स्वास्थ्य

वैज्ञानिकों ने खोजे कोविड-19 से जुड़े नए रहस्य, संक्रमण के लिए केवल एसीई-2 पर ही नहीं निर्भर

रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस के पास कोशिकाओं में प्रवेश करने के एसीई-2 के साथ कई अन्य विकल्प भी हैं, जिनकी मदद से वो कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है

Lalit Maurya

वैज्ञानिकों को कोविड-19 से जुड़े नए रहस्यों का पता चला है। यह नई खोज इस बात पर प्रकाश डालती है कि कोविड-19 हमारी कोशिकाओं में कैसे घुसपैठ करता है। अब तक वैज्ञानिक यही समझते रहे कि कोरोना वायरस हमारे डीएनए में मौजूद एसीई-2 रिसेप्टर पर अटैक करता है और उसे हाईजैक करके कोशिकाओं में घुसपैठ करता है। गौरतलब है कि एसीई-2 हमारे शरीर में पाए जाने वाला एक तरह का प्रोटीन होता है।

लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि प्रोटीन एसीई-2 ही एकमात्र तरीका नहीं है, जिससे वायरस कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है। रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए कई 'मार्गों' का उपयोग कर सकता है।

जर्नल केमिकल साइंस में प्रकाशित इस रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस के पास कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए कई अन्य विकल्प भी हैं, जिनकी मदद से वो कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है। इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता पीटर एम कैसन ने प्रेस को दी जानकारी में बताया कि, "कोविड-19 वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए सामने के दरवाजे के रूप में प्रोटीन 'एसीई-2' का उपयोग करता है। लेकिन यदि वो रास्ता बंद है तो यह वायरस अन्य रास्तों जैसे 'पीछे के दरवाजे' या 'खिड़की' का भी उपयोग कर सकता है।"

उनके अनुसार इसका मतलब है कि यह लगातार फैलता रह सकता है और नई प्रजातियों के लिए अनुकूल बन सकता है। उनका कहना है कि, "यह वायरस नई प्रजातियों को संक्रमित करके तब तक फैलता रह सकता है, जब तक कि वह किसी विशिष्ट प्रजाति में प्रवेश करना नहीं सीख लेता। ऐसे में हमें उन नए वायरसों से सावधान रहने की जरूरत है जो हमें संक्रमित करने के लिए समान पैटर्न का उपयोग कर सकते हैं।"

कोविड-19 वायरस कितना संक्रामक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह महामारी अब तक करीब 77 करोड़ लोगों को संक्रमित कर चुकी है। हालांकि उनमें से करीब 76.2 करोड़ लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं। लेकिन हर कोई उतना भाग्यशाली नहीं रहा। महामारी अब तक 70 लाख जिंदगियों को लील चुकी है।

हालांकि बचाव के लिए बने टीकों और प्रतिरक्षा ने इसके खतरे को कम जरूर कर दिया है। इसके बावजूद वैज्ञानिक इस वायरस में आने वाले बदलावों और संभावित रूप से हानिकारक वेरिएंट पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं।

थमा नहीं है कोविड-19 में बदलावों का सिलसिला

यहां तक की ज्यादातर देशों में जीवन अब सामान्य होने लगा है लेकिन इसके बावजूद सतर्कता जरूरी है, क्योंकि कोविड-19 लगातार विकसित हो रहा है और उसमें बदलावों का सिलसिला अभी भी जारी है। इसकी वजह से इसके अन्य ज्यादा खतरनाक वैरिएंट उभर सकते हैं। इतना ही नहीं वैज्ञानिक अन्य दूसरे कोरोना वायरसों पर भी नजरे जमाए हुए हैं, क्योंकि वो भी इंसानों में फैल सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए अगले बड़ा खतरा बन सकते हैं।

सार्स-कॉव-2, जोकि कोविड-19 से जुड़ा वायरस है, कोशिकाओं में कैसे प्रवेश करता है, शोधकर्ताओं ने रिसर्च में इस बात को उजागर करना चाहते थे। वैज्ञानिक पहले ही जानते हैं कि यह वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए मुख्य रूप से एसीई-2 का उपयोग करता है जोकि नाक और फेफड़ों में प्रचुर मात्रा में होता है।

हालांकि वैज्ञानिकों को यह जानकार हैरानी हुई कि सार्स-कॉव-2 कोशिकाओं में फैलने के लिए अन्य प्रोटीनों का भी उपयोग कर सकता है। मतलब की यह एसीई-2 के बिना भी कोशिकाओं में घुसपैठ कर सकता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 के बारे में यह नई खोज इस बार पर प्रकाश डाल सकती है कि कैसे कोरोना वायरस एक से दूसरी प्रजाति में इतनी आसानी से कैसे फैल सकते हैं। साथ ही यह भविष्य में कोविड-19 में आने वाले बदलावों की भविष्यवाणी करने में वैज्ञानिकों की सहायता कर सकती है।

कैसन के मुताबिक कोरोनावायरस पहले ही एक महामारी और संभावित खतरों का कारण बन चुका है। जो दर्शाता है कि ऐसे और भी वायरस हो सकते हैं जिनसे सतर्क रहने की जरूरत है। हमें समझना होगा कि यह कैसे फैलते हैं और किन संकेतों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।

कोविड-19 की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी आप डाउन टू अर्थ के कोरोना ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।