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स्वास्थ्य

2050 तक स्तन कैंसर के मामलों में 38 फीसदी की वृद्धि का अंदेशा, हर घंटे हो रही 76 महिलाओं की मौत

2022 में स्तन कैंसर के 23 लाख नए मामले सामने आए थे, आशंका है की 2050 तक 38 फीसदी के इजाफे के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 32 लाख पर पहुंच जाएगा

Lalit Maurya

दुनिया भर में कैंसर तेजी से पैर पसार रहा है। महिलाओं में देखें तो स्तन कैंसर की समस्या बेहद आम है, जो हर साल लाखों जिंदगियों को निगल रही है। यह बीमारी कितनी घातक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी वजह से 2022 में 670,000 महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।

मतलब की दुनिया में हर घंटे स्तन कैंसर की वजह से औसतन 76 महिलाओं की मौत हो रही है। यह आंकड़े चिंतित कर देने वाले हैं, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेष शाखा इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने अपने नए अध्ययन में साझा किया है।

इस अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 185 देशों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

अध्ययन के मुताबिक 2022 में स्तन कैंसर के 23 लाख नए मामले सामने आए थे। वहीं 670,000 महिलाएं इस बीमार से अपनी जिंदगी की जंग हार गई थी। मतलब की हर 20 में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार बन रही है। वहीं 70 में से एक महिला की मृत्यु जीवनकाल में इस बीमारी से हो सकती है।

इससे ज्यादा चिंता की बात क्या होगी कि 2050 तक नए मामलों में 38 फीसदी का इजाफा हो सकता है। मतलब की सालाना 32,00,000 नए मामले सामने आ सकते हैं।  

वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि दुनिया भर में स्तन कैंसर के मामलों और मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। खासकर भारत और अन्य विकासशील देशों पर भी इसका असर दिखेगा।

इस बारे में आईएआरसी और अध्ययन से जुड़ी वैज्ञानिक डॉक्टर जोआन किम ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, "दुनिया भर में हर मिनट चार महिलाओं में स्तन कैंसर का मामले सामने आ रहे हैं। वहीं हर मिनट एक महिला की मौत इस बीमारी से हो रही है। समय के साथ यह आंकड़े और बदतर होते जा रहे हैं।"

चिंतित करने वाले हैं आंकड़े

रिपोर्ट में यह भी चेताया है कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहते हैं तो स्तन कैंसर से होने वाली मौतें भी 2050 तक बढ़कर 11 लाख पर पहुंच जाएंगी। मतलब की इनमें 68 फीसदी की वृद्धि का अंदेशा है।

अध्ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कमजोर और मध्यम आय वाले देशों में यह बोझ असमान रूप से महसूस किया जाएगा, जहां इस बीमारी की प्रारम्भिक अवस्था में पहचान करना, उपचार और देखभाल तक मरीजों की पहुंच सीमित है।

रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इसकी सबसे अधिक दर ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, उत्तरी अमेरिका और उत्तरी यूरोप में दर्ज की गई, जबकि सबसे कम दरें दक्षिण-मध्य एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाई गई हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि स्तन कैंसर होने का जोखिम फ्रांस (9 में से 1) और उत्तरी अमेरिका (10 में से 1) में सबसे अधिक है। वहीं इससे मृत्यु का जोखिम फिजी (24 में से 1) और अफ्रीका (47 में से 1) में सबसे अधिक है।

इन देशों में बढ़ती आबादी के साथ-साथ शराब का सेवन, शारीरिक गतिविधियों में कमी और मोटापे जैसे जीवनशैली से जुड़े कारकों को बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेवार माना जा सकता है।

इस बीच सबसे अधिक मृत्यु दर मेलानेशिया, पोलिनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में दर्ज की गई, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच होने से स्थिति कहीं ज्यादा खराब है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि स्तन कैंसर से बचाव और आर्थिक विकास के बीच सम्बन्ध बेहद स्पष्ट है, जहां अमीर देशों में निदान किए गए 83 फीसदी मामलों में महिलाओं की जिंदगी बच जाती है। वहीं कमजोर देशों में इस बीमारी का शिकार आधी से अधिक महिलाएं जिंदगी की जंग हार जाती हैं।

देखा जाए तो जांच की कमी और उपचार के सीमित विकल्पों का मतलब है कि कमजोर और मध्यम आय वाले देशों में समृद्ध देशों की तुलना में कम मामले सामने आने के बावजूद मृत्यु दर कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए कमजोर देशों में 50 वर्ष या उससे कम आयु की महिलाओं में स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु की आशंका समृद्ध देशों की तुलना में चार गुणा अधिक थी।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने (डब्ल्यूएचओ) ने 2021 में स्तन कैंसर को लेकर वैश्विक पहल ‘ग्लोबल ब्रेस्ट कैंसर इनिशिएटिव (जीबीसीआई)’ की शुरूआत की थी। इसका लक्ष्य स्तन कैंसर से होने वाली मौतों की दर में सालाना ढाई फीसदी की कमी लाना था, जिससे 2040 तक 25 लाख मौतों को टाला जा सके।

बता दें कि यह पहल प्रारंभिक स्तर पर ही स्तन कैंसर की पहचान करना, समय पर निदान और गुणवत्तापूर्ण उपचार तक पहुंच उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है।

अध्य्यन में शोधकर्ताओं ने 46 देशों में 10 वर्षों के दौरान स्तन कैंसर से होने वाली मौतों का अध्ययन किया है। उन्होंने पाया कि 30 देशों में मृत्यु दर में कमी आ रही है, लेकिन केवल सात देश - माल्टा, डेनमार्क, बेल्जियम, स्विटजरलैंड, लिथुआनिया, नीदरलैंड और स्लोवेनिया ही डब्ल्यूएचओ के 2.5 फीसदी की वार्षिक कमी के लक्ष्य को हासिल कर रहे हैं।

जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद भयावह है, लेकिन ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं स्तन कैंसर को लेकर जागरूक बनें। सही समय पर जांच करवाएं। इसके साथ ही वो अपनी जीवनशैली में बदलाव करके इस घातक बीमारी से बच सकती हैं।