नोवेल कोरोना वायरस के नए वैरिएंट, ओमिक्रॉन ने कोविड-19 की वैक्सीन की क्षमता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके चलते स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता के अलावा भी इस बीमारी को नियंत्रित करने वाले उपायों पर विचार कर रहे हैं।
मेडिकल आंकड़ों पर बारीक नजर रखने वाले सर्च इंजन पबमेड में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन में पाया गया कि पहले से कोरोना से पीड़ित मरीजों में जिनका डी3 सीरम स्तर काफी बढ़ा हुआ था, उनके कोविड-19 से भयंकर रूप से प्रभावित होने की आशंका बहुत कम थी।
यह अध्ययन बहु-विश्लेषित किए गए आंकड़ों के दो सेटों पर आधारित था: पहले सेट में 19 देशों के लोगों के
विटामिन डी3 स्तर को लंबे समय तक जांचा गया और दूसरे सेट में अस्पताल में भर्ती 1601 मरीजों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 784 मरीजों के विटामिन डी3 का स्तर भर्ती के एक दिन के अंदर मापा गया जबकि 817 के विटामिन डी3 का स्तर पहले से पता था। दोनों सेटों के अध्ययन ने विटामिन डी3 के स्तर और कोविड-19 से होने वाली मौतों के बीच विपरीत संबंध की पुष्टि की।
वैक्सीन के महत्व को शोध के माध्यम से बार-बार रेखांकित किया गया है, जिसमें सिफारिश की गई है कि विटामिन डी3 सप्लीमेंट द्वारा पूरी आबादी के प्रतिरोधी तंत्र को नियमित रूप से मजबूत करने के साथ-साथ वैक्सिनेशन कराना, पचास नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर से ऊपर रक्त स्तर की नियमित गारंटी देता है।
शोध में पाया गया कि स्वास्थ्य के लाभों से आगे जाकर इसके तमाम दूसरे फायदे भी हैं।
इसके मुताबिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो यह भविष्य में कोरोना के कारण लगाई जाने वाली पाबंदियों और
लॉकडाउन की संभावना को बहतु सीमित कर देगा। आर्थिक नजरिये से देखें तो यह पूरी दुनिया में अरबों डॉलर बचाएगा क्योंकि विटामिन डी3 महंगा नहीं है और वैक्सीन के साथ इसका संयोजन सार्स- कोवी-2 के संक्रमण को रोकने में काफी मददगार होता है।
कोविड-19 महामारी के आने से पहले ही व्यापक तौर पर विटामिन डी की कमी दर्ज की गई थी। शोध में इस कमी के लिए आधुनिक लाइफ स्टाइल को जिम्मेदार पाया गया, जो पोषण, शारीरिक तौर पर फिट होने और खुशी से बहुत दूर है। तीन जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा लिखे गए शोधपत्र के मुताबिक, विटामिन डी3 और हमारे शरीर के प्रतिरोध तंत्र को नियंत्रित करने में उसकी भूमिका के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं।
इसके अलावा, कई बीमारियों को ठीक करने में विटामिन डी3 की क्षमता, के बारे में सब जानते हैं, खासकर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के इलाज में, जो कोविड-19 के बाद होने वाला एक दुष्प्रभाव ही है,। यह भी पाया गया है कि विटामिन डी3 छोटे प्रोटीनो की श्रंखला यानी साइटोकिंस को प्रभावी तरीके से दबा देता है। साइटोकिन एक सिंड्रोम को जन्म देता है, जिसे साइटोकिन-सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है, जो कई अंगों के खराब होने की वजह बनता है।
गौरतलब है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों में अंतिम चरण में कई अंगों का एक-एक कर खराब होना प्रमुख कारण पाया गया है।
रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि इस तथ्य के बावजूद अभी तक विटामिन डी3 का परीक्षण और उपयोग जितना किया गया है, वह काफी नहीं है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, विटामिन डी3 के इतिहास में कोविड-19 वह दूसरी महामारी बन रही है, जिसे उससे जोड़कर देखा जा रहा है। इससे पहले 19वीं सदी में रिकेट्स नाम की महामारी आई थी, जो हड्डियों को कमजोर कर देती थी, उसे भी विटामिन डी3 से जोड़ा गया था।