एक जून, 2021 से राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से 45 से अधिक आयु वर्ग को टीका लगाने के लिए 0.5 एमएल वाली ऑटो डिजेबल सिरिंज की भी आपूर्ति रोक दी गई है। इससे पहले राज्यों को खुद ही 18-44 आयु वालों के टीके की सिरिंज की जरूरत को पूरा करना था। ऐसे में सभी आयु वर्गों के लिए टीके के सिरिंज का प्रबंध राज्यों को ही करना है।
सिरिंज की जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ राज्यों ने निविदाएं निकाली हैं तो कुछ राज्यों की निविदाएं दो-बार फेल हुई हैं। सीमित सिरिंज निर्माता कंपनियां राज्यों की इन निविदाओं में दिलचस्पी नहीं ले रहीं। इसकी एक बड़ी वजह यह संभव है कि केंद्र सरकार ने बीते वर्ष ही सिरिंज निर्माता कंपनियों के बड़े स्टॉक का ऑर्डर दे दिया था।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में करीब 40 करोड़ 0.5 एमएल वैक्सीन सिरिंज के लिए विभिन्न कंपनियों को ऑर्डर दिए थे, जिसकी सप्लाई कंपनियों से जारी थी। हालांकि, सिरिंज का यह स्टॉक सिर्फ 45 वर्ष से अधिक आयु की वैक्सीन के लिए था, भारत में इस आयु वर्ग की आबादी करीब 30 करोड़ (300 मिलियन) है। सभी राज्यों को केंद्र की ओर से इसी स्टॉक से सिरिंज भेजी जा रही थी, जो कि दो डोज वैक्सीन के हिसाब से 45 वर्ष आयु वालों (30 करोड़) के लिए था।
आपूर्ति करने वाले सिरिंज मैन्युफैक्चरर्स बताते हैं कि केंद्र ने जो सिरिंज स्टॉक किया वह कहां है और क्यों राज्यों को बंद किया गया नहीं बता सकते हैं।
दुनिया भर में हर तरह के टीकाकरण के लिए 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है। इस सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, यदि ऐसा कोई करता है तो यह टूट जाती है। इस सिरिंज से टीके की वेस्टेज भी कम होती है।
भारत में टीके के लिए लगाए जाने वाले इस सिरिंज की विशेष मांग है क्योंकि यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रत्येक वर्ष 12 रोगों से बचाव के टीके 2.65 करोड़ बच्चों और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लगाए जाते हैं। इनमें भी 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है। कोविड की दोनों लहरों के दौरान इन सामान्य टीकों को भी झटका पहुंचा है और कोविड वैक्सीन के लिए सिरिंज की वैश्विक मांग मांग और आपूर्ति के बीच बड़ी खाई पैदा कर सकती है।
केंद्र सरकार को वैक्सीन के लिए कंज्यूमेबल सप्लाई करने वाले प्रमुख निर्माता राजस्थान स्थित इस्कॉन सर्जिकल लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट संदीप भंडारी डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहते हैं "भारत में प्रतिवर्ष करीब 60 करोड़ 0.5 एमएल सिरिंज की खपत है। इसका इस्तेमाल सिर्फ टीकाकरण में होता है, इसलिए सरकार के अलावा इसे कोई नहीं खरीदता। रूटीन वैक्सीनेशन के लिए करीब 20 करोड़ वैक्सीन सिरिंज इस वर्ष हमें सप्लाई करना है। हम महीने के हिसाब से इसे सरकार को भेज रहे हैं।"
कोविड-19 ने रूटीन वैक्सीनेशन को भी झटका दिया है। इस बीच कोविड की दूसरी घातक लहर ने सबका ध्यान कोविड-19 टीके की तरफ खींचा है। ऐसे में सिरिंज निर्माता कंपनियों ने बीते वर्ष ही आगाह किया था कि सरकार को इस पर काम शुरू कर देना चाहिए।
