विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2019 के अनुसार 2018 में मलेरिया के करीब 22.8 करोड़ मामले सामने आये थे। जिनमें से 4,05,000 लोगों की मौत हो गयी थी । आंकड़ें दिखाते हैं कि इसका 85 फीसदी बोझ भारत और अफ्रीका के 19 देश मिलकर ढो रहे हैं। मलेरिया के परजीवी स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को कठोर बना देते हैं, जो एक साथ टकराने लगते हैं। जिनके चलते रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। हालांकि अब तक शोधकर्ताओं को इस बात की कतई जानकारी नहीं थी कि किस तरह यह परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में घुसपैठ करने में सफल हो जाते हैं। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक विस्तृत नेटवर्क मैप तैयार करने में सफलता हासिल की है, जो दिखाता है कि मलेरिया के परजीवी मानव कोशिकाओं पर किस तरह अपना प्रभाव डालते हैं। इसके विषय में विस्तृत शोध सेल प्रेस जर्नल आई साइंस में प्रकाशित हुआ है।
शरीर में कैसे होता है मलेरिया के परजीवी का प्रसार
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम नामक परजीवी पर ध्यान केंद्रित किया है जोकि मलेरिया के सबसे गंभीर रूप के लिए जिम्मेदार है। यह परजीवी मानव शरीर में लाल रक्त कोशिका को संक्रमित कर देता है। जोकि कोशिका के साइटोप्लाज्म में बनने वाले कई तरह के प्रोटीनों के उत्पादन को प्रभावित कर देता है। गौरतलब है कि कोशिका मे कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को साइटोप्लाज्म (कोशिकाद्रव्य) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। जोकि पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। इसके कारण सेल के भौतिक स्वरुप में परिवर्तन आ जाता है। जिससे न केवल कोशिकाएं अपनी जगह पर चिपक जाती हैं, बल्कि वो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से भी बाहर हो जाती हैं। यह परजीवी को कोशिका की सतह पर यात्रा करने साथ-साथ दूसरे सेलों को भी संक्रमित करने में भी मदद करता है। इसके साथ में, प्रोटीन परजीवी को फैलाने का काम करते हैं, जिससे मलेरिया का परजीवी शरीर में फैलने लगता है।
टोहोकू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और इस अध्ययन के शोधकर्ता केंटारो काटो ने बताया कि "हमारा यह अध्ययन साइटोप्लाज्म में मौजूद प्रोटीन और मलेरिया परजीवी के बीच होने वाली अत्यधिक जटिल प्रतिक्रिया पर प्रकाश डालता है। इसके साथ ही यह अध्ययन कोशिकाओं को संक्रमित करने वाले परजीवी और प्रोटीनों की प्रतिक्रिया का एक विश्वसनीय डेटासेट भी उपलब्ध कराता है।" हालांकि इससे पहले प्रोटीन और परजीवी के सम्बन्ध को समझना मुश्किल था क्योंकि ऐसा अनुमान था कि इन परजीवियों के लिए 400 तरह के प्रोटीन जिम्मेदार थे। जबकि इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने इन प्रोटीनों में से केवल एक स्केलेटन-बाइंडिंग प्रोटीन (एसबीपी 1) पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसे मलेरिया के प्रसार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इस विशिष्ट प्रोटीन और परजीवी के बीच की प्रतिक्रिया का भी अध्ययन किया है। जिससे यह जाना जा सके कि कोशिकाओं के भीतर और बाहर संक्रमण किस तरह फैलता है। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि यह अध्ययन मलेरिया के साथ-साथ, लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने वाले अन्य संक्रमणों के अध्ययन का मार्ग भी प्रशस्त कर देगा।