उत्तर प्रदेश में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर से 31 मार्च, 2021 को जारी उद्घोषणा में कहा गया है कि पूरा प्रदेश कोविड-19 से प्रभावित है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में अब तक लागू लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अधिनियम 2020 को 30 जून तक लागू रह सकता है। जब तक कि इस बीच कोई अन्य आदेश न जारी किया जाए। यूपी में लागू महामारी एक्ट कई तरह के प्रतिबंध लगाती है। आंशिक या पूर्ण या कुछ शर्तों वाले लॉकडाउन के संबंध में भी इसी एक्ट के तहत निर्णय लिया जा सकता है। इस एक्ट में जुर्माने के साथ अधिकतम 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान भी मौजूद है।
बहरहाल उत्तर प्रदेश में 4 अप्रैल तक स्कूल बंद हैं और इस संबंध में अभी अगला आदेश आना बाकी है। वहीं, हाल ही में उत्तर प्रदेश के भीतर शादी-समारोह में व्यक्तियों की संख्या को 200 से घटाकर 100 कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की ओर से 31 मार्च, 2021 को बताया गया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों की गंभीरता को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी नियंत्रण के लिए लागू अधिनियम की समय-सीमा 31 मार्च, 2021 को समाप्त हो रही थी। इसे विस्तार देने के लिए उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 विनियमावली 2020 में 7वां संशोधन किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 1 अप्रैल, 2021 की सुबह आठ बजे तक उत्तर प्रदेश में कुल 617,194 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। देश के 10 शीर्ष कोरोना संक्रमण की पुष्टि वाले राज्यों के मामले में फिलहाल उत्तर प्रदेश का स्थान 7वां है। देश में अब तक सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण मामलों की पुष्टि महाराष्ट्र में हुई है।
देश के कई राज्यों में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। यदि एक अप्रैल, 2021 तक बीते 24 घंटों के आधार पर नए मामलों की बात करें तो पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 72,330 नए मामले सामने आए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 39,544 नए मामले दर्ज किए गए हैं। कर्नाटक में 4,225 और पंजाब में 2,944 नए मामले दर्ज किए गए। जबकि तमिलनाडु में 2579, आंध्र प्रदेश में 1184, दिल्ली में 1819, उत्तर प्रदेश में 1198 नए मामले सामने आए हैं।
राज्य या जिला स्तर पर महामारी से बचाव के जो भी नियम बनाए जाएंगे उनका पालन करना अनिवार्य होगा। अधिनियम में ऐसे कई प्रावधान हैं जो कठोर दंड और जुर्माने की बात पर बल देते हैं।
कितना कठोर है महामारी नियंत्रण अधिनियम ः कुछ खास प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 348 की धारा (3) की शक्तियों के तहत राज्यपाल के आदेश पर उत्तर प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोक निवारण अधिनियम, 2020 लागू हुआ। यह प्रारंभिक रूप से तीन माह के लिए थी लेकिन इसके अवधि विस्तार के लिए अब तक सात संशोधन किए गए हैं। इस महामारी नियंत्रण अधिनियम में प्रतिबंध, दंड और जुर्माने पर खासा जोर है।
इस अधिनियम के तहत राज्य महामारी नियंत्रण प्राधिकरण है जिसके अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। जबकि जिलास्तरीय प्राधिकरण का चेयरमैन जिलाधिकारी को बनाया गया है।
समूचे राज्य में राज्य प्राधिकरण या किसी जिले में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन का फैसला जिलाधिकारी कर सकते हैं।
इलाज के लिए आवश्यकता लगने पर किसी भूमि या भवन पर प्राधिकरण अपना दावा कर सकता है।
किसी व्यक्ति की तलाशी या उसकी खोज के लिए किसी भवन या संपत्ति में प्रवेश के लिए जिला मजिस्ट्रेट या अधिकृत पुलिस अधिकारी को भेजा जा सकता है।
सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति या संगठन से नुकसान की वसूली की जा सकती है।
जो कि पांच या उससे अधिक व्यक्ति का उत्पीड़न (सामूहिक उत्पीड़न) करता है उसे तीन वर्ष से लेकर दस वर्ष तक का कारावास हो सकता है। साथ ही न्यूनतम एक लाख रुपये से अधिकतम पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
कोई भी पीड़ित व्यक्ति को स्वैच्छिक सहायता या सीधे मदद नहीं कर सकता है। उसे जिलाधिकारी के जरिए निर्मित व्यवस्था को फॉलो करना होगा।
कोई स्वयं को पीड़ित व्यक्ति जानते हुए भी खुद को छिपाने या न बताने की कोशिश करेगा उसे छह माह से लेकर एक वर्ष और 50 हजार से एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
महामारी संबंधित जारी कोई प्रशासनिक या चिकत्सकीय आदेश के खिलाफ जाने पर अधिकतम पांच वर्ष तक की सजा और न्यूनतम 50 हजार से एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।