सिरिंज निर्माता संदीप भंडारी बताते हैं "बीते वर्ष 2020 में कोविड-19 के लिए 27 अक्तूबर को 5.22 करोड़ 0.5 एमएल वैक्सीन सिरिंज का ऑर्डर केंद्र सरकार से मिला था। इसके बाद दिसंबर,2020 में केंद्र सरकार की ओर से 351.25 मिलियन (35.12 करोड़) वैक्सीन सिरिंज की निविदा निकाली गई थी। इस बिड के जरिए मुझे 42 मिलियन (4.2 करोड़) का ऑर्डर मिला था। अक्तूबर, 2020 में हमारी क्षमता प्रतिमाह 1.5 से 2 करोड़ सिरिंज बना रहे थे। अभी हमारी क्षमता 3 करोड़ सिरिंज हो गई है।"
केंद्र ने भले ही राज्यों को सिरिंज का प्रबंध करने को कहा हो लेकिन राज्य आखिर इसका प्रबंध करने में देरी क्यों कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब राज्यों की हाल-फिलहाल टेंडर रणनीति से मिलता है।
वैक्सीन सिरिंज राज्यों के फेल होते टेंडर
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 27 मई, 2021 को दो वर्षों में 5 करोड़ की संख्या वाली 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज के लिए निविदा निकाली है। ऑनलाइन माध्यम से यह निविदा कंपनियों के लिए 7 जून, 2021 तक खुली रहेगी।
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल ने डाउन टू अर्थ से कहा "पहले केंद्र सरकार यह ऑटो डिजेबल सिरिंज देती थी, अब उसने देना बंद कर दिया है। इसलिए यह प्रबंध करना है। इसके अलावा अभी हम प्रतिदिन 3.5 लाख लोगों को वैक्सीन दे रहे हैं। अगले महीने जुलाई तक 10 लाख लोगों को प्रतिदिन टीकाकरण देने का लक्ष्य है। ऐसे में हमें सिरिंज की जरूरत तो होगी ही।"
सिरिंज की कमी को लेकर टेंडर जारी करने वाला यह इकलौता राज्य नहीं है। आंध्र प्रदेश मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एपीएमएसआईडीसी) ने टीका लगाने वाली 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज के लिए 10 मई, 2021 को एक
शॉर्ट टर्म निविदा निकाली थी। इसकी अवधि 13 मई, 2021 तक थी। इस टेंडर में रुचि दिखाने वाली एक कंपनी के साथ बात नहीं जमी। एपीएमएसआईडीसी के संबंधित निविदा के जनरल मैनेजर ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि टेक्निकल बिड में कुछ परेशानी के बाद यह निविदा सफल नहीं रही। अब दोबारा से टेंडर निकालने की तैयारी है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार की ओर से विभिन्न जिलों के अस्पतालों में कोविड-19 के तहत अगले छह महीनों के लिए कोविड-19 कंज्यूएमबल 0.5 एमएल सिरिंज की सप्लाई के लिए 4 मई, 2021 को टेंडर जारी किया गया था। इसकी अवधि 11 मई, 2021 तक थी। हालांकि यह टेंडर सफल नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय स्तर के बिडर्स को इसमें आमंत्रित किया गया था।
बहरहाल, मध्य प्रदेश सरकार ने दोबारा 28 मई, 2021 को 0.5 एमएल सिरिंज के लिए 12 जून तक के लिए
टेंडर निकाला है। जानकारी मिलने तक किसी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
उड़ीसा सरकार भी 0.5 एमएल ऑटो डिजेबल सिरिंज की सप्लाई के लिए मई महीने में दो बार टेंडर जारी किए। लेकिन एक भी टेंडर में कंपनियां नहीं आईं।
आखिरी टेंडर 25 मई को जारी किया गया जिसकी अवधि 29 मई, 2021 को थी।
गुजरात सरकार ने भी 21 मई, 2021 को शॉर्ट टर्म टेंडर जारी किया। हालांकि
टेंडर सफल नहीं रहा।
