कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड-19) से उबरने वालों में हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। इस मामले में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल फ्रैंकफर्ट के एक अध्ययन ने कुछ अंतर्दृष्टि प्रदान की है। शोध के मुताबिक 100 में से लगभग 80 ऐसे रोगियों के हृदय की एमआरआई जांच की गई, जो कोविड-19 से ठीक हुए थे। इनके हृदय में संरचनात्मक परिवर्तन दिखाई दिए हैं।
जर्नल जेएएमए कार्डियोलॉजी में 27 जुलाई, 2020 को प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि कोविड -19 की बीमारी से ठीक होने के लंबे समय के बाद ऑर्गन में खराबी दिखाई देती है। यह ऐसे जगहों पर भी देखा गया जहां संक्रमण गंभीर नहीं था। बीमारी के पहले समूह के ठीक होने के दो महीने के बाद 100 संक्रमित रोगियों के एमआरआई की तुलना उन लोगों के साथ की गई थी, जो संक्रमण से नहीं गुजरे थे।
78 मरीजों के हृदय में पहले की स्थिति अलग संरचनात्मक परिवर्तन दिखाई दिए। जब परीक्षण किया गया तो उनमें हृदय रोग संबंधी लक्षण मौजूद थे। 76 मरीजों में हृदयाघात के बाद होने वाली क्षति को भी देखा गया। वहीं, 60 मरीजों के दिल में सूजन का लक्षण दिखाई दिया।
इन 100 मरीजों में से 67 घर पर थे, जबकि 33 को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। कम से कम 53 मरीज पुरुष थे जिनकी औसत आयु 49 वर्ष थी।
उसी दिन प्रकाशित, एक और अध्ययन में कोविड-19 से मरने वाले 39 लोगों , जिनकी औसत आयु 85 थी, के शव परीक्षा परिणामों का विश्लेषण किया गया। इसमें 24 रोगियों के दिलों में वायरस का उच्च स्तर पाया गया।
अध्ययन के अनुसार: "सार्स-कोव-2" के साथ हृदय संबंधी संक्रमण इन रोगियों के बीच लगातार पाया गया , लेकिन यह मायोकार्डिटिस-जैसे कोशिकाओं के मायोकार्डियम (हृदय की मांसपेशी ऊतक) में शामिल नहीं था"।
अध्ययन में कहा गया है कि हृदय संक्रमण वाले व्यक्तियों में, हृदय की मांसपेशियों की सूजन तीव्र चरण में नहीं देखी गई थी, लेकिन इस हृदय संक्रमण के दीर्घकालिक परिणामों का अध्ययन किए जाने की आवश्यकता" है।
वैलेंटिना पुंटमैन, जिन्होंने अध्ययन का नेतृत्व किया, स्टैटन्यूज से कहा: "यह तथ्य कि 78 प्रतिशत ठीक होने वाले रोगियों में हृदय संबंधी रोग बहुमत में शामिल है, भले ही कोविड-19 बीमारी के साथ यह सीने में दर्द जैसे दिल की बीमारी के लक्षण को न शामिल किया जाता हो। उन्होंने कहा कि कोविड-19 बीमारी की स्पष्ट शुरुआत सक्रिय कार्रवाई करने के लिए एक प्रारंभिक खिड़की खोलती है।