स्वास्थ्य

कोविड-19 से खुद को बचाना है तो पहने दोहरा मास्क : अध्ययन

अध्ययन में कहा गया है कि यदि सर्जिकल मास्क के ऊपर कपड़े का मास्क लगाया जाता है, तो फिटेड फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी (एफएफई) में लगभग 20 फीसदी का सुधार होता है

Dayanidhi

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि दोहरा फेस मास्क पहनने से सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित बूदों को छानने की क्षमता लगभग दोगुनी हो सकती है, जिससे उन्हें पहनने वाले की नाक और मुंह तक पहुंचने से रोका जा सकता है। यहां बताते चले कि सार्स-सीओवी -2 से ही कोविड-19 बीमारी होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि कपड़े के परतों को जोड़ना, बल्कि मास्क का कोई ऐसा भाग जो सहीं से जुड़ा नहीं हो, या उसके द्वारा संक्रमित बूंदों के नाक और मुंह तक पहुंचने की आशंका हो, उन जगहों को बंद करना है।

यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोगों के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता एमिली सिकबर्ट-बेनेट ने कहा कि चिकित्सा प्रक्रिया के लिए बनाए गए मास्कों की छानने की क्षमता बहुत अच्छी होती है, लेकिन जिस तरह से हम मास्क को अपने चेहरे पर लगाते हैं वह बिल्कुल सही नहीं है। 

मास्क के सही तरीके से चेहरे पर फिट बैठने तथा उनकी छानने की क्षमता (फिटेड फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी, एफएफई) का परीक्षण करने के लिए, यूएनसी के शोधकर्ताओं ने यूएनसी-चैपल हिल परिसर में अपने सहयोगियों के साथ प्रयोग किया। वहां उन्होंने 10/10 फुट के जंगरोधी स्टील के चैम्बर में छोटे नमक के कणों (एरोसोल के बराबर) भर दिया फिर शोधकर्ताओं ने इस बात की जांच की, कि दो मास्क लगाने से ये कण उनके श्वास से इन्हें बाहर रखने में कितने प्रभावशाली हैं।

प्रयोग में हर एक मास्क को धातु के नमूने के साथ फिट किया गया था, जो संपर्क में आने वाले (एक्सपोजर) चैंबर में टयूबिंग से जुड़ा हुआ था, जिसने शोधकर्ता के मास्क के नीचे श्वास स्थान में प्रवेश करने वाले कणों की संघनता को मापा। एक दूसरी ट्यूब ने कक्ष में कणों की परिवेश करने की संघनता की मापा की। चैम्बर के मुकाबले मास्क के नीचे सांस लेने की जगह में कण की सघनता को मापकर शोधकर्ताओं ने एफएफई का निर्धारण किया।

यूएनसी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के, फिलिप क्लैप ने कहा हमने चेंबर में उसी तरह की गतिविधि की जैसा एक व्यक्ति दिन भर कर सकता है, जिसमें कमर के बल झुकना, बात करना, और बाएं, दाएं, ऊपर और नीचे देखना आदि शामिल है।

जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे का आकार अलग-अलग होता है और मास्क के चेहरे पर सही से फिट नहीं होने के कारण, मास्क की आधारभूत कणों को छानने की क्षमता (एफएफई) अलग-अलग होती है। लेकिन आमतौर पर, जब मास्क चेहरे पर सही से लगाया जाता है तो यह, कोविड-19 से संक्रमित बूदों को बाहर रखने में लगभग 40-60 फीसदी प्रभावी होता है। एक कपड़े का मास्क लगभग 40 फीसदी तक प्रभावी होता है।

दोहरा फेस मास्क पर उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि जब सर्जिकल मास्क के ऊपर कपड़े का मास्क लगाया जाता है, तो फिटेड फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी (एफएफई) में लगभग 20 फीसदी का सुधार होता है और यदि यह सहीं ढ़ग से फिट होता है तो इसमें और अधिक सुधार होने की गुंजाइश होती है। जब कपड़े की एक परत के ऊपर दूसरी परत, या और परतें लगाई जाती है तो मास्क में खाली भाग जिससे बूदें नाक, मुंह तक पहुंच सकती है ये उनको रोक देता है। जब इस तरह के कपड़े स बने मास्क चेहरे पर सही तरीके से फिट बैठते हों तो फिटेड फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी (एफएफई) में 16 फिसदी का का सुधार होता है।

सिकबर्ट-बेनेट ने कहा हमने पाया है कि दो ढ़ीले मास्क पहनने से आप तक पहुंचने वाली संक्रमित बूदें छन नहीं पाएंगी, इसका मतलब है कि आपको वैसा लाभ नहीं मिल पाएगा, जैसा कि एक, चुस्त मास्क से मिलता है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 फैलने से रोकने के लिए मास्क कितना प्रभावी है। दोहरे मास्क (डबल-मास्किंग) का सबसे अच्छा तरीका वह है जब आप और दूसरा व्यक्ति जिसके साथ आप बातचीत कर रहे हैं दोनों ने सही ढंग से, एक चुस्त मास्क पहना हो, जो नाक और मुंह को पूरा ढ़का हुआ हों।