स्वास्थ्य

संसद में आज: असम और बिहार में कैंसर के लिए आर्सेनिक भी है जिम्मेवार

2022 में असम में कैंसर के मामलों की संख्या लगभग 39,787 और बिहार में 1,09,274 थी

Madhumita Paul, Dayanidhi

आज महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने लोकसभा में उठे एक प्रश्न के जवाब में बताया कि, 2019 से 21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) की हाल ही में जारी रिपोर्ट और 2015-16 के एनएफएचएस-चार की तुलना में प्रमुख पोषण संकेतकों में सुधार देखा गया है। ईरानी ने बताया कि, एनएफएचएस-पांच की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एनएफएचएस-चार की तुलना में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पोषण में सुधार हुआ है। शारीरिक कमजोरी जो एनएफएचएस-चार में 21 फीसदी थी वह एनएफएचएस-पांच में घटकर 19.3 फीसदी हो गई है, कुपोषण जो एनएफएचएस-चार में 35.7 फीसदी था वह घटकर एनएफएचएस-पांच में 32.1 फीसदी रह गया है और शारीरिक विकास न हो पाने में एनएफएचएस-चार में 38.4 फीसदी था वह अब सुधर कर  एनएफएचएस-पांच में 35.5 फीसदी हो गया है।

भारत में कुष्ठ रोग के मामले

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंडों  के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ उन्मूलन 2005 में हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि उन्मूलन जोकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 की आबादी पर कुष्ठ रोग के एक मामले से कम होना माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के तहत शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों से कुष्ठ रोग के नए मामले 2014-15 में 1,25,785 से घटकर 2021-22 में 75,394 रह गए हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता योजना के तहत धन राशि

स्मृति जुबिन ईरानी ने मासिक धर्म स्वच्छता योजना को लेकर सदन में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि, देश में 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा इस योजना को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के बजट या एनएचएम और राज्य के संयुक्त बजट के साथ लागू किया जाता   हैं। ईरानी ने बताया कि स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में लगभग 34.92 लाख किशोरियों को हर महीने सैनिटरी नैपकिन पैक दिए गए।

उन्होंने बताया कि, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) को लागू करता है, जो महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना के तहत, देश भर में 8800 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं जो 'सुविधा' नामक ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन एक रुपये प्रति पैड में उपलब्ध कराते हैं।

भारत में लाइफस्टाइल या जीवन शैली संबंधी रोग

आज स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में, भारत में जीवन शैली संबंधी रोगों को लेकर प्रश्न किया गया, जिसमें उन्होंने आईसीएमआर के अध्ययन रिपोर्ट "भारत: के राज्यों का स्वास्थ्य (2017)" का हवाला देते हुए कहा कि, भारत में राज्यों के स्तर पर रोग, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का अनुपात  1990 में 30.5 फीसदी से बढ़ कर 2016 में 55.4 फीसदी हो गया है।

असम और बिहार में आर्सेनिक प्रदूषण के कारण कैंसर

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया कि आईसीएमआर राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, 2022 में असम में कैंसर के मामलों की संख्या लगभग 39787 और बिहार में 109274 थी।

पवार ने कहा, आर्सेनिक से दूषित पानी पीने तथा लंबे समय तक संपर्क से कई बीमारियां हो सकती हैं, मुख्य रूप से त्वचा का रंजकता, मोटा होना, हथेलियों और पैरों के तलवों पर धब्बे (हाइपरकेराटोसिस) आदि। ये लगभग पांच वर्षों के लगातार आर्सेनिक प्रदूषण के सम्पर्क के बाद होते हैं और त्वचा कैंसर को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक आर्सेनिक के संपर्क में रहने से मूत्राशय और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

खेती योग्य भूमि क्षेत्र में गिरावट

आज सदन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने  पूछे गए एक सवाल का उत्तर देते हुए बताया कि,नवीनतम भूमि उपयोग सांख्यिकी के अनुसार 2010-11 से 2019-20 तक, भारत में खेती योग्य भूमि क्षेत्र 2018-19 में 1,80,624 हजार हेक्टेयर से 2019-20 में  घटकर1,79,993 हजार हेक्टेयर रह गई  है।

कृषि योग्य भूमि में मामूली गिरावट मुख्य रूप से बिना-कृषि उद्देश्यों जैसे शहरीकरण, बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे भूमि में बदलाव के कारण हुई है। तोमर ने कहा कि जहां कृषि भूमि को बिना कृषि उद्देश्यों के लिए बदला जा रहा है, वहीं बिना कृषि भूमि को भी सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषि उपयोग के तहत लाया जा रहा है। 

दुनिया भर में मछली उत्पादन में भारत का स्थान

मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने सदन में मछली उत्पादन को लेकर उठाए गए एक प्रश्न के जवाब में बताया कि, दुनिया भर में भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन में आठ प्रतिशत का योगदान देता है वहीं देश जलीय कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

उन्होंने कहा 2021-22 में मछली उत्पादन 16.24 मिलियन टन रहा, जिसमें 4.12 मिलियन टन समुद्री मछली उत्पादन और एक्वाकल्चर 12.12 मिलियन टन रहा। रुपाला  ने बताया कि, कुछ हद तक जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उनमें गुणवत्तापूर्ण बीज की बढ़ती उपलब्धता, कोल्ड चेन, बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करना शामिल हैं।