स्वास्थ्य

दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए उच्च न्यायालय ने समिति के सुझावों को तत्काल लागू करने का दिया निर्देश

Susan Chacko, Lalit Maurya

उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव को चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए उपायों को 30 दिनों के भीतर लागू करने का निर्देश दिया है।

अदालत का यह भी कहना है कि चूंकि डॉक्टर एस के सरीन समिति की तत्काल सिफारिशें मानव जीवन को बचाने में काफी मददगार होंगी और ये किसी भी तरह से राजनीतिक प्रकृति की नहीं हैं, इसलिए यह चुनाव के लिए जारी आदर्श आचार संहिता बाधा नहीं बनेगी। गौरतलब है कि इस छह-सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मौजूदा संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए कई सुझाव दिए थे।

अपने आदेश में अदालत ने मुख्य सचिव और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव से एक रोड मैप भी साझा करने को कहा है, जिसमें यह जानकारी होनी चाहिए कि वो समिति द्वारा सुझाए मध्यवर्ती और दीर्घकालिक उपायों को तय समय सीमा के भीतर कैसे लागू करेंगे। इसके साथ ही 16 अप्रैल, 2024 को अदालत ने प्रमुख स्वास्थ्य सचिव से इस मामले में चार सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है।

साथ ही डॉक्टर एस के सरीन समिति से भी चार सप्ताह के भीतर एक पूरक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 मई 2024 को होगी।

बता दें कि उच्च न्यायालय द्वारा 13 फरवरी को दिए आदेश पर डॉक्टर सरीन समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट और सिफारिशें प्रस्तुत कीं थी। अदालत का यह आदेश सरकारी अस्पतालों के आईसीयू में बेड और वेंटिलेटर की कथित कमी को लेकर 2017 में संज्ञान ली गई एक जनहित याचिका पर आया था।

इस मामले में समिति द्वारा प्रस्तावित सिफारिशों में से कुछ तत्काल किए जाने वाले उपायों में निम्न बातों पर भी प्रकाश डाला गया है।

शीघ्र भरे जाने चाहिए खाली पड़े 15 फीसदी पद

संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए सलाहकारों का पुनर्वितरण। इसका मतलब है कि जिन अस्पतालों में विशेषज्ञ उपलब्ध हैं, लेकिन उपकरणों और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण उनका इष्टतम उपयोग नहीं हो पा रहा है, उन्हें ऐसे संस्थानों में नियुक्त किया जा सकता है, जहां पर्याप्त संसाधन और उपकरण उपलब्ध हैं।

इसी तरह जिन संस्थानों में तकनीकी कर्मचारियों की कमी के कारण उपकरणों का उपयोग नहीं हो रहा है, वहां इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इनकी मदद से इन उपकरणों को उपयोग में लाने की बात समिति न की है।

समिति ने अपनी सिफारिश में ऐसे उपकरणों को अन्य संस्थानों में भेजने की सिफारिश की है जहां बिजली और उनको चलाने के लिए तकनीकी कर्मचारी उपलब्ध हैं।

समिति ने अस्पतालों में रिक्त पड़े 15 फीसदी पदों को शीघ्र भरने का भी सुझाव दिया है। समिति ने विशेष रूप से उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरणों के संचालन या गंभीर देखभाल इकाइयों के संचालन से संबंधित पदों को 30 दिनों के भीतर भरने की सिफारिश की है। साथ ही डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र को बढाकर 70 साल करने की भी सिफारिश समिति ने की है।

इसी तरह समिति ने सीटी स्कैन और एमआरआई सुविधाएं प्रदान करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करने का सुझाव दिया है। उन्होंने इस मॉडल को लागू करने के लिए सफल बोलीदाताओं की पहचान करने का प्रस्ताव रखा है। समिति के मुताबिक उपरोक्त मॉडल को विशेष रूप से लेवल तीन और चार के अस्पतालों में जहां इन सेवाओं या रेडियोलॉजिस्ट की कमी है, वहां लागू किया जा सकता है।

समिति ने बुनियादी ढांचे, चिकित्सा या सर्जिकल सामग्रियों, ट्रॉमा सेवाएं, आपातकालीन ऑपरेशन थिएटर, और रेफरल प्रणाली सहित चिकित्सा प्रणाली में कुछ कमियों की ओर भी इशारा किया है।

समिति ने तत्काल उपायों को 30 दिनों के भीतर, अल्पकालिक उपायों को 31 से 90 दिन, मध्यवर्ती उपायों को 91 से 365 दिनों में और दीर्घकालिक उपायों को एक से दो साल में लागू करने की सिफारिश की है।