स्वास्थ्य

राजस्थानः क्या बर्ड फ्लू के नाम पर फैल रही है अफवाह ?

जानकारों का कहना है कि एवियन इंफ्लूएंजा वायरस मिलने से यह अनिवार्य नहीं हो जाता कि पक्षियों की मौत इसी वायरस से हुई हो। अधिक सर्दी के कारण कोल्ड शॉक और हाइपोथर्मिया भी मौत की एक वजह हो सकती है।

Madhav Sharma

राजस्थान में 25 दिसंबर 2020 से अबतक हजारों पक्षियों की एवियन इंफ्लूएंजा से मौत हो चुकी है। प्रदेश के कई वेटनरी डॉक्टर और एक्सपर्ट पक्षियों की मौत को सामान्य मौत बता रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल सर्दियों में बड़ी संख्या में पक्षी मरते हैं। लेकिन इस बार बर्ड फ्लू का भय ऐसा फैलाया गया है कि आम लोगों में डर पैदा हो गया है। आक्रामक मीडिया कवरेज भी इस डर की वजहों में शामिल है। इसके कारण प्रदेश के पॉल्ट्री फार्म मालिक भी सकते में हैं। पशुपालन विभाग के विशेष दिशा-निर्देशों के चलते उनके काम पर भी असर आया है।  

खौफ की वजह से जयपुर शहर चिकन की मांग 30 फीसदी तक गिर गई है। रेट भी 20 फीसदी तक कम हो गई है। चिकन का रेट पहले 180 रुपए किलो था जो अब 150 तक आ गया है। बर्ड फ्लू के खौफ के चलते चूजे की कीमत भी 30 रुपए से घटकर 15-20 रुपए हो गई है।

हालांकि तथ्य ये है कि राजस्थान में बर्ड फ्लू का एक भी केस पोल्ट्री में नहीं मिला है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एवियन इंफ्लूएंजा वायरस मिलने से यह अनिवार्य नहीं हो जाता कि पक्षियों की मौत इसी वायरस से हुई हो। अधिक सर्दी के कारण कोल्ड शॉक और हाइपोथर्मिया भी मौत की एक वजह हो सकती है। अगर बर्ड फ्लू होता तो सबसे संवेदनशील माने जाने वाले पक्षी मुर्गियों में अब तक ये फैल चुका होता। पोल्ट्री में अब तक सिर्फ 59 मौतें हुई हैं जो सामान्य हालात में भी होती हैं। प्रदेश में कहीं भी पोल्ट्री में बर्ड फ्लू की पुष्टि नहीं हुई है।

राजस्थान पशुपालन विभाग के वेटनरी डॉक्टर भी ये मान रहे हैं कि जितना डर बर्ड फ्लू के नाम पर फैलाया जा रहा है, उतना खतरा है नहीं। अधिकारियों का कहना है कि हम भारत सरकार की बर्ड फ्लू की गाइड लाइंस के अनुसार काम कर रहे हैं। इंफ्लूएंजा का वायरस मिल रहा है, इसीलिए एहतियात बरती जा रही है।

राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर से रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार कटारिया से इस संबंध में डाउन-टू-अर्थ ने बात की। डॉ. कटारिया ही वो शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले यह कहा कि पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से नहीं हो रही है।

वे कहते हैं, बर्ड फ्लू के लिए सबसे संवेदनशील पोल्ट्री सेक्टर है, लेकिन वहां की रिपोर्ट्स नेगिटिव हैं। अगर बर्ड फ्लू है तो उसके लक्षण भी मृत पक्षियों में आने चाहिए, लेकिन ऐसा कोई भी क्लीनिकल साइन नहीं मिल रहा है। पक्षियों में ज्यादातर मौत कौओं की हो रही है। पैटर्न ये है कि कौए सुबह-सुबह मृत मिल रहे हैं। पशुपालन विभाग ने एक भी पक्षी का पोस्टमार्टम नहीं किया है, वरना पीएम रिपोर्ट में फ्लू के स्पष्ट कारण आते हैं। पक्षियों की आंख, नाक से पानी और सिर में सूजन आती है, लेकिन ऐसा कोई लक्षण मृत पक्षियों में नहीं मिला है।

