डेंगू के खिलाफ सनोफी पाश्चर द्वारा विकसित सीवाईडी-टीडीवी वैक्सीन भी शामिल है।

इस साल की शुरुआत में, टाकेडा ने भारत में टाक-003 के निर्माण में तेजी लाने के लिए हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई के साथ साझेदारी की।

टीके बनाने वाली कंपनियों के मुताबिक, बायोलॉजिकल ई उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सालाना पांच करोड़ खुराक तक पहुंचाएगी। प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से उन्होंने कहा कि इससे एक दशक के भीतर सालाना 10 करोड़ खुराक बनाने के टाकेडा के प्रयासों में भी तेजी आएगी।

द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित टाकेडा के तीसरे चरण के परीक्षण के अनुसार, टाक-003 टीकाकरण के बाद साढ़े चार साल यानी 54 महीने तक डेंगू बुखार से सुरक्षा प्रदान करता है।