स्वास्थ्य

उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन, अभी सात जिलों में 18 से 44 आयु वर्ग का वैक्सीनेशन हफ्ते में दो दिन

Vivek Mishra

देश में कोविड संक्रमण से बचाव के लिए 1 मई, 2021 की तारीख से 18-44 वर्ष उम्र वाले लोगों का टीकाकरण प्रभावी तौर पर नहीं हो पाएगा। दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, गुजरात समेत कई राज्यों ने टीकाकरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया है जबकि कुछ राज्य अभियान को लेकर द्वंद में हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक आधिकारिक तौर पर 1 मई से टीकाकरण शुरु करने के बयान पर टिकी थी। उत्तर प्रदेश में टीकाकरण एक मई से ही शुरु होगा लेकिन यह सीमित जनपदों में होगा और हफ्ते में दो ही दिन होगा। 

डाउन टू अर्थ ने पहले सचेत किया था कि उत्तर प्रदेश में टीका संकट है इसलिए यह अभियान एक मई से बहुत ज्यादा प्रभावी तौर पर लागू नहीं हो पाएगा। अब उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक सप्ताह शुक्रवा और शनिवार को 18 से 44 वर्ष उम्र वाली आयु के लोगों का टीकाकरण करेगी। 

उत्तर प्रदेश सरकार शासन की ओर से लॉकडाउन को सख्त बनाने और उसकी अवधि बढ़ाने के लिए भी विचार किया जा रहा है। उच्च स्तरीय बैठक में लॉकडाउन के लिए यह संकेत दे दिया गया।

वहीं, सूत्रों के मुताबिक यह कंपलीट लॉकडाउन 4 मई से शुरू होकर 14 दिन की अवधि वाला हो सकता है क्योंकि यूपी में कोरोना संक्रमण की स्थिति काफी बदतर होती जा रही है। हालांकि, इस पर अभी शासन की ओऱ से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है।  

अपर मुख्य सूचना आयुक्त नवनीत सहगल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि लॉकडाउन के मामले में मुख्यमंत्री स्थिति की समीक्षा करेंगे, इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 18-44 वर्ष आयु के लिए टीकाकरण अभियान 1 मई से सिर्फ उन 7 जनपद में किया जा रहा है जहां कोरोना संक्रमण की दर ज्यादा है। इसलए एक मई को सिर्फ वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, बरेली, मेरठ में टीकाकरण किया जाएगा। 

नवनीत सहगल ने इस बात की पुष्टि भी की है कि सप्ताहांत के दिनों में 18-44 वर्ष आयु वालों को टीका लगाया जाएगा।  

कोरोना संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए प्रदेश में कंपलीट लॉकडाउन लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारी लगातार शासन को अपनी सिफारिश दे रहे थे। हालांकि, शासन कंपलीट लॉकडाउन के लिए तैयार नहीं था। इसलिए 29 अप्रैल, 2021 को ही सप्ताह में एक दिन और लॉकडाउन के लिए बढ़ाया गया है। 

उत्तर प्रदेश सरकार इस बार लॉकडाउन शब्द से परहेज कर रही है और इसे कोरोना कर्फ्यू का नाम दे रही है। 

बहरहाल डाउन टू अर्थ अपनी पुरानी रिपोर्ट में यह बता चुका है कि प्रदेश के पास 18-44 वर्ष उम्र वालों के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं है। वह केंद्र सरकार के 45 से अधिक उम्र वालों के लिए मिलने वाली वैक्सीन कोटे से ही अपने टीकाकरण अभियान को विस्तार देना चाहती थी। 

सूत्रों के मुताबिक करीब 7.5 लाख केंद्रीय कोटे से हासिल टीके का स्टॉक उत्तर प्रदेश का है। प्रतिदिन 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों के टीकाकरण में महज 12 हजार डोज तक ही बच जाती हैं, जिसे 18-44 वर्ष उम्र वालों के लिए इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा था। हालांकि,अब स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार केंद्र के पत्र के बाद इस कोटे के वेस्टेज टीका का इस्तेमाल 18-44 वर्ष आयु वर्ग पर नहीं करेगी। 

अधिकारी शासन को आगाह भी कर रहे हैं कि इतने कम डोज के साथ टीकाकरण करने पर उहापोह की स्थिति पैदा हो सकती है। यह शुरुआत टोकन टीकाकरण जैसा है। 

उत्तर प्रदेश सराकर ने 4 करोड़ टीका ग्लोबल टेंडर के तहत आयात करने को कहा है। लेकिन तात्कालिक जरुरत के लिए अभी कोवैक्सिन और कोविशील्ड बनाने वाली कंपनियों से टीके की मांग की है। 

कंपनियों ने सरकार को डिलेवरी की कोई स्पष्ट तारीख नहीं दी है। हालांकि, इतना कहा गया है कि मई महीने में यूपी को  कुल 25 लाख कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साढ़े 08 लाख डोज। (राज्य सरकार व निजी अस्पताल को मिलाकर) डिलेवरी की जाएगी। 

यह आपूर्ति भारत सरकार की ओर से जारी डिलेवरी के अलावा होगी। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविशील्ड से इमरजेंसी स्तर पर 30 अप्रैल को कुछ डोज देने के लिए कहा है। इसकी संख्या और मात्रा अभी जाहिर नहीं की गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 30 अप्रैल 2021, सुबह 8:00 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 45,39,553 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 37,99,266 ठीक हो चुके हैं। कोरोना मामलों में केरल दूसरे स्थान पर है जहाँ अब तक 15,33,984 मामले सामने आ चुके हैं।

तीसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां अब तक 14,74,846 मामले सामने आ चुके हैं। उत्तरप्रदेश में 12,17,952, तमिलनाडु में 11,48,064, दिल्ली में 11,22,286, आंध्रप्रदेश 10,84,336, पश्चिम बंगाल में 810,955, छत्तीसगढ़ में 713,706, राजस्थान में 580,846 जबकि गुजरात में भी अब तक संक्रमण के करीब 553,172 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि उनमें से 408,368 मरीज ठीक हो चुके हैं।