कटारिया आगे कहते हैं, ‘लैब आरटी-पीसीआर से पुष्टि कर रही है कि पक्षी में वायरस है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पक्षी की मौत बर्ड फ्लू से ही हुई है। क्योंकि इस तरह के वायरस अमूमन पक्षियों में हमेशा रहते हैं। रिपोर्ट में यह लिखा हुआ है कि पक्षी में एच-5 एन-8 एवियन इंफ्लूएंजा पाया गया है, लेकिन रिपोर्ट में कहीं भी नहीं लिखा गया है कि मौत इसके कारण हुई है।’

ये एच-5 एन-8 वायरस लो-पेथोजैनिक यानी कम रोगजनक होता है। कटारिया आगे कहते हैं, ‘25 दिसंबर से अचानक पूर राज्य से खबरें आने लगीं कि पक्षी मर रहे हैं जबकि बर्ड फ्लू का एक एपि सेंटर होता है। शहर से बाहर रहने वाले पक्षी ज्यादा मर रहे हैं क्योंकि शहर और ग्रामीण इलाकों के तापमान में अंतर होता है। जैसे ही तापमान थोड़ा बढ़ेगा पक्षियों की मौतें में गिरावट आएगी। रात में तापमान कम होने की वजह से हाइपोथर्मिया और कोल्ड शॉक की वजह से मौत हो रही हैं। इसीलिए सुबह-सुबह पक्षी मृत मिल रहे हैं।’

वहीं, पशुपालन विभाग में अतिरिक्त निदेशक (निगरानी) और एवियन इंफ्लूएंजा में इंचार्ज बनाए गए डॉ. आनंद सेजरा इस बात से सहमत होते हैं कि जितना भय बर्ड फ्लू के नाम पर फैल रहा है उतनी खराब स्थिति नहीं है। कोल्ड शॉक या हाइपोथर्मिया भी पक्षियों की मौत की वजह हो सकता है। सेजरा कहते हैं, ‘बर्ड फ्लू की गाइडलाइंस के अनुसार मृत पक्षी का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता। उसे पूरे प्रोटोकॉल के साथ लैब में भेजना होता है। विभाग यही कर रहा है। साथ ही हम पूरी सतर्कता बरत रहे हैं ताकि अगर इंफ्लूएंजा का स्ट्रेन बदले तो उससे बचाव और मुकाबला किया जा सके।’

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान के 17 जिलों में 25 दिसंबर 2020 से 18 जनवरी 2021 तक 5,540 पक्षी मरे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 3915 कौवे, 293 मोर, 432 कबूतर और 900 अन्य प्रजातियों के पक्षी हैं। भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान की लैब में 27 जिलों से 267 सैंपल भेजे गए हैं। इनमें से 17 जिलों में मृत पक्षियों में एवियन इंफ्लूएंजा वायरस की पुष्टि हुई है। 9 जिलों की रिपोर्ट नेगिटिव आई है। बाकी जिलों की रिपोर्ट आनी बाकी है।

डॉ. कटारिया सवाल उठाते हैं कि जिन आठ जिलों की रिपोर्ट नेगिटिव आई है, उनमें पक्षियों की मौत क्यों हुई है? अगर बर्ड फ्लू वहां नहीं है तो पक्षियों की मौत भी नहीं होनी चाहिए थी।

बर्ड फ्लू वायरस के स्ट्रेन के बारे में पशुपालन विभाग में वेटनरी डॉक्टर तपेश माथुर कहते हैं कि जो वायरस अभी पक्षियों में मिल रहा है वो एच-5 एन-8 है। एवियन इंफ्लूएंजा में एच सीरीज में 1 से 16 और एन सीरीज में 1-9 स्ट्रेन होते हैं। वायरस को दो भागों में बांटा गया है। पहला अत्यधिक रोगजनक और कम रोगजनक। राजस्थान में जो वायरस पक्षियों में आए हैं वे कम रोगजनक हैं। इंसानों को फिलहाल इससे खतरा नहीं है। इसीलिए डर या पैनिक होने की जरूरत नहीं हैं।