स्वास्थ्य

वैज्ञानिकों ने खोजा मुर्गियों में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण से निपटने के लिए नया उपचार

मैंगनीज कार्बोनिल लेने वाली मुर्गियों के उपचार के 24 घंटे बाद इनके मल में बैक्टीरिया का बहाव काफी कम पाया गया, जो इस नई विधि के द्वारा बैक्टीरिया को मार डालने का इशारा है

Dayanidhi

इंग्लैंड स्थित सरे विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक नए उपचार से मुर्गियों में घातक संक्रमण के उपचार में रोगाणुरोधी प्रतिरोध को कम करने का रास्ता खोज निकाला है। अध्ययन में एवियन पैथोजेनिक एस्चेरिचिया कोली (एपीईसी) के इलाज के लिए धातु आधारित प्रभावी तरीके की जांच की गई।

एवियन पैथोजेनिक एस्चेरिचिया कोली (एपीईसी) मुर्गियों का एक गंभीर श्वसन संक्रमण है जो अब एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो गया है। एपीईसी के बढ़ते खतरों को देखते हुए इस बात की आशंका जताई जा रही है कि यह इंसानों में भी फैल सकता है।

सरे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक, रोगाणुरोधी प्रतिरोध इंसान और पशु स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। किसी संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का असर न होने से न केवल बीमारी और इससे संबंधित समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि इसके फैलने के आसार भी बढ़ जाते हैं।

कोरोना वायरस के इस दौर ने दिखाया कि एक महामारी कितनी आसानी से फैल सकती है और दूसरी महामारी का खतरा अधिक दिख रहा है, क्योंकि साधारण जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक अब काम नहीं कर रहे हैं। 

वेटरनरी माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, धातु मिश्रित, मैंगनीज कार्बोनिल के असर का परीक्षण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने ग्रेटर वैक्स मोथ लार्वा और एपीईसी के साथ काम किया। दो समूहों में विभाजित, पहले को मैंगनीज कार्बोनिल दिया गया, जबकि दूसरे, नियंत्रण को या तो फॉस्फेट-बफ़र्ड सेलाइन (पीबीएस) या डाइमिथाइल सल्फोक्साइड (डीएमएसओ) दिया गया।

चार दिनों के बाद, मैंगनीज कार्बोनिल लेने वाले लार्वा के जीवित रहने की दर 56 से 75 फीसदी के बीच थी, जबकि नियंत्रण समूह में, जीवित रहने की दर 25 से 45 फीसदी (पीबीएस) और 19 से 45 फीसदी, मिश्रण के सुरक्षात्मक प्रभाव का प्रदर्शन (डीएमएसओ) के बीच थी।

परीक्षण को एवियन पैथोजेनिक एस्चेरिचिया कोली (एपीईसी) से संक्रमित मुर्गियों में दोहराया गया, उन्हें फिर से मैंगनीज कार्बोनिल या पीबीएस दिया गया। पीबीएस नियंत्रण समूह की तुलना में मैंगनीज कार्बोनिल लेने वाली मुर्गियों के उपचार के 24 घंटे बाद इनके मल में बैक्टीरिया का बहाव काफी कम पाया गया, जो इस नई विधि के द्वारा बैक्टीरिया को मार डालने का इशारा देता है।

यह उपचार के तीन दिन बाद लिए गए कैकल नमूनों पर आधारित है, जिसमें मैंगनीज कार्बोनिल लेने वालों में फिर से काफी कम बैक्टीरिया पाए गए। पक्षियों के जिगर से ऊतक के नमूनों की जांच से पता चला कि उनमें धातु यौगिक से कोई विषाक्त प्रभाव नहीं हुआ, जो लार्वा में देखा गया था।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, भविष्य में स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्पों का विकास महत्वपूर्ण है। मैंगनीज कार्बोनिल जैसे धातु कॉम्प्लेक्स ऐसा कर सकते हैं, जैसा कि परीक्षण में दिखाया है कि वे न केवल प्रभावी हैं, बल्कि पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना में उनका उत्पादन करना बहुत किफायती है।

शोधकर्ता ने कहा कि, एवियन पैथोजेनिक एस्चेरिचिया कोली (एपीईसी) के उपचार में मैंगनीज कार्बोनिल की प्रभावशीलता की खोज रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्योंकि यह दर्शाता है कि हमें अधिक एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, हमें उपचार विकसित करने में और अधिक नए तरीकों से सोचने की जरूरत है।