स्वास्थ्य

एमपॉक्स का प्रकोप बढ़ा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषित की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी

Lalit Maurya

दुनिया अभी कोरोना महामारी से पूरी तरह उबरी भी नहीं है कि इस बीच एमपॉक्स के बढ़ते मामलों वैश्विक समुदाय की चिंताएं बढ़ा दी है। स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को 14 अगस्त 2024 को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा के रूप में घोषित कर दिया है।

गौरतलब है कि किसी बीमारी का अन्तरराष्ट्रीय रूप से चिंताजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा करार दिया जाना, अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य कानूनों के तहत खतरे की घंटी का सबसे उच्च स्तर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों पर बुधवार को हुई आपात कमेटी की बैठक में सदस्यों की सिफारिश के बाद इस बात की औपचारिक घोषणा कर दी है। बता दें कि एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस मुद्दे पर परामर्श के लिए समिति की बैठक बुलाई गई थी।

इससे पहले अफ्रीका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने 13 अगस्त 2024 को एमपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित कर दिया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी है कि यह बीमारी कई अफ्रीकी देशों में फैल चुकी है। इनमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के साथ उसके पड़ोसी देश जैसे बुरूंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले साल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में इसके एक नए वायरस स्ट्रेन, क्लेड 1बी के उत्पन्न होने और तेजी से फैलने का पता चला था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह मुख्य रूप से यौन संपर्कों के माध्यम से फैला है। संगठन के मुताबिक डीआरसी के साथ-साथ पड़ोसी देशों में इसका पता चलना विशेष रूप से चिंता का विषय है।

संगठन के मुताबिक पिछले महीने, डीआरसी के पड़ोसी चार देशों में क्लेड 1बी के 100 से अधिक नए मामलों की पुष्टि हुआ है। वहीं विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मामलों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि अभी भी एक बड़ी आबादी की जांच नहीं की गई है।

क्या कोरोना के बाद नए खतरे की है शुरूआत

स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2024 में अब तक एमपॉक्स से संक्रमित 15 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं यह बीमारी अब तक 537 जिंदगियां निगल चुकी है। जो 2023 की तुलना में अच्छी खासी वृद्धि को दर्शाता है।

गौरतलब है कि इससे पहले साल 2022 में वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे 24 जुलाई 2022 को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा यानी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया था।

डीआरसी में एमपॉक्स के मामले पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से सामने आ रहे है, साथ ही हर साल इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि इसके बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मई 2024 में डब्ल्यूएचओ ने एक नया फ्रेमवर्क जारी किया था। इसके लेकर उम्मीद जताई गई है कि यह फ्रेमवर्क स्वास्थ्य अधिकारियों, समुदायों और अन्य लोगों को प्रकोपों ​​को रोकने और नियंत्रित करने, मानव-से-मानव संक्रमण को रोकने और जानवरों से मनुष्यों में वायरस के प्रसार को कम करने में मदद करेगा।

बता दें कि हाल ही में मिसौरी विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि म्युटेशन की वजह से एमपॉक्स से जुड़ा वायरस कहीं ज्यादा स्मार्ट होता जा रहा है। शोध के मुताबिक म्युटेशन के चलते यह वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम के साथ-साथ दवाओं से भी बचने के काबिल बन रहा है। ऐसे में इसके बढ़ते खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।

आशंका है कि यह वायरस हमारे शरीर में मौजूद प्रोटीन को हाईजैक कर सकता है और उसका उपयोग यह कहीं अधिक संक्रामक और विकसित होने के लिए कर सकता है।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी थी कि एमपॉक्स का यह प्रसार, क्लेड्स नामक विभिन्न तरह के वायरसों के कारण हुआ है। उनके मुताबिक इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सटीक और व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता है। इस कार्रवाई में समुदायों को केन्द्र में रखा जाना चाहिए।

उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से यह भी जानकारी दी है कि एमपॉक्स के प्रसार के मूल कारकों को समझने और उसपर काबू पाने के लिए डब्ल्यूएचओ प्रभावित देशों की सरकारों, अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्रों व अन्य साझीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसके लिए एक क्षेत्रीय कार्रवाई योजना बनाई है। इसके तहत बीमारी की निगरानी, तैयारी और कार्रवाई पर ध्यान दिया जाएगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) के पूर्वी हिस्सों में एमपॉक्स के एक नए क्लेड का उभरना और फैलना चिंताजनक है। पड़ोसी देशों में भी इसके मामले सामने आए हैं, जिसने चिंताएं बढ़ा दी हैं। डीआरसी और अफ्रीका में इसके बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करने की जरूरत है।

क्या है यह बीमारी, कैसे कर सकते हैं इससे बचाव

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौजूदा समय में एमपॉक्स वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दो टीकों की मदद ली जा रही है। इन दोनों ही वैक्सीनों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से स्वीकृति और सिफारिश प्राप्त हैं।

हालांकि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के अनुसार इससे बचाव का सबसे कारगर उपाय सूचना है। उनका कहना है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों के पास इसके बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी, वो अपने आप की हिफाजत करने में उतना ज्यादा सक्षम होंगें।

डब्लूएचओ के मुताबिक इस बीमारी के फैलने की वजह मंकीपॉक्स नामक वायरस है, जो पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस का एक सदस्य है। दुनिया में यह वायरस पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। हालांकि इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया।

इस बीमारी के बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि एमपॉक्स जोकि एक जूनोटिक बीमारी है, इसके लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक रहते हैं उसके बाद यह खुद ब खुद ठीक होते जाते हैं। हालांकि कुछ मामलों में संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है।

अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते पड़ने लगते हैं जो चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक हो सकते हैं। साथ ही इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में मांसपेशियों में दर्द, थकावट, सिरदर्द, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में आंख में दर्द या धुंधलापन, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं।

एमपॉक्स के बारे में ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एमपॉक्स ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।