स्वास्थ्य

भारत में टीबी की बीमारी से ग्रसित बच्चों में विटामिन डी की भारी कमी पाई गई: अध्ययन

विटामिन डी की कमी का एक गंभीर रूप 10 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर से कम वाले टीबी से ग्रसित बच्चों में अधिक देखी गई

Dayanidhi

क्षय रोग, तपेदिक (टीबी) एक संक्रामक रोग है जो अक्सर फेफड़ों पर बुरा असर डालता है और एक प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या थूकने पर यह हवा के माध्यम से फैलता है। इसके पीछे के और क्या-क्या कारण है तथा विटामिन डी की इसमें क्या भूमिका है? शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाया है।  

भारत के एक राज्य, तेलंगाना के अस्पताल में भर्ती रोगियों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, अन्य बीमारियों के मुकाबले तपेदिक (टीबी) से ग्रसित बच्चों में विटामिन डी की कमी अधिक आम है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि विटामिन डी की कमी का एक गंभीर रूप 10 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एनजी / एमएल) से कम वाले टीबी से ग्रसित बच्चों में अधिक देखी गई।

उस्मानिया मेडिकल कॉलेज (ओएमसी) और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, सिद्दीपेट के शोधकर्ताओं सहित टीम ने एक साल और पांच महीने की अवधि में तेलंगाना के नीलोफर अस्पताल के एक देखभाल केंद्र में अध्ययन किया।

इस अध्ययन में छह महीने से 12 साल के बीच के कुल 70 टीबी से ग्रसित बच्चों को शामिल किया गया था। प्रतिभागियों को आयु के अनुसार तीन टीमों में विभाजित किया गया, जिनमें एक से चार वर्ष, पांच से आठ वर्ष और नौ-12 वर्ष के प्रतिभागी शामिल थे।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि, हमारे अध्ययन में विटामिन डी के औसत स्तर मामलों में 10.43 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एनजी/एमएल) और नियंत्रणों में 22.84 एनजी/एमएल  था।

अध्ययन में पाया गया कि टीबी से ग्रसित बच्चों में विटामिन डी की कमी (वीडीडी) का प्रसार नियंत्रण की तुलना में अधिक था। इसके अलावा, विटामिन डी की कमी (वीडीडी) का गंभीर रूप टीबी से ग्रसित बच्चों में अधिक था।

शोधकर्ताओं ने कहा कि चिकित्सकों को संबंधित कुपोषण और निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि उनके बीच गंभीर विटामिन डी की कमी के खतरे होते हैं।

बीएमसी पल्मोनरी मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक, विटामिन डी की कमी सक्रिय टीबी के बढ़ते खतरों से जुड़ा हुआ है।

तपेदिक (टीबी) दुनिया में सबसे विनाशकारी और व्यापक संक्रमणों में से एक है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह रुग्णता और मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है, विशेष रूप से विकासशील देशों में।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2021 में, टीबी से कुल 16 लाख लोगों की मौत हुई थी, दुनिया भर में लगभग 1.06 करोड़ लोग तपेदिक (टीबी) से ग्रसित पाए गए। 60 लाख पुरुष, 34 लाख महिलाएं और 12 लाख बच्चे इसमें शामिल थे। टीबी सभी देशों और आयु समूहों में मौजूद है। लेकिन टीबी का इलाज और रोकथाम किया जा सकता है।

टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरिया के कारण होती है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस सबसे अधिक पाया जाने वाला जीव है और कुछ हद तक, एम. बोविस और एम. अफ्रिकैनम भी हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि माइकोबैक्टीरियल विषाणु और मेजबान प्रतिरक्षा की कमी भी रोग के बढ़ने के लिए जिम्मेवार है। यह यह अध्ययन क्यूरियस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।