स्वास्थ्य

क्या होते हैं इम्यून सिस्टम, एंटीबाडी, एंटीजन और टी सेल्स?

शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र अपने और परायों का भेद समझता है जब भी शरीर पर कोई बाहरी बैक्टीरिया, वायरस या रोगजनक हमला करता है तो यह प्रतिरक्षा तंत्र सक्रिय हो जाता है

Lalit Maurya

जीवों का शरीर इस तरह से विकसित हुआ है कि जब उसपर कोई संकट आता है तो अपने आप ही उसे बचाने की प्रक्रिया भी शुरु हो जाती है। इसमें शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र यानी इम्यून सिस्टम का बहुत बड़ा हाथ होता है। शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र अपने और परायों का भेद समझता है जब भी शरीर पर कोई बाहरी बैक्टीरिया, वायरस या रोगजनक हमला करता है तो यह प्रतिरक्षा तंत्र सक्रिय हो जाता है और रोगजनकों से बचाव की प्रक्रिया शुरू कर देता है। देखा जाए तो यह प्रतिरक्षा तंत्र बहुत ही जटिल होता है और सारे शरीर में फैला होता है। आइए जानने की कोशिश करते हैं इससे जुड़े कुछ जरुरी और बुनियादी सवालों के जवाब: 

क्या होता है इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली?

इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जो शरीर की बाहरी खतरों से सुरक्षा करती है। जैसे ही कोई वायरस, बैक्टीरिया  या रोगजनक शरीर पर आक्रमण करते हैं तो अपने आप ही यह प्रणाली सक्रिय हो जाती है और इनसे बचाव की प्रक्रिया शुरु कर देती है। यह बहुत ही जटिल प्रणाली होती है, जो पूरे शरीर में फैली होती है। इसमें अनेक रसायन और भिन्न-भिन्न प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर की रक्षा के लिए अलग-अलग तरीके से काम करती हैं। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ इंसानों में ही होती है यह अन्य जीवों में भी होती हैं जो संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं। 

क्या होता है एंटीबॉडी?

एंटीबॉडी शरीर में बनने वाले ऐसे प्रोटीन यौगिक होते हैं, जिनका निर्माण हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में रोगाणुओं को बेअसर करने के लिए करता है। कई बार संक्रमण के बाद एंटीबॉडीज बनने में कई हफ्तों का समय लग जाता है। इन्हें एंटीबॉडी इम्युनोग्लोब्युलिन (एलजी) के नाम से भी जाना जाता है। सबसे सरल एंटीबॉडी (प्रतिरक्षी) Y आकार का होता है जिसमें 4 पॉलीपेप्टाइड शृंखला शामिल होती है। यह एंटीबॉडी, एंटीजन को समाप्त करके शरीर की संक्रमण से सुरक्षा करते हैं। यह पांच तरह के होते हैं:

  1. इम्यूनोग्लोबुलिन एम
  2. इम्यूनोग्लोबुलिन जी
  3. इम्यूनोग्लोबुलिन इ
  4. इम्यूनोग्लोबुलिन डी
  5. इम्यूनोग्लोबुलिन ए 

शरीर के लिए क्यों जरुरी है एंटीबॉडी?

जब कोई व्यक्ति किसी वायरस या रोगजनकों से ग्रस्त हो जाता है तो उनके शरीर में उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने लगती हैं जो उस वायरस से लड़ती है। जिन लोगों में वायरस या संक्रमण के खिलाफ एंटीबाडी नहीं बनती है उसका मतलब है कि उनकी इम्यूनिटी कमजोर है जबकि जिनके शरीर में ठीक होने के दो सप्ताह के भीतर ही एंटीबॉडी बन जाती है, वो कई वर्षों तक रहती है। इसका मतलब होता है कि उनकी इम्यूनिटी मजबूत है। ऐसा कोरोनावायरस के साथ भी होता है। यही वजह है कि इस बीमारी से स्वस्थ हो चुका व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। 

क्या होते हैं टी सेल्स?

शरीर में दो प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहते हैं। यह दोनों ही कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए अहम होती हैं। इनका निर्माण अस्थि मज्जा (बोन मेरो) में होता है। जब शरीर पर किसी एंटीजन का हमला होता है तो इनमें से बी सेल्स उस एंटीजन की पहचान करती हैं। वहीं उससे लड़ने का काम ये टी-सेल ही करते हैं। 

यह कोशिका विभिन्न रोगाणुओं से शरीर का बचाव करती है। जब कोई रोगाणु, जैसे कि जीवाणु, विषाणु इत्यादि शरीर में प्रवेश करता है, तो यह एक प्रकार के एंटीबाडी का निर्माण करती है। यह एंटीबाडी उस रोगाणु का मुकाबला करके उसे नष्ट कर देता है। यह कोशिका अपने निर्माण के बाद बाल्यग्रन्थि या थाइमस ग्रन्थि में चली जाती है, वहीं पर इसका विकास होता है। इसलिए इन्हें टी सेल्स कहा जाता है।

क्या होते हैं एंटीजन?

एंटीजन वो आंतरिक और बाह्य पदार्थ हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने के लिए सक्रिय कर देते हैं। यह वातावरण में मौजूद कोई भी तत्व हो सकते हैं जैसे कैमिकल, जीवाणु, विषाणु या फिर अन्य रोगजनक। यह शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं। शरीर में इसका पाया जाना ही इस बात का संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक बाहरी हमले से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने पर मजबूर होना पड़ा है। आमतौर पर एंटीजन शरीर के बाहर के रोगाणु होते हैं। जबकि कभी-कभी शरीर के अंदर अपने आप भी एंटीजन बनने लगते हैं जिन्हें ऑटोएंटीजन कहते हैं। 

वैक्सीन और एंटीबाडी में क्या होता है अंतर?

वैक्सीन ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर को एंटीबॉडी को विकसित करने में मदद करते हैं। जबकि इसके विपरीत एंटीबॉडी रोगजनकों से लड़ने में मदद करती है, जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा विकसित किया जाता है। 

कोविड-19 के खिलाफ क्या है इनकी भूमिका?

एंटीबाडी रोगजनकों से लड़ने और उन्हें नष्ट करने में अहम भूमिका निभाती है। चूंकि कोविड-19 भी एक तरह का वायरस से होने वाला संक्रमण है। ऐसे में शरीर में मौजूद एंटीबाडी इसकी रोकथाम में अहम भूमिका निभाती है। एक बार जिन लोगों का शरीर किसी वायरस से संक्रमित होने के बाद उनके खिलाफ एंटीबाडी विकसित कर लेता है तो उनमें उस वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। यह बात कोरोनावायरस पर भी लागु होती है।