इस साल अगस्त के अंत तक डेंगू के 1.23 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं, जो कि 2023 में रिपोर्ट किए गए 65 लाख मामलों से लगभग दोगुना है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, एनआईएआईडी
स्वास्थ्य

दुनिया भर में बढ़ते डेंगू व एडीज जनित आर्बोवायरल रोगों से लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ ने योजना की शुरू

Dayanidhi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डेंगू और अन्य एडीज जनित आर्बोवायरस से निपटने के लिए वैश्विक रणनीतिक तैयारी, तत्परता और प्रतिक्रिया योजना (एसपीआरपी) शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य दुनिया भर में साथ मिलकर डेंगू और अन्य एडीज जनित आर्बोवायरस रोगों जैसे कि जीका और चिकनगुनिया से होने वाली बीमारी और मौतों के मामलों को कम करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए किए जाने वाले शुरुआती कामों की रूपरेखा तैयार करती है। रिपोर्ट पूरी दुनिया और क्षेत्रीय नजरिए के द्वारा बीमारी की निगरानी, जांच, वेक्टर नियंत्रण, लोगों का जुड़ाव, नैदानिक प्रबंधन और शोध और विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावित देशों को सुझाव देती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग चार अरब लोगों को अर्बोवायरस से संक्रमण का खतरा है और इस संख्या के 2050 तक बढ़कर पांच अरब होने के आसार हैं। डब्ल्यूएचओ वाले सभी छह क्षेत्रों में डेंगू के मामले बढ़ गए हैं और 2021 से हर साल मामलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, इस साल अगस्त के अंत तक 1.23 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं, जो कि 2023 में रिपोर्ट किए गए 65 लाख मामलों से लगभग दोगुना है।

डेंगू उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में में होने वाली बीमारी है, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिमी प्रशांत और अमेरिका में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। स्थिति अफ्रीका में भी उतनी ही चिंताजनक है, जहां देश संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं के बीच कई बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिससे पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।

दिसंबर 2023 में डब्ल्यूएचओ ने मौजूदा दुनिया भर में डेंगू के तेजी से बढ़ते मामलों को ग्रेड तीन के रूप में वर्गीकृत किया, जो डब्ल्यूएचओ के लिए आपातकाल का उच्चतम स्तर है, ताकि देशों को उनकी निगरानी क्षमताओं को मजबूत करने और इससे निपटने की गतिविधियों को लागू करने में सहायता मिल सके।

रिपोर्ट के हवाले से डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, "हाल के सालों में डेंगू और अन्य आर्बोवायरल बीमारियों का तेजी से फैलना एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जिसके लिए सभी क्षेत्रों और सीमाओं के पार निपटे जाने की आवश्यकता है।"

उन्होंने आगे कहा, "स्वच्छ वातावरण बनाए रखने से लेकर वेक्टर नियंत्रण का समर्थन करने और समय पर चिकित्सा देखभाल की मांग करने और प्रदान करने तक, डेंगू के खिलाफ मुकाबले में सभी की भूमिका है। यह योजना इस बीमारी और अन्य एडीज जनित आर्बोवायरल बीमारियों के बढ़ते मामलों, कमजोर आबादी की रक्षा करने और एक स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने का रोडमैप है।"

अनियोजित शहरीकरण और प्रदूषित पानी, स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा जैसे कारण डेंगू के तेजी से प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं। यह बीमारी अब 130 से अधिक देशों में होती है।

इसी तरह के रुझान अन्य आर्बोवायरल बीमारियों, जैसे कि जीका, चिकनगुनिया और हाल ही में ओरोपोच वायरस रोग, विशेष रूप से अमेरिका में भी देखे गए हैं। दुनिया भर में यह वृद्धि खतरों को कम करने और आबादी की सुरक्षा के लिए एक मजबूत रणनीति की तत्काल आवश्यकता को सामने लाती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना को सितंबर 2025 तक एक साल के लिए लागू किया जाएगा और स्वास्थ्य संबंधी तैयारियों, तत्परता और इससे निपटने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए 55 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी।

दुनिया भर में यह वेक्टर नियंत्रण प्रतिक्रिया 2017-2030 की तरह है, जो दुनिया भर में वेक्टर नियंत्रण को मजबूत करने के लिए एक वैश्विक रणनीति है और 2022 में शुरू की गई वैश्विक आर्बोवायरस पहल, जो महामारी की क्षमता वाले मच्छर जनित आर्बोवायरस से निपटने पर आधारित है।

एसपीआरपी सभी सरकारी एजेंसियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से लेकर समुदायों और लोगों तक के लिए कार्रवाई का आह्वान है। वे नवाचार, नई तकनीकों और बेहतर वेक्टर नियंत्रण रणनीतियों के माध्यम से डेंगू और अन्य एडीज जनित आर्बोवायरस के खिलाफ मुकाबले में शामिल हों।