प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
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कानून के खिलाफ हैं अंगदान पर सार्वजनिक अपीलें, केरल में प्रक्रिया सुधार की सिफारिश: समिति

सलाहकार समिति ने अदालत से कहा है, प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए आम जनता से अंगदान की अपील करना कानून के खिलाफ है। इसकी जगह समिति ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने और प्रक्रिया सरल करने की सिफारिश की है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • केरल हाईकोर्ट को सलाहकार समिति ने बताया कि आम जनता से अंगदान की अपील करना कानून और नैतिकता के खिलाफ है।

  • समिति ने सिफारिश की कि अंगदाताओं की पहचान गुप्त रखी जाए, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाए और मेडिकल फिटनेस जांच की मजबूत व्यवस्था हो।

  • साथ ही, जिला स्तरीय प्राधिकरण समिति की प्रक्रिया को डिजिटल कर समयबद्ध निर्णय सुनिश्चित किया जाए।

26 नवंबर 2025 को सलाहकार समिति ने केरल हाईकोर्ट को बताया है कि आम जनता से अंगदान की अपील करना कानून के खिलाफ है। केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नितिन मधुकर जामदार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी एम की पीठ को बताया गया है कि सलाहकार समिति ने 19 नवंबर 2025 को बैठक कर इस संबंध में कई फैसले लिए हैं।

समिति ने सिफारिश की है कि केरल स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन, प्रत्यारोपण केंद्र या किसी भी व्यक्ति को निष्काम (अल्ट्रूइस्टिक) अंगदाताओं की तलाश में प्रेस विज्ञप्ति जारी करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा करना ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिशूज एक्ट की भावना के खिलाफ और अनैतिक है, जो समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, डोनर की पहचान गुप्त रखने का सुझाव

समिति ने सुझाव दिया है कि केरल स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन द्वारा एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया जाना चाहिए, जहां लोग निष्काम भाव से अंगदान की इच्छा दर्ज कर सकें। साथ ही, ऐसे डोनर्स की पहचान गुप्त रखी जानी चाहिए।

समिति ने यह भी कहा है कि केरल स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन को ऐसे इच्छुक डोनर्स की मेडिकल, शारीरिक और मानसिक फिटनेस जांचने के लिए एक मजबूत और भरोसेमंद प्रणाली विकसित करनी चाहिए, ताकि अंगदान की प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से हो सके।

अधिकार समितियों की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन

समिति ने बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के आदेशों के अनुसार, अब केरल में भी लिविंग ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े आवेदनों की प्रक्रिया के लिए निर्धारित समयसीमा लागू कर दी गई है।

जिला स्तरीय प्राधिकरण समिति (डीएलएसी) की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा। इससे प्रक्रिया में कम समय लगेगा और आपात या समयबद्ध मामलों पर समिति तुरंत निर्णय ले सकेगी।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि जिला स्तरीय प्राधिकरण समिति के सामने कई तरह के प्रमाणपत्र जमा कराने पड़ते हैं, जिन्हें सरकारी दफ्तरों से प्राप्त करना मुश्किल होता है। समिति ने कहा कि इस समस्या को दूर किया जाना चाहिए और व्यवस्था को सरल करने के लिए नई गाइडलाइन जारी की जा सकती है, ताकि जरूरत से ज्यादा प्रमाणपत्रों की आवश्यकता न पड़े।

12 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करने के लिए 15 दिन का समय मांगा है। ऐसे में अदालत ने आदेश दिया है कि अगली सुनवाई से पहले अंतिम रिपोर्ट अदालत में पेश की जानी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2025 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए जाएं कि वे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विज्ञप्ति जारी कर समुदाय में ऐसे निष्काम दाताओं की अपील करें, ताकि जिन मरीजों को उपयुक्त डोनर न मिलने के कारण प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा है, उन्हें मदद मिल सके।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रेस विज्ञप्तियों में मरीज का ब्लड ग्रुप, अस्पताल का नाम, संभावित डोनर को आय हानि की क्षतिपूर्ति, उपचार खर्च और जटिलताओं की स्थिति में आर्थिक सहायता सहित अन्य जरूरी जानकारी दी जानी चाहिए।