स्वास्थ्य

अमेरिका में एवियन फ्लू के संक्रमण से पोल्ट्री उद्योग संकट में

हाल के हफ्तों में अमेरिका के पूर्वी हिस्से में एवियन इन्फ्लूएंजा का अत्यधिक संक्रामक और घातक रूप तेजी से अपने पैर पसार रहा है

Anil Ashwani Sharma

अमेरिका एवियन फ्लू की चपेट में है। इससे यहां का पोल्ट्री उद्योग चिंतित है। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस फ्लू का असर मुनष्यों पर कम है। लेकिन वैज्ञानिकों ने यह भी चेताया है कि इस प्रकोप से वायरस के उत्परिवर्तित होने पर मनुष्यों में खतरा पैदा करने की आशंका बढ़ जाती है।

हाल के हफ्तों में देखा जाए तो अमेरिका के पूर्वी हिस्से में एवियन इन्फ्लूएंजा का अत्यधिक संक्रामक और घातक रूप तेजी से अपने पैर फैला रहा है, जिससे जंगली पक्षियों और पोल्ट्री में तैयार होने वाले मुर्गे दोनों की मौत हो रही है।

आशंका व्यक्त की गई है कि यह अनियंत्रित वायरस पोल्ट्री उद्योग के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। यह विनाश कुछ वैसा ही हो सकता है जैसा कि आज से सात साल पहले 2015 की जनवरी की शुरुआत में हुआ था, जब इसने पूर्वोत्तर कनाडा में मुर्गियों को मारना शुरू किया था।

इस वायरस की पहचान फ्लोरिडा के प्रवासी जलपक्षी में की गई थी और इसने वर्जीनिया और न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में मुर्गियों को संक्रमित किया था।

बुधवार, 24 फरवरी को न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका संघीय अधिकारियों ने बताया कि यह अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस देश के सबसे बड़े पोल्ट्री फार्मों में से एक, डेलमारवा प्रायद्वीप पर स्थित एक डेलावेयर वाणिज्यिक चिकन फार्म में पाया गया है।

विशेषज्ञों को संदेह है जंगली पक्षी इस वायरस को फैला रहे हैं। पिट्सबर्ग के एक बायोकेमिस्ट हेनरी निमन ने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक है कि इस वायरस का फैलाव तेजी से हो रहा है। ध्यान रहे कि हेनरी वायरस के आनुवंशिक विकास का  लगातार अध्ययन करते हैं और इस प्रकार के वायरस के देश में फैलने पर लगातार नजर रखते हैं।

वह कहते हैं कि मुझे लगता है कि हम संक्रमण के उच्च स्तर को देख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर अमेरिका के अधिकारियों ने पोल्ट्री उत्पादकों से आग्रह किया है कि बीमार या मरने वाले पक्षियों की रिपोर्ट लगातर करें और साथ ही अपने खेतों में जैव सुरक्षा के उपायों को अपनाने में किसी प्रकार की कोताही न बरतें। इन सख्त उपायों में जंगली पक्षियों और घरेलू जानवरों के बीच संपर्क को रोकना भी शामिल है।

अमेरिका के कृषि और स्वास्थ्य निरीक्षण सेवा विभाग के प्रवक्ता माइक स्टेपियन ने एक ईमेल के माध्यम से बताया कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एवियन इन्फ्लूएंजा को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम नहीं माना जाता है और यह खाद्य-सुरक्षा के लिए जोखिम नहीं है।

हालांकि मनुष्यों के लिए खतरा कम है लेकिन वैज्ञानिक यूरेशियन H5N1 वायरस पर कड़ी नजर रख रहे हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार यह वायरस मनुष्यों के बीच नहीं फैलता है, लेकिन यह 60 प्रतिशत की घातक दर के साथ बेहद घातक भी माना गया है।

वर्तमान में अमेरिका में फैल रहा यह वायरस मनुष्यों तक नहीं पहुंचा है, लेकिन वायरोलॉजिस्ट और महामारी विज्ञानियों का कहना है कि पक्षियों के बीच बढ़ता संक्रमण चिंताजनक पहलू है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