भारत में प्रमुख टीका निर्माता कंपनी हिंदुस्तान सिरिंज एंड मेडिकल डिवाइस लिमिटेड (एचएमडी) है। दिसंबर, 2020 की 35.1 करोड़ 0.5 एमएल सिरिंज निविदा में 25.6 (256 मिलियन) का ऑर्डर इसे ही मिला था। कंपनी की आधिकारी वेबसाइट से जानकारी मिलती है कि वह यूनिसेफ को भी इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के लिए सिरिंज सप्लाई करती है। इसके अलावा इन दिनों वैश्विक स्तर से मांग आ रही है, जिसे सप्लाई करना कंपनी के लिए काफी मुश्किल है। कंपनी राज्यों की मांग सही कीमत पर पूरा कर पाएगी या वह बिड में हिस्सा नहीं लेगी। अभी तक यह सप्षट नहीं है।
दूसरे प्रमुख निर्माता संदीप भंडारी कहते हैं कि लॉकडाउन के दर्मियान वर्कफोर्स कम हो गया और हमारे कच्चे माल की कीमतें बढ़ गईं फिर भी हम आपूर्ति कर रहे हैं। राज्यों ने कुछ देर से चेतना शुरू किया है, यह जरूर वैक्सीनेशन की रफ्तार को धीमा कर सकता है।
टीका संकट : महीने दर महीने घट रहा टीकाकारण
18-44 आयु वर्ग के लिए टीके का इंतजाम करने को लेकर एक दर्जन राज्यों ने
ग्लोबल टेंडर का रास्ता भी पकड़ा था। हालांकि, एक भी राज्य इसमें सफल नहीं रहा। अब यदि ऑर्डर के बाद राज्यों को थोड़े-बहुत टीके मिल भी रहे हैं तो टीका लगाने वाले सिरिंज की कमी टीकाकरण अभियान को और लंबा खींच सकती है।
जनगणना आंकड़ों के मुताबिक 45 से अधिक आयु वर्ग वालों की आबादी देश में करीब 30 करोड़ है और 18-44 आयु वर्ग की आबादी करीब 59.46 करोड़ है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि महीने दर महीने टीकाकरण कमजोर हो रहा है।
केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट
कोविन के मुताबिक 4 जून, 2021 तक ऑनलाइन और ऑफलाइन 25.90 करोड़ पंजीकरण किए गए हैं। इनमें 18-44 आयु वर्ग के 103,586,787 और 45 से अधिक उम्र के 15,55,03,151 लोगों का पंजीकरण हुआ है। जबकि अभी तक 222,726,448 को टीका अब तक लगाया जा चुका है।
टीकाकरण की व्यापकता बढने के बाद भी टीका लगाने की रफ्तार घटी है। मसलन अप्रैल महीने में प्रत्येक सप्ताह औसत वैक्सीन कवरेज 1.5 करोड़ से लेकर 2.5 करोड़ (25 मिलियन) तक रही लेकिन मई महीने में टीका कवरेज 1.5 करोड़ से अधिक किसी सप्ताह भी नहीं रहा। यह दिखाता है कि टीकाकरण की रफ्तार बेहद सुस्त है और औसत प्रतिदिन 18 लाख (1.8 मिलियन) टीका लगाया जा रहा है।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने अपने हालिया
शोधपत्र में कहा है कि भारत की मौजूदा स्थितियों में जब 18 लाख डोज प्रतिदिन लगाए जाएंगे तो भारत की 75 फीसदी आबादी का टीकाकरण करने में 2.8 वर्ष लगेंगे।
बीते वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कर रहे हैं तैयारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वर्ष 2020-21 की
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविड-19 के लिए एक नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 वैक्सीन (एनईजीवीएसी) बनाया गया है जो कि प्रभावी टीकाकरण के लिए हर तरह से मार्गदर्शन करेगा। इसके अलावा नेशनल कोल्ड चेन एंड वैक्सीन मैनेजमेंट रिसोर्स सेंटर के द्वारा यूनिसेफ की मदद से वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन स्पेस की जरूरत को भी तलाश रही है। फिलहाल केंद्र सरकार का त्वरित जरूरत वाला टीकाकरण कार्यक्रम विभिन्न कारणों से ठंडा दिखाई दे रहा है।