देश में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में बताया कि तीन मार्च, 2025 तक, महाराष्ट्र में जीबीएस के 224 मामले और 12 मौतें दर्ज की गई हैं, जो एक दुर्लभ तंत्रिका विकार है।
जवाब में कहा गया कि 24 जनवरी 2025 को केंद्रीय तकनीकी टीम को पुणे और नांदेड़ में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों की जांच के लिए तैनात किया गया था। इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे के विशेषज्ञ शामिल थे।
जांच में पाया गया कि इन क्षेत्रों में जीबीएस के मामलों का संभावित कारण कैम्पिलोबैक्टर संक्रमण है, जो दूषित पानी के माध्यम से फैल सकता है। इसलिए, पानी की आपूर्ति प्रणालियों और स्रोतों की गहन जांच की गई। विशेषज्ञों ने प्रभावित क्षेत्रों में महामारी विज्ञान संबंधी मानचित्रण किया और उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की सिफारिश की।
जवाब में कहा गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्य के विषय हैं, इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों की होती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत केंद्र तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हालांकि, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार या गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित या मृत व्यक्तियों के परिजनों को केंद्रीय सहायता प्रदान नहीं की है।
देश में स्वास्थ्य पर व्यय
आज सदन में उठे एक सवाल का जवाब देते हुए, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में कहा कि कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) 2014-15 में 62.6 फीसदी से घटकर 2021-22 में 39.4 फीसदी हो गया है, जबकि सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई) 29.0 फीसदी से बढ़कर 48.0 फीसदी हो गया है।
पटेल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से स्वास्थ्य बजट में सालाना कम से कम 10 फीसदी की वृद्धि करने का आग्रह किया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का बजट 2017-18 में 47,353 करोड़ रुपये से 102.64 फीसदी बढ़कर 2025-26 में 95,957.87 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग ने स्थानीय सरकारों के माध्यम से स्वास्थ्य के लिए 70,051 करोड़ रुपये (2020-26) आवंटित किए।
देश में वजन घटाने वाली दवाओं का नियमन
वजन घटाने वाली दवाओं को लेकर सदन में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देश में मोटापा व वजन प्रबंधन के लिए तीन दवाओं को मंजूरी दी है - (1) ऑर्लिस्टैट (2) टिरज़ेपेटाइड (3) सेमाग्लूटाइड। इन दवाओं को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और नियम 1945 के प्रावधानों के अनुसार बेचा जाना आवश्यक है। दवाओं का उपयोग व उपभोग सिफारिशों के अनुसार किया जाना चाहिए।
नदी के पानी में भारी धातुओं के कारण कैंसर के मामले
सदन में आज उठाए गए एक सवाल के जवाब में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का हवाला दिया। साल 2024 में किए गए एक अध्ययन और मानव स्वास्थ्य को होने वाले खतरों के आकलन पर भारतीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि नदी नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर रोग का खतरा बहुत अधिक है। जोखिम गुणांक सीमा से ऊपर देखा गया है जो भारी बिना कैंसरजन्य खतरे पैदा करता है। अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि सीसा, लोहा और एल्यूमीनियम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमेय सीमा से अधिक पाए गए।
75/25 उच्च रक्तचाप और मधुमेह देखभाल योजना का कार्यान्वयन
आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में बताया कि 17 मई 2023 को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर, सरकार ने "75/25" योजना शुरू की है। इसका लक्ष्य दिसंबर, 2025 तक उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित 7.5 करोड़ लोगों को मानक देखभाल के अंतर्गत लाना है।
पांच मार्च 2025 तक, 42.01 मिलियन लोगों को उच्च रक्तचाप और 25.27 मिलियन लोगों को मधुमेह के लिए उपचार दिया जा चुका है। लक्ष्य के मुकाबले 89.7 फीसदी हासिल किया जा चुका है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) पोर्टल के अनुसार, 27 फरवरी 2025 तक कुल 38,153 (73 फीसदी) चिकित्सा अधिकारियों ने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी)
इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में आज, भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने लोकसभा में कहा कि देश में कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान कुल 19.50 लाख इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बेचे गए।
वर्मा ने कहा कि भारत सरकार देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने में लगातार सहयोग कर रही है। फेम-द्वितीय योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (ई वीपीसीएस) स्थापित करने के लिए 839 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसी तरह, पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
पीएम सूर्य घर योजना
सदन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में कहा कि विशेष रूप से भारी स्थापना लागत वहन करने में असमर्थ मध्यम वर्ग के परिवारों और कम बिजली खपत वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच भागीदारी बढ़ाई जा रही है।
इसके लिए पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजी: एमबीवाई) छत पर सौर ऊर्जा की स्थापना की पहली दो किलोवाट क्षमता के लिए 60 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाती है। विशेष श्रेणी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 28 दिसंबर, 2024 को पीएमएसजी: एमबीवाई के आरईएससीओ और यूटिलिटी-लेड एग्रीगेशन (यूएलए) मॉडल के तहत भुगतान सुरक्षा तंत्र और केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के लिए परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए। इसका उद्देश्य विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों के लिए छत पर सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देने में डिस्कॉम, राज्य सरकारों और नामित संस्थाओं का समर्थन करना है।
नाइक ने कहा कि एक मार्च, 2025 तक 47.06 लाख आवेदन पंजीकृत किए गए हैं और योजना के तहत 9.70 लाख से अधिक परिवारों को रूफटॉप सौर प्रणाली की स्थापना से लाभ हुआ है।