अमेरिका के कैंसास राज्य स्थित एक सार्वजनिक स्वास्थ्य पशु चिकित्सक डॉ. गेल हैनसेन ने कहा कि इन्फ्लूएंजा वायरस ऐतिहासिक रूप से मनुष्यों को प्रभावित करने वाली महामारियों से बहुत पीछे है। कुछ चिकित्सा इतिहासकारों ने कान्सास में सेना के रंगरूटों के माध्यम से 1918 के घातक इन्फ्लूएंजा महामारी का पता लगाया है। वह कहते हैं कि वैज्ञानिकों ने हमेशा माना कि अगली महामारी एक श्वसन इन्फ्लूएंजा होगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह वायरस एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप से भी फैल रहा है। हाल के हफ्तों में, 29 यूरोपीय देशों में 300 संक्रमण की सूचना मिली है। इजराइल में तो जंगल में इसके प्रकोप से हजारों सारस मर गए। इस समय इंडियाना और केंटकी के किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं। पिछले दो हफ्तों में इन राज्यों में कई खेतों को बंद कर दिया गया है।

किसानों का कहना है कि वे इस बात से दंग रह गए हैं कि वायरस कितनी कुशलता से मारता है। इंडियाना में राज्य के अधिकारी तेजी से अपनी कार्रवाई आगे बढ़ा रहे हैं। एक लाख से अधिक पक्षियों को मार दिया गया है और प्रभावित खेतों के चारों ओर छह मील का घेरा डाल दिया गया है।

यूएस पोल्ट्री एंड एग एसोसिएशन के पशु चिकित्सक डॉ. डेनिस हर्ड ने कहा है कि हर कोई हाई अलर्ट पर है और जितना संभव हो सके तैयार रहने की कोशिश कर रहा है क्योंकि हम सभी 2014 और 2015 की तबाही को देख चुके हैं। ध्यान रहे कि 2014-15 में वायरस के प्रकोप को देश के इतिहास में सबसे विनाशकारी माना गया।

इसने अंडे की कीमतों में बढ़ोतरी की थी और इसके चलते अमेरिकी सरकार ने इस उद्योग को तीन बिलियन डालर से अधिक की सहायता दी थी। उस समय लगभग 50 मिलियन पक्षी वायरस से मारे गए या इसके प्रसार को रोकने के लिए नष्ट कर दिए गए थे। इनमें से अधिकांश आयोवा और मिनेसोटा में थे।

तब के उत्तरी मिनेसोटा के एक उत्पादक 54 वर्षीय जॉन बर्केल अचंभित और घबराहट के साथ इस वायरस के प्रसार को देख रहे हैं। क्योंकि 2015 में वायरस कुछ ही दिनों में उनके खेत में भी बुरी से फैल गया था, जिसके चलते 7,000 पक्षियों में से केवल 70 बचे थे। तब एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने उन्हें और उनके बेटे को एंटीवायरल दवा टैमीफ्लू का कोर्स करने की भी सलाह दी थी।

अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ खेत में काम करने वाले बर्केल ने कहा कि हमने कभी भी ऐसा विषाणु नहीं देखा है जो विषैला हो। वह बहुत ही भयानक था। ध्यान रहे कि तब से देश भर के कृषि अधिकारियों ने किसानों को इस प्रकार के वायरस की रोकथाम के लिए जैव सुरक्षा उपायों की एक श्रृंखला को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

उसी समय विशेषज्ञों का कहना है कि संघीय अधिकारियों ने निगरानी की राष्ट्रव्यापी प्रणाली को मजबूत किया। सार्वजनिक स्वास्थ्य पशुचिकित्सक डॉ हैनसेन ने कहा कि उन सभी में एक ही प्रतिरक्षा प्रणाली है इसलिए एक बार वायरस जब एक मुर्गी के अंदर पहुंच जाता है तो यह जंगल में लगी आग की तरह तेजी से फैल जाता है।