स्वास्थ्य

दक्षिण एशिया में एक साल में 8.81 लाख बच्चों की हो सकती है मौत: यूनिसेफ

यूनिसेफ की 23 जून की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण दक्षिण एशिया में गरीब बच्चों की संख्या 24 करोड़ से बढ़कर 36 करोड़ हो जाएगी

Kiran Pandey, Raju Sajwan

23 जून, 2020 को जारी एक यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अगले छह महीनों के भीतर लगभग 36 करोड़ बच्चे गरीबी और खाद्य असुरक्षा का सामना करने को मजबूर होंगे। इससे पहले इस क्षेत्र में 24 करोड़ से अधिक बच्चों को गरीब के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया था, लेकिन नई रिपोर्ट में कहा गया है कि नोवल कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड-19) महामारी के चलते गरीब बच्चों की संख्या में 12 करोड़ का इजाफा और हो जाएगा।

यूनिसेफ के अनुमान के अनुसार, दक्षिण एशिया में 18 साल से कम उम्र के लगभग 60 करोड़ बच्चे रह रहे हैं, इनमें से हर 10 में से छह बच्चे गरीब हैं और दक्षिण एशिया में गरीब और खाद्य असुरक्षित बनने की संभावना है।

संयुक्त राष्ट्र भी बच्चों पर कोविड-19 के प्रभाव पर लगातार चिंता व्यक्त कर रहा है, लेकिन यूनिसेफ की यह पहली रिपोर्ट है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर केंद्रित थी।

हालांकि सार्स कॉव-2 वायरस का बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, लेकिन यूनिसेफ की रिपोर्ट में महामारी का मुकाबला करने के लिए कई देशों में किए गए लॉकडाउन और उससे हुए आर्थिक नुकसान को आधार बनाया गया है। 

इस रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में महामारी के तत्काल और दीर्घकालिक दोनों परिणामों पर फोकस करते हुए कहा गया है कि अगले दशकों तक बच्चों के जीवन स्तर में सुधार की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से दक्षिण एशिया में बच्चों के बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी अन्य प्राथमिकताओं पर असर पड़ेगा। इसलिए सरकारों को लाखों परिवारों को गरीबी की ओर खिसकने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

दक्षिण एशिया के यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक जीन गफ ने कहा, "दक्षिण एशिया में महामारी के दुष्परिणाम - जिसमें लॉकडाउन और अन्य उपाय भी शामिल हैं, जो बच्चों के लिए कई तरह से हानिकारक हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में परिवार स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और शिक्षा पर कम खर्च करेंगे, क्योंकि विदेशों से प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाली राशि में कमी आएगी। 

8.81 लाख बच्चों की हो सकती है मौत

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए चिकित्सा संसाधनों का एकतरफा इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि दूसरी बीमारियों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे बच्चों के टीकाकरण टीकाकरण, पोषण और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस कारण दक्षिण एशिया में लगभग 917,000 बच्चे और मां अगले 12 महीनों में मर सकते हैं, जिनमें 881,000 बच्चे पांच साल से कम उम्र के होंगे। 

यूएन ने साफ कहा है कि इन मौतों का बड़ा हिस्सा भारत और पाकिस्तान में होगा, हालांकि बांग्लादेश और अफगानिस्तान अतिरिक्त मृत्यु दर के महत्वपूर्ण स्तर को भी देख सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे पहले बच्चों और महिलाओं पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर एक चिंता जताई थी।

कोविड-19 के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए भारत में की गई देशव्यापी तालाबंदी के कारण अकेले उत्तर प्रदेश में 15 लाख बच्चों का टीकाकरण नहीं किया जा सका।

बांग्लादेश में मार्च की तुलना में अप्रैल में नियमित टीकाकरण करने वाले बच्चों की संख्या में 49 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। लॉकडाउन के हफ्तों के भीतर, नेपाल के विभिन्न हिस्सों में सात खसरा प्रकोप और लगभग 250 मामले सामने आए।

दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के स्वास्थ्य सलाहकार पॉल रटर ने कहा, "वायरस से बच्चों को सीधा जोखिम नहीं है, लेकिन यह देखना बेहद जरूरी है कि कोविड​​-19 के दौरान बच्चों के लिए प्रसव, बाल स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं उपलब्ध हैं या नहीं।"

बढ़ रही है खाद्य असुरक्षा

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है।

श्रीलंका में यूनिसेफ के सर्वेक्षण से पता चला है कि 30 प्रतिशत परिवारों ने अपने भोजन की खपत कम कर दी है। बांग्लादेश के एक अन्य सर्वेक्षण में इसी तरह के परिणाम सामने आए, जहां गरीब परिवार एक दिन में तीन भोजन नहीं कर पा रहे थे।

दक्षिण एशिया में 50 करोड़ से अधिक लोगों को भरपेट खाना नहीं मिलता है तो नए अनुमानों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को कैसे पूरा कर पाएगा?

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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने दूरस्थ शिक्षा के लिए आवश्यक इंटरनेट एक्सेस और बिजली में असमानता को भी इंगित किया, जब लॉकडाउन के कारण स्कूलों के बंद होने के बाद 430 मिलियन से अधिक बच्चे दूरस्थ शिक्षा पर निर्भर है।

यूनिसेफ के अनुसार, लगभग 3.2 करोड़ बच्चे पहले ही स्कूल से बाहर हैं और लॉकडाउन के चलते इन बच्चों की संख्या और बढ़ जाएगी। यूनिसेफ ने इस रिपोर्ट में कहा है कि स्कूल जल्द से जल्द खुलने चाहिए, लेकिन साथ ही स्कूलों को पूरी एहतियात भी बरतनी चाहिए।