स्वास्थ्य

वैज्ञानिकों ने बनाया नया सेंसर, नवजात शिशुओं को पीलिया से बचाने में होगा मददगार

इस सेंसर की मदद से रक्त में मौजूद बिलीरुबिन के स्तर का रियल टाइम में पता लगाया जा सकता है, जिससे नवजात शिशुओं के शरीर में पीलिया को बढ़ने से रोका जा सकता है

Lalit Maurya

जापान के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे नए उपकरण को बनाने में सफलता हासिल की है, जो नवजात शिशुओं के शरीर में सटीकता के साथ पीलिया की निगरानी कर सकता है। इस उपकरण की मदद से रक्त में मौजूद बिलीरुबिन के स्तर का पता लगाया जा सकता है। यह उपकरण इतना छोटा है कि इसे आसानी से पहना जा सकता है।

गौरतलब है कि कम और मध्यम आय वाले देशों के शिशुओं में जन्म के समय पीलिया का होना एक आम समस्या है। नवजात शिशुओं में बड़ों की तुलना में लीवर उतना कुशल नहीं होता, जिसके कारण वो बिलीरुबिन को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता और उनके रक्त में जमा होने लगता है। 

रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने के कारण त्वचा पीली पड़ने लगती है जो नवजात शिशुओं में गंभीर चिकित्सा स्थितियों का कारण बन सकता है। हालांकि यदि इसके स्तर की उचित निगरानी की जाए तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। पीलिया होने पर शिशु को नीली रौशनी के संपर्क में रखा जाता है जिससे उनके शरीर में मौजूद बिलीरुबिन टूटने लगता है और वो यूरिन के रास्ते शरीर के बाहर निकल जाता है। यह बच्चों में मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों के शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकता है, साथ ही एलर्जी से जुड़े रोगों के जोखिम को और बढ़ा सकता है। यहां तक की इससे मृत्यु भी हो सकती है। 

वर्तमान में डॉक्टर बिलीरुबिन के स्तर को मापने के लिए हाथ में पकड़े जाने वाले बिलीरुबिनोमीटर का उपयोग करते हैं, लेकिन ऐसा कोई उपकरण नहीं है जो एक साथ रियल टाइम में पीलिया, पल्स और ऑक्सीजन की माप कर सके। 

इसी समस्या को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इस उपकरण को बनाया है, जो सटीकता के साथ बिलीरुबिन के स्तर का रियल टाइम में पता लगा सकता है जिससे जरुरत के मुताबिक नीले प्रकाश को नियंत्रित किया जा सकता है। इस सेंसर को आसानी से पहना जा सकता है। बिलीरुबिन का पता लगाने के साथ-साथ यह डिवाइस रियल टाइम में पल्स रेट और रक्त में मौजूद ऑक्सीजन का पता भी लगा सकता है। यह सेंसर जापान की योकोहामा नेशनल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बनाया है जिसके बारे में विस्तृत शोध 3 मार्च को जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है। 

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता हीरोकि ओटा ने बताया कि "हमने दुनिया का पहला ऐसा उपकरण बनाया है जो नवजात शिशुओं में एक पीलिया, पल्स रेट और रक्त में मौजूद ऑक्सीजन का पता लगा सकता है।" उनके अनुसार यह देखते हुए कि 60 से 80 फीसदी नवजात शिशुओं में पीलिया होता है। इसकी रियल टाइम में निगरानी बहुत महत्त्व रखती है। बिलीरुबिन के स्तर की निरंतर माप, फोटोथेरेपी की गुणवत्ता में सुधार और रोगी के जल्द ठीक होने में योगदान कर सकती है। 

क्या होता है बिलीरुबिन 

बिलीरुबिन एक भूरे-पीले रंग का तरल होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है। शरीर में जब नई रक्त कोशिकाएं बनती हैं तो पुरानी टूटने लगती हैं, तभी यह बनता है। यह लीवर में पाया जाता है और सामन्यतः पाचन के समय शरीर से बाहर निकल जाता है। समस्या तब उत्पन्न होती है जब यह शरीर में से अपने आप बाहर नहीं निकलता है, जिसके कारण  यह रक्त में जमा होने लगता है और पीलिया का कारण बनता है।