स्वास्थ्य

अध्ययन में हुआ खुलासा : लॉन्ग कोविड के जोखिम को आधा कर सकता है टीकाकरण

Lalit Maurya

यह तो सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी के खिलाफ टीकाकरण एक अचूक बाण साबित हुआ है। इस टीकाकरण ने लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई हैं। वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया द्वारा किए नए शोध में इस टीकाकरण एक और फायदा सामने आया है, जिसके मुताबिक कोरोना के खिलाफ टीकाकरण से लोगों में लॉन्ग कोविड यानी लंबे समय तक रहने वाले कोविड के असर का जोखिम आधा हो जाता है।

इस रिसर्च के नतीजे जर्नल जामा इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं। गौरतलब है कि लॉन्ग कोविड की स्थिति में कोविड-19 का शिकार मरीज बीमारी के हफ्तों, महीनों या वर्षों बाद भी इससे जुड़े लक्षणों के साथ मल्टीऑर्गन प्रभाव या ऑटोइम्यून स्थिति का अनुभव करते हैं।

लॉन्ग कोविड की यह समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोविड-19 का शिकार हुए 10 फीसदी मरीज अभी भी इसके लक्षणों से ग्रस्त हैं। मतलब अभी भी 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं यदि यूके की बात करें तो यह समस्या अभी भी 20 लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित कर रही है।

जर्नल नेचर रिव्यु माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक इतना ही नहीं अभी भी इसका शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है। इन मरीजों में कई अंग प्रणालियों को प्रभावित करने वाले 200 से ज्यादा लक्षणों की पहचान की गई है।

कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में ज्यादा होता है लॉन्ग कोविड का खतरा

इस अध्ययन में 860,783 मरीजों को शामिल किया गया था, जोकि अपनी तरह का सबसे बड़ा अध्ययन है। अध्ययन के अनुसार महिलाओं, बढ़ते वजन और 40 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों की लम्बे समय तक कोविड-19 से पीड़ित रहने की सम्भावना सबसे अधिक है।

साथ ही रिसर्च में यह भी पता चला है कि अस्थमा, टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी (सीओपीडी), कमजोर प्रतिरक्षा के साथ चिंता और अवसाद जैसी बीमारियां भी लॉन्ग कोविड के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं। इसके अलावा गंभीर रूप से कोविड के शिकार मरीजों में लॉन्ग कोविड के होने की आशंका सबसे ज्यादा है।

इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के नॉर्विच मेडिकल स्कूल से जुड़े प्रोफेसर वासिलियोस वासिलियोउ का कहना है कि "लॉन्ग कोविड एक जटिल स्थिति है, जो कोविड के दौरान या बाद में विकसित होती है।" उनके अनुसार यह स्थित तब होती है जब किसी मरीज में 12 सप्ताह के बाद भी इसके लक्षण बरकरार रहते हैं। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को टीका लगा था, उनमें अन्य मरीजों की तुलना में लॉन्ग कोविड के विकसित होने का जोखिम काफी कम, करीब आधा था।

रिसर्च के मुताबिक यह समस्या मरीजों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है। इनमें सांस फूलना, खांसी, दिल की असमान्य धड़कन, सिरदर्द और गंभीर थकान  इसके सबसे आम लक्षण हैं। वहीं अन्य लक्षणों में सीने में दर्द या जकड़न, ब्रेन फॉग, अनिद्रा, चक्कर आना, जोड़ों में दर्द, अवसाद और चिंता, टिनिटस, भूख न लगना, सिरदर्द और गंध या स्वाद में बदलाव आदि शामिल हैं।

इस महामारी को तीन वर्ष बीत चुके हैं। हालांकि इसके बावजूद अभी भी इसका खतरा टला नहीं है। भारत ही नहीं दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण का खतरा दोबारा बढ़ रहा है। जो कहीं न कहीं दर्शाता है कि अभी भी मानव जाति इस तरह की आपदाओं के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में प्रकृति के साथ होता खिलवाड़ कितना सही है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

भारत सहित कई देशों में एक बार फिर बढ़ रहे हैं मरीज

यदि मौजूदा आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले सात दिनों में वैश्विक स्तर पर 6.57 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जबकि 4,338 लोगों की इस महामारी से मौत हुई है। इसी तरह अमेरिका में पिछले सात दिन में 1.3 लाख से ज्यादा नए मरीज सामने आए हैं, जबकि एक सप्ताह में 1,741 लोगों की जान कोरोना ने ली है।

चीन में भी हालात कोई खास अच्छे नहीं हैं वहां भी इन सात दिनों में 54,449 मामले सामने आए हैं, जबकि 227 लोगों की जान इस महामारी ने ली है। यदि भारत की बात करें तो देश में यह महामारी एक बार फिर बड़ी तेजी से सर उठा रही है। जहां पिछले 24 घंटों में 1,805 नए मामले सामने आए हैं।

इस तरह देश में सक्रिय मामलों का आंकड़ा भी बढ़कर 10,300 पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि यह महामारी अब तक देश में 530,837 लोगों की जान ले चुकी है, जबकि करोड़ों लोग इस महामारी का दंश झेल रहे हैं। यदि सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में अब तक कोविड-19 वैक्सीन की 220.65 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं।

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