खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन (डब्ल्यूओएएच) इन तीन संगठनों ने रेबीज के खिलाफ कुत्तों के ओरल टीकाकरण पर अपडेट जारी किए हैं, जो 'कुत्तों में रेबीज नियंत्रण कार्यक्रमों में क्षेत्रीय प्रयोग को एक साथ लाने के लिए सिफारिशें’ नामक रिपोर्ट है।
यह तकनीकी रिपोर्ट कुत्तों के ओरल रेबीज टीकाकरण (ओआरवी) पर पिछले डब्ल्यूएचओ के मूलभूत दस्तावेजों में इस मुद्दे से संबंधित सामग्री में बदलाव करती है।
2007 की डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के विपरीत, रिपोर्ट में कहा गया है कि, कुत्तों के लिए उपयुक्त टीकों और भोजन के विकास से ध्यान हटाकर कुत्तों की आबादी में रेबीज को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों में ओआरवी के व्यावहारिक कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, पिल्लों सहित कुत्तों का टीकाकरण, लोगों में रेबीज को रोकने के लिए सबसे अधिक किफायती रणनीति है क्योंकि यह इसके फैलने को रोकता है। इसके अलावा, कुत्तों के टीकाकरण से लोगों को इनके काटने के बाद प्रतिषेधोपचार या प्रोफिलैक्सिस की आवश्यकता कम हो जाती है। कुत्तों में रेबीज को खत्म करने के लिए कुत्तों की 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण पर्याप्त है।
परंपरागत रूप से, बड़े पैमाने पर कुत्तों के टीकाकरण के लिए इंजेक्टेबल टीके शुरुआती तरीका रहे हैं। हालांकि, इस दृष्टिकोण से चुनौतियां सामने आती हैं, विशेष रूप से इन जगहों पर जहां कुत्तों की आबादी तक पहुंचा नहीं जा सकता है।
अफ्रीका और एशिया के कई मध्यम और निम्न-आय वाले देशों में, अधिक खतरनाक, स्वतंत्र रूप से घूमने वाले कुत्तों के टीकाकरण में कथित बाधाओं के कारण टीकाकरण के प्रयास रुक गए हैं, जिससे नई रणनीतियों का पता लगाना महत्वपूर्ण हो गया है।
एक आशाजनक विकल्प ओरल रेबीज टीकाकरण (ओआरवी) है, जो क्षेत्रीय वन्यजीव आबादी के बीच उन्मूलन प्रयासों में प्रभावी साबित हुआ है। वन्य जीवन में इसकी सफलता के बावजूद, कुत्तों में रेबीज को नियंत्रित करने के लिए ओआरवी को व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है।
नए प्रकाशित दस्तावेज का उद्देश्य कुत्तों की आबादी में रेबीज को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों के भीतर एक उपकरण के रूप में ओआरवी के कार्यान्वयन के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करना है। यह कुत्तों के ओआरवी पर पिछले डब्ल्यूएचओ के मूलभूत दस्तावेजों में मुद्दे से संबंधित सामग्री का बदलाव करता है, वैक्सीन और भोजन व विकास से ध्यान हटाकर नियामक विचारों, रसद, वितरण रणनीतियों, संचार, अभियान गतिविधियों और निगरानी का समाधान करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, दस्तावेज टीकाकरण कवरेज को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने के लिए ओआरवी की क्षमता पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से स्वतंत्र रूप से घूमने वाले और जिनकी सही से निगरानी न की जाने वाले कुत्तों के लिए, जब अकेले या टीकों के संयोजन को उपयोग किया जाता है।
सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं, महामारी विज्ञान और उपलब्ध संसाधनों सहित प्रत्येक देश की परिस्थितियां, ओआरवी को एक साथ लाने के लिए उनके विशिष्ट दृष्टिकोण को आकार देंगी।
इस दस्तावेज की सिफारिशों को अपनाकर, देश अपने कुत्ते में रेबीज नियंत्रण कार्यक्रमों को बढ़ा सकते हैं। साल 2030 तक कुत्तों के कारण लोगों में रेबीज से होने वाली मौतों के वैश्विक लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर सकते हैं।